Hindi Newsजम्मू और कश्मीर न्यूज़Hazratbal Dargah Imam Dr Kamal-ud-din Farooqui terrified by Waqf Board 350 year old legacy as Waqf drags feet over reinstatement

वक्फ बोर्ड के एक्शन से दहशत में हजरतबल दरगाह इमाम, 350 साल पुरानी विरासत पर क्यों लटकी तलवार?

Jammu-Kashmir: जम्मू-कश्मीर वक्फ बोर्ड ने हजरतबल दरगाह के इमाम फारूकी को वहां किसी भी तरह की इबादत करने से रोक दिया है।  उन पर हरियाणा के एक हिंदू व्यक्ति के इस्लाम में धर्मांतरण कराने का आरोप है।

वक्फ बोर्ड के एक्शन से दहशत में हजरतबल दरगाह इमाम, 350 साल पुरानी विरासत पर क्यों लटकी तलवार?
Pramod Praveen आशिक हुसैन, हिन्दुस्तान टाइम्स, श्रीनगरMon, 29 July 2024 12:23 PM
share Share

कश्मीर के सबसे प्रतिष्ठित दरगाह हजरतबल दरगाह के इमाम डॉ. कमाल-उद-दीन फारूकी ने धर्मांतरण विवाद में केंद्र शासित प्रदेश के उप राज्यपाल मनोज सिन्हा से दखल देने की गुहार लगाई है। फारुकी को 
धर्मांतरण विवाद के कारण इसी साल अप्रैल में इमाम के पद से हटा दिया गया था। अब भाजपा नेता दरक्षण अंद्राबी के नेतृत्व वाला जम्मू-कश्मीर वक्फ बोर्ड उनकी पुनर्बहाली को रोकने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगा रहा है लेकिन उसके खिलाफ फारुकी ने राजभवन का दरवाजा खटखटाया है।

वक्फ बोर्ड ने हजरतबल दरगाह मे्ं फारूकी को किसी भी तरह की इबादत करने से रोक दिया है।  उन पर हरियाणा के एक हिंदू व्यक्ति के इस्लाम में धर्मांतरण कराने का आरोप है। इससे जुड़ा उनका एक वीडियो वायरल हुआ था, जिसके बाद पुलिस ने कथित तौर पर 'समाज में अव्यवस्था फैलाने और धार्मिक उन्माद फैलाने के आरोप में  उनके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की थी। वक्फ बोर्ड ने उन पर जबरन धर्मांतरण कराने का आरोप लगाते हुए कहा कि इसमें उचित प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया था। वक्फ बोर्ड ने इस घटना की जांच के लिए 8 अप्रैल को तीन सदस्यीय कमेटी भी बनाई थी, जिसे सात दिन में रिपोर्ट देने को कहा गया था लेकिन  महीने बाद भी बोर्ड ने न तो अपनी जांच सार्वजनिक की है और न ही फारूकी को फिर से इमाम के पद पर बहाल किया है।

फारूकी का परिवार पिछले 350 वर्षों से हजरतबल दरगाह के इमाम का काम करता रहा है। वक्फ बोर्ड के इस दांव से अब फारुकी को अपने साढ़े तीन सौ साल पुरानी विरासत को खोने का भय सता रहा है। उन्होंने अपने भाई की मौत के बाद 2018 में दरगाह हजरतबल के इमाम का पद संभाला था। फारूकी ने कहा, “मेरा परिवार पिछले 350 वर्षों से दरगाह शरीफ में सभी इबादत का नेतृत्व करता रहा है। पिछली 18 पीढ़ियों से हमारा परिवार यह कर्तव्य निभाता रहा है लेकिन मुझे नहीं पता कि मेरी तरफ से कुछ भी गलत न होने के बावजूद क्यों मुझसे यह काम छीन लिया गया।''

इस बारे में जब हिन्दुस्तान टाइम्स ने वक्फ बोर्ड के चेयरपर्सन दरक्षण अंद्राबी से प्रतिक्रिया जाननी चाही तो बार-बार कॉल करने के बावजूद उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया। हालांकि वक्फ की तीन सदस्यीय जांच समिति के प्रमुख सैयद मोहम्मद हुसैन ने एचटी को बताया कि उन्होंने अपनी जांच रिपोर्ट पहले ही वक्फ नेतृत्व को सौंप दी है। उन्होंने कहा, ''मैं यह नहीं बता सकता कि रिपोर्ट में क्या है क्योंकि यह गोपनीय है लेकिन हमने फारूकी साहब समेत सभी लोगों से बात की है और पुलिस रिपोर्ट भी मांगी। सब कुछ उच्च अधिकारियों को भेज दिया गया है।”

72 वर्षीय फारूकी शेर-ए-कश्मीर यूनिवर्सिटी ऑफ एग्रीकल्चरल साइंसेज एंड टेक्नोलॉजी में प्रोफेसर और प्रमुख मुख्य वैज्ञानिक के पद से रिटायर हुए हैं। शिक्षाविद फारूकी ने जीवन भर अध्यात्मवाद और इस्लामी अध्ययन में भी योगदान दिया। फ्रेंच यूनिवर्सिटी ऑफ बोर्डोक्स से प्लांट ब्रीडिंग और जेनेटिक्स में डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्त करने वाले फारूकी अपने भाई सैयद अहमद फारूकी की मृत्यु के बाद 2018 में इमाम के रूप में पदभार संभालने से पहले पिछले तीन दशकों से महत्वपूर्ण धार्मिक अवसरों पर दरगाह में उपदेश देते रहे हैं।

जिस कथित धर्म परिवर्तन के आरोप में उनकी इमामगिरी खत्म की गई है, वह 5 अप्रैल को रमज़ान के आखिरी शुक्रवार के दिन हजारों लोगों की मौजूदगी में हुआ था। उस दिन हरियाणा का एक व्यक्ति अपने कश्मीरी नियोक्ता और वक्फ के अन्य सदस्यों के साथ फारूकी के पास अपने धर्म परिवर्तन के अनुरोध के साथ पहुंचा था। वीडियो में फारूकी को उस व्यक्ति से सवाल करते हुए दिखाया गया है कि क्या उसे धर्म परिवर्तन के लिए मजबूर तो नहीं  किया गया या कोई रिश्वत तो नहीं दी गई थी। इस पर उस व्यक्ति ने नकारात्मक जवाब दिया था।

लेटेस्ट   Hindi News ,    बॉलीवुड न्यूज,   बिजनेस न्यूज,   टेक ,   ऑटो,   करियर , और   राशिफल, पढ़ने के लिए Live Hindustan App डाउनलोड करें।

अगला लेखऐप पर पढ़ें