हिंदुओं को भुगतना पड़ता है, संसद में क्यों भड़क गए विदेशी सांसद; सुनें भाषण
- अगस्त की शुरुआत से ही बांग्लादेश में हिंसा तेज हो गई थी। उस दौरान तत्कालीन प्रधानमंत्री शेख हसीना को भी सुरक्षा के लिहाज से पद छोड़कर बांग्लादेश से बाहर निकलना पड़ा था। फिलहाल, वह भारत में हैं। बांग्लादेश के कई इलाकों में हिंदू परिवारों को निशाना बनाए जाने की कई खबरें भी सामने आई थीं।
बांग्लादेश में हिंदू समुदाय के खिलाफ हुई हिंसा का मुद्दा कनाडा में भी गूंजा। खबर है कि भारतवंशी सांसद चंद्र आर्य ने बांग्लादेश में हिंदुओं की स्थिति को लेकर चिंता जाहिर की। उन्होंने कहा कि बांग्लादेश में जब भी परेशानी आती है, तो इसका खामियाजा हिंदुओं को भुगतना पड़ता है। इस दौरान उन्होंने मुल्क में समुदाय की घटती आबादी से जुड़े आंकड़े भी पेश किए।
आर्य ने लिखा, 'हिंदू, बौद्ध और ईसाइयों समेत कई अल्पसंख्यकों को निशाना बनाकर बांग्लादेश में की जा रही हिंसा से मैं बहुत चिंतित हूं। जब भी बांग्लादेश में अस्थिरता होती है, तो धार्मिक अल्पसंख्यक और खासतौर से हिंदू समुदाय को इसका खामियाजा भुगतना पड़ता है। बांग्लादेश को साल 1971 में मिली आजादी के बाद से अब तक धार्मिक अल्पसंख्यकों की आबादी की हिस्सेदारी तेजी से घटी है।'
उन्होंने कहा, 'करीब 20 प्रतिशत हिंदू समेत 23.1 फीसदी से घटकर यह आंकड़ा 9.6 प्रतिशत पर आ गया है, जिसमें करीब 8.5 हिंदू हैं। बांग्लादेश में जिन कनाडाई हिंदुओं के परिवार हैं, उन्हें अपने परिवार, उनके मंदिर और संपत्तियों की चिंता सता रही है।' उन्होंने जानकारी दी, 'वो वहां की मौजूदा स्थिति को बताने के लिए अगले सोमवार, 23 सितंबर को पार्लियामेंट हिल पर रैली करेंगे। इसमें कनाडाई बौद्ध और ईसाई भी शामिल होंगे।'
हिंदुओं पर हमले
अगस्त की शुरुआत से ही बांग्लादेश में हिंसा तेज हो गई थी। उस दौरान तत्कालीन प्रधानमंत्री शेख हसीना को भी सुरक्षा के लिहाज से पद छोड़कर बांग्लादेश से बाहर निकलना पड़ा था। फिलहाल, वह भारत में हैं। हिंसा के दौर में बांग्लादेश के कई इलाकों में हिंदू परिवारों को निशाना बनाए जाने की कई खबरें भी सामने आई थीं।
हालांकि, खबरें थीं कि शेख हसीना सरकार के गिरने के बाद कमान संभालने वाली अंतरिम सरकार के मुख्य मोहम्मद यूनुस ने हिंदू समुदाय से संपर्क साधा था। हिंदू परिवारों के घर और दुकानों के अलावा कई स्थानों पर मंदिरों को भी नुकसान पहुंचाया गया था।
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