बांग्लादेश में हिंदुओं के खिलाफ हिंसा का मामला UN पहुंचा, संयुक्त राष्ट्र बोला- हम नस्लीय हमले के खिलाफ
- बांग्लादेश में शेख हसीना की सरकार गिरने के बाद हिंदुओं के खिलाफ लगातार हमले हो रहे हैं। उपद्रवियों ने यहां की कई घरों, दुकानों और मंदिरों में तोड़फोड़ और की है। इन हमलों में अब तक कई लोगों की जान गई है। अब संयुक्त राष्ट्र ने हमलों की निंदा की है।
बांग्लादेश में शेख हसीना की सरकार गिरने के बाद हिंदुओं के खिलाफ लगातार हमले हो रहे हैं। उपद्रवियों ने यहां की कई घरों, दुकानों और मंदिरों में तोड़फोड़ और की है। इन हमलों में अब तक कई लोगों की जान गई है। पीएम मोदी ने बांग्लादेश की नई अंतरिम सरकार से हिंदुओं की सुरक्षा की मांग की है। अब संयुक्त राष्ट्र ने भी इन हमलों की निंदा की है। बांग्लादेश में अल्पसंख्यक हिंदू खिलाफ हिंसा के बीच संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस के प्रवक्ता ने कहा है कि वह किसी भी नस्लीय आधार पर हिंसा को बढ़ावा देने के खिलाफ हैं।
महासचिव के उप प्रवक्ता फरहान हक ने गुरुवार को कहा, " हम यह सुनिश्चित करना चाहते हैं कि हाल के हफ्तों में बांग्लादेश में जो हिंसा हो रही है, उस पर जल्द काबू पाने की कोशिश की जाए। हम किसी भी नस्लीय आधार पर हमले या हिंसा को बढ़ावा देने के खिलाफ हैं।" वह बांग्लादेश में हिंदुओं और अन्य अल्पसंख्यकों पर हमलों पर महासचिव की प्रतिक्रिया पर एक सवाल का जवाब दे रहे थे।
बांग्लादेश की मदद करेगा UN
वहीं नोबेल पुरस्कार विजेता मुहम्मद यूनुस के अंतरिम सरकार के प्रमुख के रूप में शपथ लेने पर हक ने कहा, “हमें उम्मीद है कि वहां एक समावेशी सरकार बनेगी। हिंसा में कमी और जनता के बीच शांति का कोई भी संकेत अच्छी बात है।” उन्होंने कहा, "हम निश्चित रूप से बांग्लादेश की सरकार और लोगों को हर तरह से समर्थन देने के लिए तैयार हैं। "
अब तक 500 से भी ज्यादा लोगों की मौत
हसीना के देश छोड़कर जाने के बाद से बांग्लादेश की मीडिया रिपोर्ट में अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसा के सबसे अधिक मामले सामने आए हैं। कई हिंदू मंदिरों, घरों और दुकानों में तोड़फोड़ की गई है और बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना की अवामी लीग पार्टी से जुड़े कम से कम दो हिंदू नेताओं की हत्या कर दी गई। हालांकि, केवल हिंदुओं को ही निशाना नहीं बनाया गया है। सोमवार को हसीना की सरकार गिरने के बाद देश भर में भड़की हिंसा की घटनाओं में बांग्लादेश में कम से कम 232 लोगों की मौत हो गई है। वहीं जुलाई में आरक्षण विरोधी प्रदर्शनों के शुरू होने के बाद से मरने वालों की संख्या 500 से भी ज्यादा हो गई है।
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