डोनाल्ड ट्रंप को नहीं मिला नोबेल शांति पुरस्कार, मारिया कोरिना मचाडो बनीं विनर
संक्षेप: अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप नोबेल पुरस्कार के लिए खुलेआम दावा ठोक चुके हैं। लेकिन नोबेल समिति ने उनका यह सपना तोड़ दिया है। इस वर्ष का नोबेल शांति पुरस्कार वेनेजुएला की मारिया कोरिना माचडो को दिया गया है।

अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप नोबेल पुरस्कार के लिए खुलेआम दावा ठोक चुके हैं। लेकिन नोबेल समिति ने उनका यह सपना तोड़ दिया है। इस वर्ष का नोबेल शांति पुरस्कार मारिया कोरिना माचडो को दिया गया है। मारिया मचाडो वेनेजुएला की नेता प्रतिपक्ष हैं उन्होंने वहां पर लोकतांत्रिक अधिकारों को बढ़ावा देने और तानाशाही से लोकतंत्र की ओर अपने देश को ले जाने के लिए लगातार संघर्ष किया है।
ट्रंप के तमाम दावों और उनके समर्थक देशों की तरफ से किए जा रहे खुले समर्थन के समिति ने ट्रंप की जगह मारिया का नाम चुना। समिति ने मारिया के नाम की घोषणा करते हुए कहा कि वेनेजुएला जैसे देश में तानाशाही के कारण राजनीतिक काम करना आसान नहीं है। मारिया लगातार अपने देश में तानाशाही के बाद भी निष्पक्ष चुनावों की मांग कर रही है। आपको बता दें नोबेल पीस प्राइज (सोने का मेडल) के साथ अब मारिया को 11 मिलियन स्वीडिश क्रोना और एक सर्टिफिकेट मिलेगा। यह पुरस्कार 10 दिसंबर को ओस्लो में दिए जाएंगे।
गौरतलब है कि नोबेल शांति पुरस्कार के लिए डोनाल्ड ट्रंप कई बार खुले तौर पर अपने दिल की इच्छा को जाहिर कर चुके थे। इजरायल, पाकिस्तान, जैसे देश संयुक्त राष्ट्र के मंच से उनके लिए नोबेल की मांग कर चुके थे, कुल मिलाकर करीब आठ देशों ने ट्रंप को नोबेल के लिए नामांकित किया था। लेकिन इसके बाद भी नोबेल समिति ने ट्रंप का नाम नहीं माना। नोबेल पुरस्कार की घोषणा के पहले ट्रंप ने अपनी झुंझलाहट जाहिर की थी। उन्होंने कहा, “मैंने आठ युद्ध रुकवाए हैं। ऐसा पहले कभी नहीं हुआ। अब उन्हें (नोबेल समिति) को जो करना होगा वह करेंगे।” ट्रंप यहीं नहीं रुके उन्होंने अमेरिका के पूर्ववर्ती बराक ओबामा को नोबेल पीस प्राइज देने पर भी अपना रोष जताया। उन्होंने कहा कि बराक ने देश को बर्बाद करने के अलावा कुछ नहीं किया।
ट्रंप की दावेदारी कमजोर क्यों हुई?
नॉर्वेजियन नोबेल कमेटी के नियमों को देखें तो 2025 के लिए नोबेल विजेताओं के नामांकन की आखिरी तारीख 31 जनवरी 2025 थी, जबकि ट्रंप ने 20 जनवरी 2025 को राष्ट्रपति पद की शपथ ली थी। ऐसे में अमेरिका के राष्ट्रपति जिन भी युद्धों को रुकवाने का दावा कर रहे हैं, वह सब नामांकन की तारीख निकल जाने के बाद हुए हैं। नियमों के अनुसार, नामांकन तारीख के निकल जाने के बाद नए नामांकन स्वीकार नहीं किए जाते। ऐसे में ट्रंप की दावेदारी पहले से ही कमजोर थी। विशेषज्ञों की मानें तो ट्रंप की दावेदारी इस साल भले ही कमजोर हो लेकिन अगले साल उनकी दावेदारी मजबूत होगी।

लेखक के बारे में
Upendra Thapakलेटेस्ट Hindi News , बॉलीवुड न्यूज, बिजनेस न्यूज, टेक , ऑटो, करियर , और राशिफल, पढ़ने के लिए Live Hindustan App डाउनलोड करें।




