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चाबहार पोर्ट को लेकर अमेरिका का झटका, भारत समेत अन्य देशों की छूट कैंसिल

चाबहार पोर्ट को लेकर अमेरिका का झटका, भारत समेत अन्य देशों की छूट कैंसिल

संक्षेप: Chabahar Port: अमेरिका के ट्रंप प्रशासन ने ईरान की इस्लामिक शासन पर दबाव डालने की रणनीति के तहत चाबहार पोर्ट को मिलने वाली छूट को खत्म कर दिया है। चूंकि भारत इस पोर्ट के विकास में योगदान दे रहा है, ऐसे में छूट के खत्म होने का सीधा असर पड़ेगा।

Fri, 19 Sep 2025 01:00 AMUpendra Thapak लाइव हिन्दुस्तान
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ईरान के चाबहार पोर्ट को लेकर अमेरिका ने भारत समेत कई देशों को झटका दिया है। ईरान और अधिक कूटनीतिक दबाव डालने के लिए ट्रंप प्रशासन ने चाबहार के संबंध में 2018 से दी गई छूट को रद्द करने का फैसला लिया है। अमेरिकी सरकार के इस फैसले का असर भारत के ऊपर भी पड़ेगा क्योंकि भारत इस रणनीतिक बंदरगाह के एक टर्मिनल के विकास में शामिल है।

अमेरिका के विदेश विभाग के बयान के मुताबिक ईरानी शासन को अलग-थलग करने के लिए राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की अधिकतम दबाव वाली रणनीति के अनुरूप अमेरिकी सरकार ने यह फैसला लिया है। इसके तहतअफगानिस्तान पुनर्निर्माण सहायता और आर्थिक विकास के लिए ईरान स्वतंत्रता और प्रसार रोधी अधिनियम (आईएफसीए) के तहत 2018 में जारी प्रतिबंध अपवाद को रद्द कर दिया है, जो 29 सितंबर, 2025 से प्रभावी होगा। बयान में कहा गया, "एक बार जब यह प्रतिबंध प्रभावी हो जाएगा, तो जो लोग चाबहार बंदरगाह का संचालन करते हैं या आईएफसीए में वर्णित अन्य गतिविधियों में संलग्न हैं, वे आईएफसीए के तहत प्रतिबंधों के दायरे में आ सकते हैं।"

गौरतलब है कि अमेरिका के इन प्रतिबंधों का असर भारत पर भी होगा। क्योंकि भारत के लिए यह बंदरगाह केवल एक व्यापारिक महत्व का ही नहीं बल्कि रणनीति के हिसाब से भी महत्वपूर्ण था। चाबहार के जरिए भारत की मध्य एशिया तक पहुंच सुनिश्चित होती थी, जिससे उसे पाकिस्तान को बायपास करने में आसानी होती है। यह साउथ ट्रांसपोर्ट कॉरिडोर का महत्वपूर्ण भाग है, जो भारत-ईरान को मध्य एशिया के देशों के जोड़ते हुए यूरोप तक ले जाता है।

आपको बता दें कि अमेरिका ने 2018 में ईरान पर कड़े प्रतिबंध लगाने के बावजूद चाबहार को विशेष छूट दी थी। लेकिन अब अमेरिकी प्रशासन के फैसले के बाद यह छूट खत्म हो गई है। इसके बाद अगर कोई कंपनी या देश चाबहार पोर्ट से जुड़ी गतिविधियों में शामिल होता है, तो उसके ऊपर अमेरिकी प्रतिबंध लगाए जा सकते हैं। भारत के ऊपर इस फैसले का सीधा असर होना तय है क्योंकि भारत की कई सरकारी और प्राइवेट कंपनियां यहां पर निवेश कर रही हैं।

Upendra Thapak

लेखक के बारे में

Upendra Thapak
उपेन्द्र पिछले कुछ समय से लाइव हिन्दुस्तान के साथ बतौर ट्रेनी कंटेंट प्रोड्यूसर जुड़े हुए हैं। पत्रकारिता की पढ़ाई भारतीय जनसंचार संस्थान, नई दिल्ली (2023-24 बैच) से पूरी की है। इससे पहले भोपाल के बरकतउल्ला विश्वविद्यालय से अपना ग्रैजुएशन पूरा किया। मूल रूप से मध्यप्रदेश के भिंड जिले के रहने वाले हैं। अंतर्राष्ट्रीय संबंधों, राजनीति के साथ-साथ खेलों में भी दिलचस्पी रखते हैं। और पढ़ें

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