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तीन दशक में पहली बार महिला कश्मीरी पंडित लड़ेगी विधानसभा चुनाव; BJP-कांग्रेस नहीं, इस पार्टी ने बनाया उम्मीदवार

तीन दशक में पहली बार महिला कश्मीरी पंडित लड़ेगी विधानसभा चुनाव; BJP-कांग्रेस नहीं, इस पार्टी ने बनाया उम्मीदवार
Amit Kumar लाइव हिन्दुस्तान, पुलवामा
Fri, 6 Sept 2024, 04:33:PM
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जम्मू-कश्मीर के आगामी विधानसभा चुनावों में एक ऐतिहासिक घटना होने जा रही है। तीन दशकों में पहली बार कोई कश्मीरी पंडित महिला चुनावी मैदान में उतरने जा रही हैं। इनका नाम डेजी रैना है। डेजी पहले दिल्ली की एक निजी कंपनी में काम करती थीं लेकिन अब चुनावी मैदान में उतरने जा रही हैं। वह पुलवामा जिले के फ्रिसल गांव की सरपंच रही हैं और अब राजपोरा विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ेंगी।

डेजी रैना को रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया (आठवले) ने उम्मीदवार बनाया है, जो भारतीय जनता पार्टी (BJP) के साथ एनडीए गठबंधन का हिस्सा है। जम्मू-कश्मीर के इन चुनावों में डेजी रैना नौ महिलाओं में से एक हैं जो इस बार अपनी किस्मत आजमाने जा रही हैं। रैना ने बताया कि वह युवाओं के आग्रह पर राजनीति में आई हैं।

एनडीटीवी से बात करते हुए उन्होंने कहा, "युवाओं ने मुझे चुनाव लड़ने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने मुझसे कहा कि मैं उनकी आवाज जम्मू-कश्मीर विधानसभा तक पहुंचाऊं। मैंने यहां सरपंच के रूप में काम किया और युवाओं से मिलकर उनकी समस्याओं को समझने की कोशिश की। हमारे युवा बिना किसी दोष के तकलीफें झेल रहे हैं। 1990 के दशक में जन्मे कश्मीरी युवाओं ने सिर्फ गोलियों की आवाजें सुनी हैं।"

रामदास अठावले ने हाल ही में केंद्र शासित प्रदेश का दौरा किया था और कहा था कि राज्य का दर्जा बहाल किया जाना चाहिए। डेजी ने बताया, "मैंने चुनाव लड़ने के बारे में सोचा भी नहीं था। युवा लोगों ने मुझसे एक दिन के लिए मुख्यमंत्री बनने के लिए कहा, और कहा कि मैं पुलवामा को ठीक कर सकती हूं।"

रोजमर्रा की समस्याओं के अलावा, पुलवामा आतंकवादियों का गढ़ रहा है और 2019 के घातक हमले का स्थल भी यहीं है जिसमें 40 केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) के जवान मारे गए थे। यह पूछे जाने पर कि क्या उन्हें लगता है कि पुलवामा की छवि खराब है? इस पर रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया (अठावले) की नेता ने कहा, "मुझे ऐसा नहीं लगता। काम ठीक चल रहा है। मेरा सारा काम हो रहा है... अगर कोई समस्या है, तो वह हमने ही पैदा की है।"

डेजी ने कहा, "जब मैं यहां काम करने आई थी, तो मैं बिना किसी सुरक्षा के पुलवामा में घूमती थी। मेरे पास कोई निजी सुरक्षा अधिकारी (PSO) नहीं था। कुछ लोगों ने PSO रखे थे, लेकिन मैंने नहीं। मैंने यहां सालों तक काम किया और यहां तक कि पुलवामा में एक शिवलिंग भी स्थापित किया। मुसलमानों ने मुझसे ऐसा करने के लिए कहा क्योंकि मैंने उनके लिए एक वजूखाना बनवाया था और कई अन्य काम किए थे। उन्होंने कहा कि अगर मैंने अपने समुदाय के लिए भी कुछ नहीं किया तो हिंदू नाराज हो जाएंगे।"

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