
भाड़े की है पाक सेना, ज्यादा कीमत मिले तो किसी को भी धोखा दे देगी, किसने इतना सुनाया
संक्षेप: Pakistan Army: बुरफात ने लिखा, 'आज वही कपट नए रूपों में जारी है। पाकिस्तान चीन के साथ आर्थिक और सैन्य संबंध रखा और साथ ही अमेरिका का साथ भी निभा रहा है। वह फिलिस्तीनियों के साथ एकता की बात करता है और गुपचुप तरीके से इजरायल से संबंध रखता है।
Pakistan Army: सिंधी समूह JSMM यानी जीये सिंध मुत्ताहिदा महाज के अध्यक्ष शफी बुरफात ने फील्ड मार्शल आसिम मुनीर की अगुवाई वाली पाकिस्तानी सेना पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने पाकिस्तानी सेना को 'मर्सीनरी माफिया' यानी पैसा लेकर काम करने वाले सैनिक बताया है। इसके अलावा उन्होंने कहा कि 'नकली' फील्ड मार्शल मुनीर अभी भी पुरानी धारणा का समर्थन करते हैं कि मुसलमान और हिंदू दो अलग-अलग मुल्क हैं।

बुरफात ने लिखा, 'पाकिस्तानी सेना एक भाड़े का माफिया है, जो अपनी वफादारी डॉलर के बदले दे देती है। उसके पास अमेरिका या किसी भी देश को किसी भी समय धोखा देने की क्षमता है। दशकों से वैश्विक मंच पर पाकिस्तान की भूमिका एक भाड़े के दलाल के तौर पर रही है। एक ऐसा देश, जिसकी सेना देश की रक्षा संस्था के तौर पर कम और आर्थिक इनाम देने वाली विदेशी ताकतों के लिए पैसा लेकर काम करने वाले एजेंट के तौर पर काम ज्यादा करती है।'
उन्होंने लिखा, 'विचारधारा, मूल्यों या नीतियों के रास्ते पर चलने के बजाए पाकिस्तानी सेना ने धन हासिल करने के लिए बदलती विदेशी ताकतों के साथ खुद को बनाए रखा है। शीत युद्ध से लेकर आतंकवाद के खिलाफ युद्ध तक पैटर्न वही रहा है कि मौकापरस्ती का इस्तेमाल रणनीति के तौर पर करो। पाकिस्तान ने अफगानिस्तान में सोवियत संघ के खिलाफ आजादी के लिए नहीं, बल्कि अमेरिका से अरबों डॉलर और पश्चिमी सहायता के लिए लड़ी।'
उन्होंने लिखा, 'दशकों बाद आतंकवाद के खिलाफ युद्ध के दौरान इस्लामाबाद ने एक बार फिर खुद को नाटो और अमेरिका का सहयोगी बताया और बड़ी आर्थिक मदद हासिल की। ठीक उसी समय दुनिया के मोस्ट वॉन्टेड आतंकी ओसामा बिन लादेन को गुप्त रूप से पाकिस्तानी क्षेत्र में रखा गया।' उन्होंने आगे लिखा, 'यह सोचा समझा गया कदम था। यह दिखाते हुए कि आतंकवाद से जंग लड़ी जा रही है, जबकि एक कुख्यात शख्स को छिपाकर रखा गया।'
अमेरिका और चीन से रिश्ते पर सवाल
बुरफात ने लिखा, 'आज वही कपट नए रूपों में जारी है। पाकिस्तान चीन के साथ आर्थिक और सैन्य संबंध रखा और साथ ही अमेरिका का साथ भी निभा रहा है। वह फिलिस्तीनियों के साथ एकता की बात करता है और गुपचुप तरीके से इजरायल से संबंध रखता है। वह सऊदी अरब से धन लेते हुए भी ईरान से दोस्ती की बात करता है। ये विरोधाभास का बर्ताव एक सच सामने लाता है कि सेना की वफादारी विचारधारा में नहीं, बल्कि आर्थिक फायदे में है।'
पाकिस्तानी सेना को जमकर सुनाया
उन्होंने लिखा, 'लालची और भ्रष्ट मानसिकता के चलते पाकिस्तानी सेना ने दुनिया के सामने खुद का पर्दाफाश और अपनाम कर लिया है। दुनिया का कोई भी सभ्य देश पाकिस्तान और उसकी सेना पर भरोसा नहीं करना चाहता। एक भ्रष्ट और नैतिक रूप से समझौदा कर चुकी पाकिस्तानी सेना ज्यादा कीमत लगाए जाने पर किसी भी सहयोगी को धोखा दे सकती है।'
उन्होंने कहा, 'अगर बीजिंग ज्यादा फंडिंग कर दे, तो ये वॉशिंगटन को धोखा दे सकते हैं। अगर अमेरिका ज्यादा धन दे दे, तो ये उतने ही जल्दी चीन को धोखा दे सकते हैं। इस सिस्टम में रणनीतिक वफादारी ऊंची कीमत लगाने वाले को बेचने से ज्यादा कुछ नहीं है।'
उन्होंने आखिर में कहा कि एक देश जिसकी सेना वफादारी और मूल्यों को बेचती है, वो अपने लोगों या सहयोगियों के सामने भरोसा कायम नहीं कर सकती। उन्होंने कहा कि इसकी विदेश नीति और अस्तित्व बिकने वाली चीज बन गए हैं, जिसके चलते इसने दुनिया में अपना सम्मान खो दिया है।

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