जाफर एक्सप्रेस के हर यात्री की बलूच विद्रोहियों ने क्यों चेक की आईडी, ऐसे लोगों को मार डाला या ले गए
- बलूच विद्रोहियों का पंजाबी मूल के लोगों को प्रति गुस्सा रहा है। वे लंबे समय से पंजाबियों की टारगेट किलिंग करते रहे हैं। बीते साल की शुरुआत से लेकर अब तक कई ऐसे मामले सामने आए हैं, जब बलूच विद्रोहियों ने पंजाबियों की टारगेट किलिंग की है। कई बार हाईवेज पर बसों को रुकवाकर पंजाबियों को मार डाला गया।

पाकिस्तान के विद्रोही संगठन बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी के लोगों ने मंगलवार को जाफर एक्सप्रेस ट्रेन को ही बंधक बना लिया। करीब 24 घंटे बीतने को हैं, लेकिन अब तक पाकिस्तानी सुरक्षा बल ट्रेन को छुड़ाने में नाकाम रहे हैं। इस बीच बलूच विद्रोहियों ने ट्रेन सवार कई आम लोगों और सुरक्षाकर्मियों का कत्ल कर दिया है। यह हमला विद्रोहियों ने रॉकेट लॉन्चर, बंदूकों और बमों के जरिए किया। सबसे पहले उन्होंने ट्रेन के ड्राइवर पर ही हमला किया और उसे गिराने के बाद ट्रेन पर कब्जा जमा लिया। इस घटना में अब तक एक दर्जन से ज्यादा पाकिस्तानी सुरक्षाकर्मियों के मारे जाने की खबर है। यही नहीं पाकिस्तानी मीडिया की रिपोर्ट के अनुसार विद्रोहियों ने खासतौर पर पंजाबी मूल के लोगों को निशाना बनाया है।
बलूच विद्रोहियों की कैद से रिहा हुए लोगों ने पूरी कहानी सुनाई है। रिहा होने के बाद कई किलोमीटर चलकर पास के एक रेलवे स्टेशन पर पहुंचे अल्लाहदित्ता नाम के शख्स ने बताया कि विद्रोहियों ने ट्रेन में सवार लोगों की आईडी चेक की। अल्लाहदित्ता ने बताया, 'हम पहाड़ों के बीच से लंबा रास्ता तय करते हुए पहुंचे हैं। मैंने सुबह से रोजा रखा था और अब तक रोजा नहीं खोल सका हूं। इसकी वजह थी कि खाने का मौका ही नहीं मिला।' वहीं एक अन्य यात्री का कहना था कि विद्रोहियों के निशाने पर पंजाबी मूल के लोग थे। यात्री ने बताया कि विद्रोहियों ने आईडी कार्ड चेक किए। वे यह जानना चाहते थे कि कौन बलूचिस्तान का है और कौन बाहर का। खासतौर पर पंजाबी मूल के लोगों की उन्हें तलाश थी।
एक यात्री ने नाम उजागर न करते हुए बताया कि वह 4 घंटे पैदल चलकर पास के एक स्टेशन पहुंचे। उन्होंने बताया, 'वे लोग आए और आईडी चेक की। इसके अलावा सर्विस कार्ड भी चेक किए गए। मेरे आगे ही दो सैनिकों को गोली मार दी और बाकी 4 को ले गए। मुझे यह पता नहीं कि उन लोगों को कहां ले जाया गया।' उसने कहा कि उन लोगों ने आईडी चेक करने के बाद जिसे पाया कि वह पंजाबी है, उसे साथ लेकर चले गए। दरअसल बलूच विद्रोहियों का पंजाबी मूल के लोगों को प्रति गुस्सा रहा है। वे लंबे समय से पंजाबियों की टारगेट किलिंग करते रहे हैं। बीते साल की शुरुआत से लेकर अब तक कई ऐसे मामले सामने आए हैं, जब बलूच विद्रोहियों ने पंजाबियों की टारगेट किलिंग की है। कई बार हाईवेज पर बसों को रुकवाकर पंजाबियों को मार डाला गया।
बलूच लिबरेशन आर्मी का मानना रहा है कि बलूचिस्तान के प्राकृतिक संसाधनों का पंजाबी मूल के लोग दोहन करते रहे हैं। इसके अलावा सेना, नौकरशाही, न्यायपालिका और सत्ता में पंजाबी मूल के लोगों की बहुलता को लेकर भी एक गुस्सा रहा है। हालांकि पंजाबी मूल के लोगों के अलावा सिंधी, पठान आदि लोगों को ये लोग निशाना बनाने से बचते रहे हैं। इसकी वजह है कि ये मानते हैं कि पंजाबी मूल के लोग पूरे देश में ही संसाधनों पर कब्जा जमाए हुए हैं। बलूचिस्तान में तो पाकिस्तान से आजादी का संघर्ष 1947 के बाद से ही जारी है। बलूचिस्तान के शासक कलात के खान थे, जो पाकिस्तान में विलय के पक्ष में नहीं थे।
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