पाकिस्तान के शरणार्थियों को जम्मू-कश्मीर में मिला जमीन का मालिकाना हक, 70 साल से कर रहे थे मांग
PoK से आए विस्थापित लोगों को भी इसी तरह का अधिकार प्रदान किया गया था। अधिकारियों ने कहा कि इससे जम्मू क्षेत्र में बसे पश्चिमी पाकिस्तान से विस्थापित हजारों परिवारों को सशक्त बनाया जा सकेगा।
जम्मू और कश्मीर सरकार ने एक बेहद महत्वपूर्ण फैसला लिया है। प्रशासन ने पश्चिमी पाकिस्तान के शरणार्थियों (WPRs) को उस जमीन पर स्वामित्व के अधिकार प्रदान किए हैं, जिस पर उनके पूर्वजों को लगभग 70 साल पहले तत्कालीन राज्य सरकार द्वारा बसाया गया था। इस ऐतिहासिक फैसले का उद्देश्य उन शरणार्थी परिवारों को राहत और सुरक्षा प्रदान करना है, जिन्होंने वर्षों से अपनी जमीन पर कब्जे के अधिकार की लड़ाई लड़ी है।
यह निर्णय जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा की अध्यक्षता में श्रीनगर में हुई प्रशासनिक परिषद की बैठक में लिया गया। बैठक में जम्मू-कश्मीर सरकार के सलाहकार राजीव राय भटनागर, मुख्य सचिव अटल डुल्लू और उपराज्यपाल के प्रमुख सचिव मंदीप के भंडारी शामिल हुए। अधिकारियों ने बताया कि इस फैसले से पश्चिमी पाकिस्तान से विस्थापित लोगों के साथ सात दशक से अधिक पुराना भेदभाव समाप्त हो गया है, क्योंकि अब उन्हें भी राज्य की भूमि पर मालिकाना हक प्रदान किया गया है।
इससे पहले पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) के क्षेत्रों से आए विस्थापित लोगों को भी इसी तरह का अधिकार प्रदान किया गया था। अधिकारियों ने कहा कि इससे जम्मू क्षेत्र में बसे पश्चिमी पाकिस्तान से विस्थापित हजारों परिवारों को सशक्त बनाया जा सकेगा। इन परिवारों को "गैर-राज्य विषय" माना जाता था और उन्हें तत्कालीन जम्मू-कश्मीर राज्य में विधानसभा चुनावों में वोट देने का कोई अधिकार नहीं था। इन्हें 5 अगस्त, 2019 को अनुच्छेद 370 के निरस्त होने के मद्देनजर भारत सरकार द्वारा अधिवास का दर्जा दिया गया था।
वर्ष 2019 में राज्य के पुनर्गठन के बाद भारत सरकार द्वारा पश्चिमी पाकिस्तान के विस्थापितों को डोमिसाइल अधिकार प्रदान किए गए हैं। यह निर्णय उन सभी जुड़े हुए परिवारों की मांगों को पूरा करता है, जो पिछले कई दशकों से स्वामित्व अधिकार के लिए अनुरोध कर रहे हैं। पश्चिमी पाकिस्तान के विस्थापितों को राज्य की भूमि पर मालिकाना अधिकार मिलने से वे पीओजेके के विस्थापितों के बराबर आ जाएंगे और उनकी लंबे समय से लंबित मांग भी पूरी हो जाएगी।
प्रशासनिक परिषद ने राज्य भूमि के संबंध में 1965 के विस्थापित लोगों को मालिकाना अधिकार प्रदान करने को भी मंजूरी दी। सरकार हमेशा 1965 के विस्थापितों को लाभ प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध रही है जैसा कि 1947 और 1971 के विस्थापितों को दिया गया है। राजस्व विभाग यह सुनिश्चित करेगा कि राज्य भूमि पर किसी भी दुरुपयोग विशेष रूप से अनधिकृत अतिक्रमण को रोकने के लिए परिचालन दिशानिर्देशों में उचित सुरक्षा उपाय किये जाएं। बैठक में उपराज्यपाल के सलाहकार राजीव राय भटनागर, मुख्य सचिव अटल डुल्लू, उपराज्यपाल के प्रमुख सचिव डॉ मंदीप के भंडारी उपस्थित हुए।