कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद ने कहा कि पिछले ढाई साल में जम्मू-कश्मीर में व्यापार और विकास गतिविधियों में गिरावट आई है और लोग गरीबी की ओर बढ़ रहे हैं। भाजपा सरकार पर हमला बोलते हुए आजाद ने कहा कि महाराजाओं का निरंकुश शासन वर्तमान सरकार की तुलना में कहीं बेहतर था। उस वक्त सरकारी कार्य दरबार मूव के तहत किया जाता था। लेकिन इस साल 20 जून दिन उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने इस प्रथा को समाप्त कर दिया था। द्विवार्षिक 'दरबार मूव' की पारंपरिक प्रथा को रोका था।
शनिवार को जम्मू में पत्रकारों से बात करते हुए कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद ने कहा, "मैं हमेशा दरबार मूव का समर्थन करता था। महाराजाओं ने हमें तीन चीजें दीं जो कश्मीर और जम्मू दोनों क्षेत्रों की जनता के हित में थीं और उनमें से एक दरबार मूव थी।" उन्होंने कहा कि महाराजा (हरि सिंह) ने उन लोगों से भूमि और नौकरियों की सुरक्षा सुनिश्चित की जो इस क्षेत्र से नहीं थे।
अनुच्छेद 370 को निरस्त करने का जिक्र करते हुए आजाद ने कहा, "आज इतने वर्षों के बाद हम देखते हैं कि महाराजा जो तानाशाह कहलाते थे, वर्तमान सरकार की तुलना में बहुत बेहतर थे। महाराजा के कार्य जनता के कल्याण के लिए थे, जबकि वर्तमान सरकार ने हमसे तीनों चीजों को छीन लिया है। (दरबार मूव, जमीन और नौकरियों की सुरक्षा)।"
उन्होंने कहा, "लोग व्यथित हैं क्योंकि कोई व्यवसाय नहीं है, कोई नौकरी नहीं है, उच्च कीमतें और विकास कार्य रुक गए हैं," उन्होंने कहा।
आजाद ने कहा, "मेरी राय थी कि शहरों में लोग खुश हैं। मैंने रघुनाथ बाजार, सिटी चौक और कनक मंडी (जम्मू में) पूरे व्यापारिक समुदाय से बात की, जिस भी दुकान का दौरा किया, मैंने पाया कि लोग निराश हैं क्योंकि पिछले पांच साल से उनका व्यापार बंद है।" उन्होंने कहा, "पूरे जम्मू-कश्मीर में स्थिति बहुत खराब है और हम बुरी तरह से गरीबी की ओर बढ़ रहे हैं।"
हालांकि, उन्होंने क्षेत्र में बढ़ती राजनीतिक गतिविधियों पर खुशी व्यक्त की। आजाद ने कहा, "राजनेताओं ने पिछले दो वर्षों (अगस्त 2019 से) में जनता से संपर्क खो दिया। हमने शुरू किया और अन्य ने इसका पालन किया, जो एक स्वागत योग्य कदम है।" उन्होंने जम्मू और कश्मीर में छह विधानसभा सीटों को बढ़ाने के लिए परिसीमन आयोग की मसौदा रिपोर्ट पर सीधे जवाब देने से परहेज करते हुए कहा, "मेरे लिए जम्मू और कश्मीर एक है और इसलिए मैं एक या दूसरे क्षेत्र के लिए पक्ष नहीं ले सकता।"
क्या है दरबार मूव
दरबानी मूव के तहत राजधानी बदलने पर सरकारी कार्यालय सिविल सचिवालय वगैरह का पूरा इंतजाम जम्मू से श्रीनगर और श्रीनगर से जम्मू ले जाया जाता था। इस प्रक्रिया को 'दरबार मूव' के नाम से जाना जाता है। इसके तहत गर्मियों के 6 महीने कामकाज श्रीनगर में होता था तो गर्मियों के 6 महीने कामकाज जम्मू से होता था। राजधानी बदलने की यह परंपरा 1862 में डोगरा शासक गुलाब सिंह ने शुरू की थी। गुलाब सिंह महाराजा हरि सिंह के पूर्वज थे। हरि सिंह के समय ही जम्मू-कश्मीर भारत का अंग बना था। उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने 20 जून को इस प्रथा को समाप्त करने की घोषणा की थी।