धरती पर आसान नहीं होगा सुनीता विलियम्स का जीवन, इन समस्याओं का करना पड़ सकता है सामना
- Sunita Williams Return: अंतरिक्ष में लंबे समय तक रहने से शरीर में कई शारीरिक बदलाव आते हैं।सूक्ष्म गुरुत्वाकर्षण, विकिरण और एकांत का प्रभाव शरीर पर पड़ता है।

Sunita Williams Return: नासा के अंतरिक्ष यात्री सुनीता विलियम्स और बारी बुच विलमोर 9 महीने के बाद पृथ्वी पर लौट चुके हैं। उनके अलावा दो और अंतरिक्ष यात्री लौट आए हैं। चारों की ही सुरक्षित लैंडिंग हो चुकी है। सुनीता और बुच सिर्फ 8 दिनों के लिए अंतरिक्ष गए थे, लेकिन उनका यान वहां खराब हो गया। इसके कारण उन्हें करीब 9 महीने तक अंतरिक्ष स्टेशन में ही रहना पड़ा। इस दौरान दोनों ने ही सहनशीलता का परिचय दिया। लंबे समय तक अंतरिक्ष में समय बिताने के बाद अब उनके लिए धरती पर सामान्य जीवन बिताने में कुछ चुनौती सामने आ सकती है। अंतरिक्ष में लंबे समय तक रहने से शरीर में कई शारीरिक बदलाव आते हैं।सूक्ष्म गुरुत्वाकर्षण, विकिरण और एकांत का प्रभाव शरीर पर पड़ता है।
इंडियन एक्सप्रेस ने अपनी एक रिपोर्ट में कावेरी अस्पताल में ऑर्थोपेडिक्स, स्पोर्ट्स मेडिसिन और रोबोटिक जॉइंट रिप्लेसमेंट संस्थान के डायरेक्टर डॉ. रघु नागराज के हवाले से बताया है कि आखिर अंतरिक्ष में नौ महीने बिताने के बाद इन अंतरिक्ष यात्रियों को किस प्रकार की स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं।
मांसपेशियों और हड्डियों का नुकसान
उन्होंने कहा, “सूक्ष्म गुरुत्वाकर्षण में पीठ के निचले हिस्से, पैरों और कोर की मांसपेशियों का आकार और ताकत कम हो जाती है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि उनका उपयोग शरीर के वजन को सहन करने के लिए नहीं किया जाता है। इसी तरह हड्डियां खासकर रीढ़, कूल्हों और पैरों में खनिज की कमी हो जाती है। इससे फ्रैक्चर का खतरा बढ़ जाता है। पृथ्वी पर लौटने के बाद अंतरिक्ष यात्री खड़े होने, चलने और संतुलन बनाने में कठिनाई महसूस कर सकते हैं। उनका मस्कुलोस्केलेटल सिस्टम गुरुत्वाकर्षण के अनुकूल होने में समय लेता है।”
मानसिक स्वास्थ्य और एकांत से निपटना
सुनीता विलियम्स ने अपनी वापसी की तारीख का इंतजार करने में आ रहे मानसिक दबाव के बारे में बात की थी। डॉ. नागराज के अनुसार, "लंबे समय तक एकांतवास और अनिश्चितता तनाव, चिंता और यहां तक कि अवसाद का कारण बन सकते हैं। मानसिक स्वास्थ्य बनाए रखने के लिए अंतरिक्ष एजेंसियां उनकी दिनचर्या का ध्यान रखती है। परिवार से बात करवाती रहती है। सिनेमा, संगीत और पढ़ाई जैसी मनोरंजक गतिविधियां प्रदान करती हैं।" उन्होंने कहा, “अंतरिक्ष यात्री तनाव से निपटने के लिए सहनशीलता निर्माण तकनीकों में प्रशिक्षित होते हैं। पृथ्वी पर लौटने के बाद उन्हें सामान्य जीवन में फिर से घुलने-मिलने के लिए काउंसलिंग से गुजरना पड़ता है।”
कॉस्मिक विकिरण का प्रभाव
कॉस्मिक विकिरण से लंबी अवधि तक संपर्क से प्रतिरक्षा तंत्र कमजोर हो जाता है। डॉ. नागराज के अनुसार, "अंतरिक्ष यात्रियों को संक्रमण और घाव भरने में धीमी गति का खतरा हो सकता है। इसके अतिरिक्त हृदय संबंधी बीमारियों और कुछ कैंसरों का जोखिम भी बढ़ सकता है। अंतरिक्ष एजेंसियां मिशन के बाद उनकी प्रतिरक्षा स्वास्थ्य की निगरानी करती हैं और जीवनशैली में बदलाव की सलाह देती हैं।"
अन्य स्वास्थ्य समस्याएं
वापस लौटने वाले अंतरिक्ष यात्री अन्य चुनौतियों का भी सामना करते हैं। उन्होंने कहा, “वेस्टीबुलर डिसफंक्शन संतुलन पर असर डालता है और ऑर्थोस्टैटिक इनटॉलरेंस परिसंचरण में बदलाव के कारण चक्कर ला सकता है। स्पेसफ्लाइट-एसोसिएटेड न्यूरो-ऑक्युलर सिंड्रोम (SANS) आंखों से जुड़ी समस्याएं पैदा कर सकता है। हालांकि अधिकांश प्रभाव पुनर्वास से सुधर सकते हैं। हड्डियों के नुकसान और विकिरण के प्रभावों को लेकर लंबे समय तक इलाज की आवश्यकता होती है।”
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