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अफगानिस्तान में इंटरनेट पूरी तरह बंद, जानें तालिबान ने क्यों जारी किया तुगलकी फरमान

अफगानिस्तान में इंटरनेट पूरी तरह बंद, जानें तालिबान ने क्यों जारी किया तुगलकी फरमान

संक्षेप: तालिबान के सत्ता में आने के बाद का सबसे बड़ा संचार ब्लैकआउट है, जो महिलाओं के अधिकारों और सूचना की आजादी पर उनकी सख्त नीतियों का हिस्सा माना जा रहा है। अधिकारियों ने महीने की शुरुआत में कुछ क्षेत्रों में हाई-स्पीड इंटरनेट बंद करना शुरू किया था।

Tue, 30 Sep 2025 03:05 PMDevendra Kasyap लाइव हिन्दुस्तान, काबुल
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तालिबान ने 29 सितंबर 2025 को अफगानिस्तान में पूरे देशव्यापी इंटरनेट और संचार सेवाओं को पूरी तरह से निलंबित कर दिया है। इंटरनेट निगरानी एजेंसी नेटब्लॉक्स के मुताबिक, सोमवार रात से मोबाइल सिग्नल और इंटरनेट कनेक्शन धीरे-धीरे कम होते चले गए, जब तक कि सामान्य स्तर का मुश्किल से एक प्रतिशत भी बाकी न रह गया। इस कदम से बैंकिंग, ऑनलाइन व्यापार, काबुल हवाई अड्डे पर उड़ानों का रद्द होना और समाचार संस्थानों की संवाद क्षमता बुरी तरह प्रभावित हुई है। तालिबान ने इसे अनिश्चित काल के लिए जारी रखने का निर्देश जारी किया है, जबकि कंधार, उरुजगान, हेलमंद, निमरोज और बल्ख जैसे कई प्रांतों में पहले से ही आंशिक पाबंदियां लागू थीं।

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यह 2021 में तालिबान के सत्ता में आने के बाद का सबसे बड़ा संचार ब्लैकआउट है, जो महिलाओं के अधिकारों और सूचना की आजादी पर उनकी सख्त नीतियों का हिस्सा माना जा रहा है। अधिकारियों ने महीने की शुरुआत में कुछ क्षेत्रों में हाई-स्पीड इंटरनेट बंद करना शुरू किया था, ताकि दुर्भावनापूर्ण गतिविधियों को रोका जा सके।

न्यूज एजेंसी एएफपी ने सरकारी सूत्रों के हवाले से बताया कि फाइबर ऑप्टिक लाइनें काट दी गई है। धीरे-धीरे मोबाइल सेवाएं भी ठप हो जाएंगी। उन्होंने कहा कि करीब 8 से 9 हजार मोबाइल टावर को बंद कर दिया जाएगा, और यह ब्लैकआउट अगली सूचना तक चलेगा। एक वरिष्ठ अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर कहा कि संवाद का कोई वैकल्पिक साधन या सिस्टम उपलब्ध नहीं है... बैंकिंग, सीमा शुल्क, पूरे देश में हर क्षेत्र है। नेटब्लॉक्स ने भी पुष्टि की कि यह ब्लैकआउट जानबूझकर सेवाओं को बंद करने जैसा लगता है।

गौरतलब है कि 16 सितंबर को बल्ख प्रांत के प्रवक्ता अत्ताउल्लाह जैद ने घोषणा की थी कि तालिबान नेतृत्व के आदेश पर उत्तरी प्रांत में फाइबर ऑप्टिक इंटरनेट पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया गया है। उन्होंने सोशल मीडिया पर पोस्ट किया था कि यह कदम 'दुराचार' को रोकने के लिए उठाया गया है, और आवश्यक कनेक्टिविटी सुनिश्चित करने हेतु देशभर में वैकल्पिक व्यवस्थाएं की जाएंगी। उस वक्त भी बदख्शां और तखर जैसे उत्तरी प्रांतों के अलावा दक्षिणी क्षेत्रों में कंधार, हेलमंद, नांगरहार और उरुजगान में भी ऐसे ही प्रतिबंधों की खबरें आई थीं।

बता दें कि 2024 में काबुल ने 9350 किलोमीटर (लगभग 5800 मील) के फाइबर ऑप्टिक नेटवर्क को 'प्राथमिकता परियोजना' के रूप में प्रचारित किया था, जिसका निर्माण मुख्य रूप से पूर्व अमेरिकी समर्थित सरकारों द्वारा किया गया था। इसका उद्देश्य अफगानिस्तान को वैश्विक दुनिया से जोड़ना और गरीबी उन्मूलन था।

Devendra Kasyap

लेखक के बारे में

Devendra Kasyap
देवेन्द्र कश्यप, लाइव हिंदुस्तान में चीफ कंटेंट प्रोड्यूसर। पटना से पत्रकारिता की शुरुआत। महुआ न्यूज, जी न्यूज, ईनाडु इंडिया, राजस्थान पत्रिका, ईटीवी भारत और नवभारत टाइम्स ऑनलाइन जैसे बड़े संस्थानों में काम किया। करीब 11 साल से डिजिटल मीडिया में कार्यरत। MCU भोपाल से पत्रकारिता की पढ़ाई। पटना व‍िश्‍वविद्यालय से पॉलिटिकल साइंस से ग्रेजुएशन। फिलहाल लाइव हिन्दुस्तान में नेशनल, इंटरनेशनल डेस्क पर सेवा दे रहे हैं। और पढ़ें

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