पहले यूक्रेन को झुकाया, अब अमेरिका पर दबाव; पुतिन ने सीजफायर के लिए रखी लंबी डिमांड लिस्ट
- रूस का कहना है कि यदि इन मांगों को अमेरिका स्वीकार कर ले और यूक्रेन पर भी दबाव बनाए, तभी वह सीजफायर को स्वीकार कर सकेंगे। अब तक यह क्लियर नहीं है कि रूस के राष्ट्रपति ने क्या-क्या मांगें रखी हैं, लेकिन इतना साफ है कि नाटो की मेंबरशिप यूक्रेन को न मिली। यह मांग व्लादिमीर पुतिन ने रखी है।

व्लादिमीर पुतिन ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के माध्यम से यूक्रेन पर दबाव बनवाया था। इसके चलते यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की दबाव में नजर आए हैं और उन्होंने पहले राउंड में 30 दिन के सीजफायर पर सहमति जताई है। अब जब जेलेंस्की राजी हो गए हैं तो फिर व्लादिमीर पुतिन अमेरिका पर भी दबाव बनाने में जुटे हैं। उन्होंने सीजफायर पर अमल के लिए लंबी डिमांड लिस्ट रख दी है। उनका कहना है कि यदि इन मांगों को अमेरिका स्वीकार कर ले और यूक्रेन पर भी दबाव बनाए, तभी वह सीजफायर को स्वीकार कर सकेंगे। अब तक यह क्लियर नहीं है कि रूस के राष्ट्रपति ने क्या-क्या मांगें रखी हैं, लेकिन इतना साफ है कि नाटो की मेंबरशिप यूक्रेन को न मिली। यह मांग व्लादिमीर पुतिन ने रखी है।
रूसी राष्ट्रपति के करीबी सूत्रों का कहना है कि व्लादिमीर पुतिन ने साफ कर दिया है कि अमेरिका और नाटो वादा करें कि यूक्रेन को मेंबरशिप नहीं दी जाएगी। इसके अलावा यह भी कहा जाए कि नाटो का विस्तार ऐसे नहीं किया जाएगा कि रूस के पड़ोसी देशों को शामिल किया जाए। दरअसल रूस यह गारंटी चाहता है कि नाटो का विस्तार पूर्वी यूरोप में न हो, जहां उसकी सीमा से लगते देश हैं। यूक्रेन पर रूसी हमले की वजह भी यही थी। रूस लगातार कह रहा था कि नाटो देशों की ओर से यूक्रेन में सेना तैनात की जा सकती है और उसे मेंबरशिप मिल सकती है। ऐसा हुआ तो उसकी सीमाओं को खतरा होगा। इसी तनाव के बीच उसने यू्क्रेन पर फरवरी 2022 में भीषण हमला बोल दिया था। यह जंग अब पहले से धीमी तो है, लेकिन रुक-रुक कर संघर्ष की स्थिति जारी है।
पुतिन की बड़ी डिमांड- कब्जाए 4 इलाकों को मान्यता दे अमेरिका
अमेरिका से रूस की एक और मांग है। व्लादिमीर पुतिन चाहते हैं कि अमेरिका यह माने कि क्रीमिया समेत यूक्रेन के वे 4 इलाके रूस के ही हैं, जिन पर उसने कब्जा जमा लिया है। सऊदी अरब में हाल ही में यूक्रेन और अमेरिका के अधिकारियों की मीटिंग हुई थी। इसमें जेलेंस्की का कहना है कि हम सीजफायर के लिए तैयार हैं। लेकिन अब रूस ने नई शर्तें लगा दी हैं। व्लादिमीर पुतिन सरकार का कहना है कि नाटो वादा करे कि पूर्वी यूरोप और सेंट्रल एशिया में वह अपना विस्तार नहीं करेगा। ऐसा ही भरोसा रूस ने यूक्रेन को लेकर मांगा था। ऐसा नही नहीं हुआ तो फिर फरवरी 2022 में उसने अटैक ही कर दिया। रूस का साफ कहना है कि वह यूक्रेन को ऐसे मुल्क के तौर पर नहीं देखना चाहता, जो उसके पड़ोस में एक खतरे की तरह हो। यदि वह नाटो में एंट्री करेगा तो वह खतरा बनेगा।
ट्रंप प्रशासन के सीजफायर को लेकर दो ही मकसद
ट्रंप प्रशासन ने अब तक यह साफ नहीं किया है कि वह रूस से किस आधार पर सीजफायर चाहता है। लेकिन इतना साफ है कि रूस के साथ कारोबारी रिश्ते और यूक्रेन से शांति समझौता उसकी प्राथमिकता है। फिलहाल अमेरिका की कोशिश है कि सऊदी अरब के अलावा तुर्की को भी वार्ता में शामिल किया जाए। रूस करीब दो दशकों से अमेरिका से डिमांड करता रहा है कि वह वादा करे कि उसकी सेनाएं पड़ोस में नहीं रहेंगी।
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