न खिड़की, न रोशनदान: क्या था शेख हसीना का आईनाघर? जो गया फिर लौटकर नहीं आया
- शेख हसीना ने 21 अगस्त 2016 में बैरिस्टर अहमद बिन कासिम और उसके दो दन बाद पूर्व ब्रिगेडियर जनरल अब्दुल्लाहिल अमन आजमी को इसी यातना केंद्र में कैद कर दिया था लेकिन वे दोनों खुशकिस्मत निकले जो वहां से 6 अगस्त को आजाद कर दिए गए।
बांग्लादेश से भागकर दूसरे देश में शरण लेने के लिए मंजूरी का इंतजार कर रहीं पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना अपने राजनीतिक विरोधियों को जबरन गायब करने और उन्हें गुप्त ठिकाने पर कैद कर यातना देने के लिए जानी जाती रही हैं। अभी भी करीब 100 लोग ऐसे हैं, जो लापता हैं। गायब किए जाने वाले लोगों में राजनीतिक विरोधी से लेकर, पूर्व प्रधानमंत्री खालिदा जिया के बटे और कई सैन्य अधिकारी हैं। इन सभी को जबरन उठाकर ढाका के इस यातना केंद्र में कैद कर दिया जाता था लेकिन अब शेख हसीना के देश छोड़ने के बाद कुछ कैदियों को वहां से रिहा किया गया है।
हसीना के इस आईनाघर को हाउस ऑफ मिरर कहा जाता था। यह राजनीतिक कैदियों को यातना देने के लिए बनाया गया था। इनमें कोई खिड़की नहीं है। वहां रोशनी भी पहुंचना मुश्किल है। एक तरह से यह भयावह केंद्र है। वहां कैद हुए लोग यह बता पाने के लिए अमूमन ापस ही नहीं लौटते कि उन्होंने वहां क्या-क्या झेला है।
शेख हसीना ने 21 अगस्त 2016 में बैरिस्टर अहमद बिन कासिम और उसके दो दन बाद पूर्व ब्रिगेडियर जनरल अब्दुल्लाहिल अमन आजमी को इसी यातना केंद्र में कैद कर दिया था लेकिन वे दोनों खुशकिस्मत निकले जो वहां से 6 अगस्त को आजाद कर दिए गए। बांग्लादेश के अखबार डेली ऑब्जर्वर की एक रिपोर्ट में कहा या है कि शेख हसीना के देश से बागने के बाद कई चीजें दलनी शुर हो गई हैं। इसी क्रम में कासिम और आजमी को आईनाघर से रिहा कर दिया गया है। आठ साल तक इन दोनों को बिना किसी मुकदमे की सुनवाई के अंधेर कोठरी में अमानवीय हालत में रखा गया है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि शेख हसीन ने इसी रह के 23 अन्य गुप्त ठिकाने बना रखे थे, जहां राजनीतिक विरोधियों को यातना दी जाती थी। आईनाघर का संचालन बांग्लादेश की सैन्य खुफिया एजेंसी DGFI द्वारा किया जाता है। माना जाता है कि इस आईनाघर का इस्तेमाल शेख हसीना सिर्फ राजनीतिक विरोधियों के लिए ही नहीं बल्कि चरमपंथियों के लिए भी करती थीं। ह्यूमन राइट्स वॉच की एक रिपोर्ट के मुताबिक, जब से शेख हसीना बांग्लादेश की सत्ता में आई हैं यानी 2009 से अब तक 600 से अधिक लोगों को सुरक्षा बलों ने जबरन उठाकर गायब कर दिया है।
हालांकि, इनमें से कुछ को रिहा कर दिया गया और कुछ को कोर्ट में पेश किया गया है लेकिन 100 के करीब ऐसे लोग हैं, जिनका आजतक कोई अता-पता नहीं है। शेख हसीना ने कभी भी इन यातनाओं की जांच के लिए संयुक्त राष्ट्र के प्रस्ताव को नहीं माना। पूर्व प्रधानमंत्री खालिदा जिया के बेटे तारिक रहमान को भी आईनाघर में नजरबंद कर दिया गया था। बाद में वह देश छोड़कर लंदन चले गए। अब खबर है कि वह लंदन से ढाका लौटने की योजना बना रहे हैं।
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