Hindi Newsजम्मू और कश्मीर न्यूज़Terrorists changed strategy left Kashmir and made Jammu their target more than 70 deployed on the launching pad

आतंकियों ने बदली रणनीति, कश्मीर छोड़ जम्मू को बनाया टारगेट; लॉन्चिंग पैड पर 70 से अधिक तैनात

जानकारों का कहना है कि अनुच्छेद 370 के निरस्त होने के बाद पाकिस्तान स्थित आतंकी समूहों की रणनीति का ध्यान कश्मीर घाटी से हट गया, जहां सुरक्षा बल मजबूत पकड़ बनाए हुए हैं।

Himanshu Jha हिन्दुस्तान, नई दिल्ली।Sun, 28 July 2024 01:44 AM
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जम्मू में हाल के दिनों में आतंकी हमले तेजी से बढ़े हैं। इसके मद्देनजर सुरक्षा बलों की अतिरिक्त बटालियन जम्मू भेजी जा रही है। आतंकियों की पूरे क्षेत्र में मौजूदगी और लगातार हमले को बड़ी चुनौती मानकर सरकार जवाबी रणनीति पर काम कर रही है। सुरक्षा बलों की सबसे बड़ी चुनौती सीमा पार से घुसपैठ रोकना और जम्मू में आतंकियों की मदद के लिए बने ओवर ग्राउंड वर्कर्स के नेटवर्क को ध्वस्त करना है। यही नेटवर्क आतंकियों को जम्मू में घाटी की तर्ज पर लॉजिस्टिक मदद मुहैया कराता है। साथ में सैन्य ठिकानों और उनके गतिविधियों की मुखबिरी भी करता है।

गौरतलब है कि नौ जून को केंद्र में नई सरकार के शपथ ग्रहण के बाद से हमले बढ़े हैं। आतंकियों ने जम्मू के रियासी में तीर्थ यात्रियों को ले जा रही बस को निशाना बनाया था। इसके बाद से सिलसिलेवार तरीके से सेना और सुरक्षाबलों को निशाना बनाया जा रहा है। कई बड़े हमले जम्मू में हुए हैं, जो कश्मीर से आतंकियों के निशानों में बदलाव को दिखाता है। बताया जा रहा है कि नियंत्रण रेखा के पार लॉन्च पैड पर लगभग 60 से 70 आतंकवादी सक्रिय हैं और घुसपैठ के इंतजार में हैं। जम्मू क्षेत्र में भी सौ के करीब आतंकी सक्रिय बताए जा रहे हैं।

जानकारों का कहना है कि अनुच्छेद 370 के निरस्त होने के बाद पाकिस्तान स्थित आतंकी समूहों की रणनीति का ध्यान कश्मीर घाटी से हट गया, जहां सुरक्षा बल मजबूत पकड़ बनाए हुए हैं। लिहाजा आतंकियों ने धीरे-धीरे जम्मू में मददगारों का अपना मजबूत नेटवर्क बना लिया। अभी हमले तेज हुए लेकिन पिछले दो-तीन सालों से, आतंकवादी जम्मू में रुक-रुककर हमले कर रहे हैं। विशेष रूप से वर्ष 2023 में 43 और 2024 में अब तक 25 आतंकी हमले हुए हैं।

चुनौतियों से भरा है जम्मू का इलाका
जम्मू क्षेत्र के विशाल और जटिल इलाके का उपयोग पाकिस्तान स्थित आतंकी संगठनों द्वारा अंतरराष्ट्रीय सीमा और एलओसी के पार सशस्त्र आतंकवादियों को भेजने के लिए किया जाता है। ये कभी-कभी सुरंगों का भी उपयोग करते हैं। साथ ही ड्रोन का इस्तेमाल कर हथियार भेजे जाते हैं। आतंकी नागरिकों के रूप में भी प्रवेश करते हैं और स्थानीय गाइडों की सहायता से छिपने के जगह और हथियार इकट्ठा करते हैं। आमतौर पर, आतंकवादी कंसर्टिना वायर और इंफ्रारेड लाइट जैसी सीमा निगरानी प्रणालियों को बाधित करने के लिए मानसून की बाढ़ का इंतजार करते हैं। इसके अलावा नीलगाय जैसे जानवरों का भी उपयोग करते हैं।

फिलहाल स्थानीय सुरक्षा को मजबूत करने के लिए सभी गांवों में एक नेटवर्क बनाया जा रहा है, साथ ही ग्राम रक्षा समिति को भी सक्रिय किया जा रहा है। अधिकारियों का मानना ​​है कि किश्तवाड़ में सक्रिय हिजबुल मुजाहिदीन का आतंकी कमांडर जहांगीर सरूरी अभी फरार है। क्षेत्र में आतंकवाद के फिर से पनपने में उसी का हाथ है। 1992 से सक्रिय आतंकी सरूरी, इनाम घोषित किए जाने के बावजूद गिरफ्त से बचा हुआ है। वो ट्रैकर्स को गुमराह करने के लिए पीछे की ओर जूते पहनने जैसी भ्रामक रणनीति के लिए भी जाना जाता है। वहीं वो तलाशी के दौरान हिंदू अल्पसंख्यक घरों में छिपकर पकड़े जाने से बच जाता है।

कट्टरपंथी आतंकी बड़ा खतरा
सुरक्षाबलों का मानना ​​है कि कट्टर पाकिस्तानी आतंकियों से खतरा अधिक गंभीर है। ये आतंकी कश्मीर में कुछ खास करने में सफल नहीं हो रहे है, वहीं जम्मू क्षेत्र में समान स्तर की खुफिया जानकारी मौजूद नहीं होने का उन्होंने फायदा उठाया है। इनका प्रशिक्षण पाकिस्तान में हुआ है। आतंकी अस्थायी चौकियां, वाहन चौकियां और यहां तक ​​कि नागरिकों को भी निशाना बना रहे हैं। जम्मू में स्थिति तनावपूर्ण बनी हुई है, लेकिन सुरक्षाबल हाई अलर्ट पर हैं।

करीब एक दशक बाद घटनाएं बढ़ीं
जानकारों का कहना है कि पिछले कुछ दिनों से जम्मू के तमाम इलाकों में आतंकी घटनाएं बढ़ी हैं। करीब एक दशक बाद कश्मीर की बजाय जम्मू में आतंकी घटनाएं ज्यादा देखी जा रही हैं। जम्मू के पहाड़ी जिलों में बढ़ रही इन घटनाओं पर कई सुरक्षा विशेषज्ञों ने चिंता जताई है कि यदि जल्द ही कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए तो स्थिति बेकाबू हो सकती है।

आतंकी छोटे समूहों में सक्रिय
सूत्रों के अनुसार, कुल सक्रिय आतंकियों में से करीब 40-50 आतंकी छोटे समूहों में बिखरे हुए हैं और जम्मू क्षेत्र के ऊपरी इलाकों में मौजूद हैं। आतंकी सेना के जवानों के साथ ही नागरिकों को भी निशाना बना रहे हैं। सूत्रों ने बताया कि आतंकी न सिर्फ आधुनिक हथियारों का इस्तेमाल कर रहे हैं बल्कि नई तकनीक भी प्रयोग में ला रहे हैं, जिससे उन्हें पकड़ पाने में चुनौती आ रही है। आतंकी इंटरनेट वॉयस कॉल का उपयोग करते हैं जो एंड-टू-एंड एन्क्रिप्टेड होते हैं और उनका पता लगाना मुश्किल होता है।

घटनाएं बढ़ने की वजह घुसपैठ
अधिकारियों ने बताया कि जम्मू क्षेत्र के पहाड़ी जिलों में आतंकवाद में अचानक वृद्धि का मूल कारण घुसपैठ है। सीमा सुरक्षा ग्रिड को जम्मू इलाके में ज्यादा मजबूत करने की जरूरत है। सुरक्षा रणनीति से जुड़े अधिकारियों के मुताबिक, जम्मू क्षेत्र के पहाड़ी इलाकों की स्थिति 90 और 2000 के दशक की तुलना में अधिक चुनौतीपूर्ण और गंभीर है। उस वक्त जम्मू के पहाड़ी जिलों में अधिकांश आतंकी स्थानीय थे और उच्च प्रशिक्षित नहीं थे। लेकिन अब ऊपरी इलाकों में मौजूद आतंकी उच्च प्रशिक्षित हैं जो आधुनिक हथियारों से लैस हैं।

बीते दो महीनों में ऐसे बढ़े हमले

9 जून : जम्मू के रियासी में तीर्थयात्रियों से भरी बस को निशाना बनाया, जिसमें नौ लोग मारे गए।
11 जून : कठुआ के हीरानगर सेक्टर के सैदा सुखल गांव पर आतंकियों ने हमला किया। सुरक्षाबलों के ऑपरेशन में सीआरपीएफ का एक जवान शहीद हुआ।
12 जून : डोडा में सेना के अस्थायी ऑपरेटिंग बेस पर आतंकियों ने गोलीबारी की। सेना के दो जवान घायल हो गए थे। मुठभेड़ में एक आतंकी मारा गया था।
6 जुलाई : कुलगाम के दो गावों में दो जवान शहीद हो गए थे।
7 जुलाई : राजौरी में सेना के शिविर पर आतंकी हमला हुआ। इसमें सेना का एक जवान घायल हो गया था। जवाबी कार्रवाई की गई लेकिन आतंकी अंधेरे का फायदा उठाकर भाग गए।
8 जुलाई : कठुआ में आठ जुलाई को सेना की गाड़ी को निशाना बनाया। पांच जवान शहीद हुए।
10 जुलाई : राजौरी के नौशेरा सेक्टर में संदिग्ध आतंकियों के समूह ने रात के समय घुसपैठ का प्रयास किया, लेकिन सुरक्षा बलों की सतर्कता से वे कामयाब नहीं हो पाए।
16 जुलाई : नौशेरा में मुठभेड़ में चार जवान शहीद हो गए। एक पुलिसकर्मी की भी मौत हो गई।

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