Hindi Newsजम्मू और कश्मीर न्यूज़Decision to reopen 34-year-old Kashmiri Hindu genocide case SIA seeks information on 1989 Justice Ganju murder case

34 साल पुराने कश्मीरी हिंदू नरसंहार केस को फिर से खोलने का फैसला, SIA ने जज गंजू मर्डर केस में मांगी जानकारी

Jammu Kashmir: दोबारा खोले जा रहे मामलों में पहला केस रिटायर्ड जस्टिस नीलकंठ गंजू के मर्डर से जुड़ा है जिनकी हत्या यासीन मलिक के जेकेएलएफ आतंकवादियों ने 4 नवंबर 1989 को श्रीनगर में कर दी थी।

Pramod Praveen लाइव हिन्दुस्तान, नई दिल्लीTue, 8 Aug 2023 05:51 AM
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Jammu Kashmir:  भारत सरकार ने एक ऐतिहासिक कदम उठाते हुए 34 साल बाद 1989-90 के कश्मीरी हिंदू नरसंहार के मामलों को फिर से खोलने का फैसला किया है। दोबारा खोले जा रहे मामलों में पहला केस रिटायर्ड जज नीलकंठ गंजू के मर्डर से जुड़ा है, जिनकी हत्या यासीन मलिक के जेकेएलएफ आतंकवादियों ने 4 नवंबर 1989 को श्रीनगर में कर दी थी। जज गंजू ने ही जेकेएलएफ आतंकी मकबूल बट को फांसी की सजा सुनाई थी। ये सजा ब्रिटेन में भारतीय राजनयिक रवींद्र महात्रे की हत्या का दोषी करार दिए जाने के बाद दी गई थी।

तीन दशक पहले सेवानिवृत्त न्यायाधीश, नीलकंठ गंजू की हत्या के पीछे बड़ी आपराधिक साजिश का पता लगाने के लिए, जम्मू-कश्मीर की राज्य जांच एजेंसी (SIA) ने एक विज्ञप्ति जारी कर इस हत्याकांड के तथ्यों या परिस्थितियों से परिचित सभी लोगों से आगे आने और उसकी जानकारी साझा करने की अपील की है। 

जिला और सत्र न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में गंजू ने अगस्त 1968 में जम्मू-कश्मीर लिबरेशन फ्रंट के संस्थापक और नेता मकबूल भट को 1966 में पुलिस इंस्पेक्टर अमर चंद की हत्या के लिए मौत की सजा सुनाई थी। सेवानिवृत्ति के बाद 67 वर्षीय गंजू की 4 नवंबर, 1989 को श्रीनगर में आतंकवादियों द्वारा गोली मारकर हत्या कर दी गई थी।

जज गंजू द्वारा 1968 में दिए गए भट की सजा को 1982 में सुप्रीम कोर्ट ने भी बरकरार रखा था। इसके बाद 1984 में भट को तिहाड़ जेल में फांसी दे दी गई थी।

एक विज्ञप्ति में, एसआईए ने गंजू हत्या मामले के तथ्यों या परिस्थितियों से परिचित सभी लोगों से अपील की कि वे आगे आएं और उन घटनाओं का विवरण साझा करें जिनका प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से तत्काल मामले की जांच पर असर हो। एसआईए ने यह भी कहा है कि ऐसे सभी व्यक्तियों की पहचान छिपाकर रखी जाएगी।

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