जब लेबनान से इजरायली सैनिकों को खदेड़ने के लिए भेजी गई भारतीय सेना, क्या है UNIFIL मिशन?
- हिजबुल्लाह और इजरायल के बीच कई बार भीषण लड़ाई हुई। दोनों देशों के बीच गहराए इस विवाद के कारण हजारों लोगों की जानें गईं और लेबनान का बुनियादी ढांचा बुरी तरह से प्रभावित हुआ।
लेबनान और इजरायल के बीच का संघर्ष 1948 में इजरायल की स्थापना के बाद शुरू हुआ और कई बार युद्धों और टकरावों में बदल चुका है। प्रमुख रूप से, 1982 में इजरायल ने दक्षिणी लेबनान पर आक्रमण किया, जिसके जवाब में हिजबुल्लाह नामक शिया मिलिशिया उभरा और इसने इजरायल के खिलाफ संघर्ष किया। 2006 का युद्ध इस संघर्ष का मुख्य अध्याय था, जिसमें हिजबुल्लाह और इजरायल के बीच भीषण लड़ाई हुई। दोनों देशों के बीच गहराए इस विवाद के कारण हजारों लोगों की जानें गईं और लेबनान का बुनियादी ढांचा बुरी तरह से प्रभावित हुआ। हालांकि, संघर्ष अभी भी पूरी तरह समाप्त नहीं हुआ है। इसे खत्म करने के लिए संयुक्त राष्ट्र (UN) ने भी UNIFIL मिशन के तहत कई प्रयास किए।
संयुक्त राष्ट्र अंतरिम बल लेबनान (United Nations Interim Force in Lebanon) एक महत्वपूर्ण शांति मिशन है, जिसे संयुक्त राष्ट्र ने लेबनान में शांति और स्थिरता बनाए रखने के उद्देश्य से स्थापित किया था। यह बल लेबनान और इजरायल के बीच लंबे समय से चले आ रहे संघर्ष के बाद स्थापित किया गया था, जिसमें भारत की भूमिका विशेष रूप से महत्वपूर्ण रही है। आज हम UNIFIL की स्थापना, उसके उद्देश्यों और भारत द्वारा निभाई गई महत्वपूर्ण भूमिका के बारे में विस्तार से जानेंगे।
UNIFIL की स्थापना और उद्देश्य
UNIFIL की स्थापना 1978 में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) के प्रस्ताव 425 और 426 के माध्यम से की गई थी। इसका मुख्य उद्देश्य दक्षिणी लेबनान से इजरायली सैनिकों को खदेड़ना, अंतर्राष्ट्रीय शांति और सुरक्षा बनाए रखना, और लेबनान सरकार को क्षेत्र में अपना नियंत्रण स्थापित करने में मदद करना था।
यह मिशन इजरायल और लेबनान के बीच के युद्धों और टकरावों के बाद शुरू किया गया था, खासकर 1978 के दक्षिणी लेबनान के इजरायली आक्रमण के बाद। इस मिशन का एक और महत्वपूर्ण उद्देश्य यह भी था कि लेबनान में सक्रिय आतंकवादी समूहों के प्रभाव को कम किया जाए और क्षेत्र में स्थायी शांति की स्थापना की जा सके।
UNIFIL के मुख्य कार्य
UNIFIL के पास कई जिम्मेदारियां हैं, जो इसके स्थापना उद्देश्यों के तहत आती हैं। इनमें शामिल हैं:
संघर्ष रोकने का प्रयास – UNIFIL ने दक्षिणी लेबनान में शांति बनाए रखने के लिए इजरायली और लेबनानी सेनाओं के बीच मध्यस्थता की। इसके तहत युद्धविराम की स्थिति सुनिश्चित करना और सीमा पर संघर्ष को रोकना इसके प्रमुख कार्यों में से एक है।
स्थानीय जनसंख्या की सुरक्षा – UNIFIL स्थानीय नागरिकों की सुरक्षा के लिए काम करता है। यह मिशन उन क्षेत्रों में तैनात रहता है जहां हिंसा की संभावना होती है, ताकि लोगों को हिंसक गतिविधियों से बचाया जा सके।
विकास और पुनर्निर्माण – UNIFIL ने न केवल शांति बनाए रखने का कार्य किया है, बल्कि दक्षिणी लेबनान के विकास और पुनर्निर्माण में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। इसके अंतर्गत स्थानीय बुनियादी ढांचे की बहाली, स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार, और शिक्षा के लिए सहायता प्रदान की गई है।
भारत की भूमिका
भारत ने UNIFIL के तहत एक प्रमुख भूमिका निभाई है। भारतीय सेना की टुकड़ियों ने इस मिशन में अपनी सेवाएं दी हैं, और भारत का योगदान इस मिशन के लिए महत्वपूर्ण रहा है।
1. भारतीय सेना का योगदान
भारत UNIFIL में अपने सैनिकों की तैनाती के माध्यम से लगातार योगदान देता रहा है। भारतीय सैनिक शांति स्थापना के कार्यों में अग्रणी रहे हैं और उन्होंने दक्षिणी लेबनान के संवेदनशील इलाकों में गश्त की, जिससे वहां स्थिरता बनाए रखने में मदद मिली।
2. भारतीय शांति सैनिकों का साहस
भारतीय शांति सैनिकों ने कई बार मुश्किल परिस्थितियों में अपनी अद्वितीय क्षमता और साहस का परिचय दिया है। इजरायल और हिजबुल्लाह के बीच के संघर्षों में भी भारतीय शांति सैनिकों ने स्थानीय नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित की और संघर्ष क्षेत्र में स्थिरता बनाए रखी। 2006 के इजरायल-लेबनान युद्ध के बाद, UNIFIL के तहत भारतीय शांति सैनिकों की जिम्मेदारियां और भी बढ़ गईं, क्योंकि उन्हें इजरायल और हिजबुल्लाह के बीच की तनावपूर्ण स्थिति को नियंत्रित करना था।
3. मेडिकल सहायता और नागरिक सेवाएं
भारतीय सैनिकों ने सिर्फ शांति बनाए रखने में ही नहीं, बल्कि नागरिक सेवाओं में भी महत्वपूर्ण योगदान दिया है। भारतीय मेडिकल टीमों ने लेबनान के नागरिकों को चिकित्सा सेवाएं प्रदान कीं, जो संघर्ष के दौरान विशेष रूप से महत्वपूर्ण थीं। भारतीय चिकित्सा दलों ने स्थानीय समुदायों को चिकित्सा सहायता प्रदान की, जिसमें प्राथमिक उपचार से लेकर जटिल चिकित्सा सेवाएं शामिल थीं।
4. शांति और सामुदायिक विकास में सहयोग
भारत ने दक्षिणी लेबनान में कई विकास परियोजनाओं में भी सहयोग किया है, जिसमें स्कूलों और स्वास्थ्य केंद्रों का निर्माण शामिल है। भारतीय शांति सैनिकों ने न केवल सुरक्षा प्रदान की बल्कि स्थानीय बच्चों के लिए शिक्षा के अवसर भी सुनिश्चित किए। भारतीय टुकड़ियों ने शांति के संदेश को बढ़ावा देने के लिए कई सांस्कृतिक और सामुदायिक कार्यक्रम भी आयोजित किए।
5. भारतीय कूटनीति की भूमिका
भारत की कूटनीतिक पहल UNIFIL मिशन में भी महत्वपूर्ण रही है। भारत ने संयुक्त राष्ट्र में लेबनान के मुद्दों पर महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है और शांति स्थापित करने की दिशा में अपना समर्थन दिया है। भारतीय राजनयिकों ने लेबनान में स्थिरता और शांति को प्रोत्साहित करने के लिए अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर लगातार काम किया है।
UNIFIL और भारतीय सैनिकों की चुनौतियां
हालांकि UNIFIL और भारतीय सैनिकों ने लेबनान में शांति बनाए रखने के लिए कड़ी मेहनत की है, लेकिन उन्हें कई चुनौतियों का भी सामना करना पड़ा है। इजरायल और हिजबुल्लाह के बीच के लगातार संघर्ष, और विभिन्न राजनीतिक ध्रुवीकरण के बीच मध्यस्थता करना मुश्किल काम रहा है। इसके बावजूद, भारतीय सैनिकों ने अपनी जिम्मेदारियों को पूरी निष्ठा और प्रतिबद्धता के साथ निभाया है। 16 जुलाई 2006 को इजरायली सैनिकों (आईडीएफ) द्वारा दागे गए टैंक के गोले के छर्रे से एक भारतीय सैनिक गंभीर रूप से घायल हो गया था। इसके बाद 29 जुलाई 2006 को दक्षिणी लेबनान में इजरायली हवाई हमले के दौरान उनकी चौकी क्षतिग्रस्त हो जाने से दो भारतीय सैनिक घायल हो गए। ऐसा कहा जाता है कि लेबनान में यूएन मिशन के तहत करीब एक हजार भारतीय सैनिकों की तैनाती हो चुकी है।
संयुक्त राष्ट्र अंतरिम बल लेबनान (UNIFIL) एक महत्वपूर्ण शांति मिशन है, जिसने क्षेत्रीय संघर्षों को कम करने और दक्षिणी लेबनान में स्थिरता लाने में बड़ी भूमिका निभाई है। भारत का इस मिशन में योगदान प्रशंसनीय रहा है। भारतीय सैनिकों ने न केवल सुरक्षा प्रदान की, बल्कि स्थानीय नागरिकों की भलाई के लिए भी काम किया। भारत का यह योगदान न केवल UNIFIL के उद्देश्यों को पूरा करने में मददगार रहा है, बल्कि यह वैश्विक शांति स्थापना में भारत की भूमिका को भी रेखांकित करता है।
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