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दुनिया में पहला करिश्मा: मृत महिला के गर्भाश्य ट्रांसप्लांट से हुआ बच्चे का जन्म

मेडिकल इतिहास में पहली बार एक मृत महिला के गर्भाशय का ट्रांसप्लांट किए जाने के बाद एक महिला ने स्वस्थ बच्ची को जन्म दिया है। ये ट्रांसप्लांट गर्भाशय की समस्या की वजह से बच्चे को जन्म देने में अक्षम...

दुनिया में पहला करिश्मा: मृत महिला के गर्भाश्य ट्रांसप्लांट से हुआ बच्चे का जन्म
पेरिस, एजेंसीWed, 05 Dec 2018 12:25 PM
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मेडिकल इतिहास में पहली बार एक मृत महिला के गर्भाशय का ट्रांसप्लांट किए जाने के बाद एक महिला ने स्वस्थ बच्ची को जन्म दिया है। ये ट्रांसप्लांट गर्भाशय की समस्या की वजह से बच्चे को जन्म देने में अक्षम महिलाओं के लिए नई उम्मीद बनकर आई है। लांसेट जर्नल में प्रकाशित अध्ययन के अनुसार यह सफल ऑपरेशन सितंबर 2016 में ब्राजील के साओ पाउलो में किया गया था। मेडिकल जर्नल ने बताया कि बच्ची का जन्म दिसंबर 2017 में हुआ। 

अभी तक गर्भाशय की समस्या की शिकार महिलाओं के लिए बच्चों को गोद लेना या सरोगेट मां की सेवाएं लेना ही एक विकल्प था। डोनर से प्राप्त गर्भाशय के जरिए बच्चे का सफलतापूर्वक जन्म कराने की पहली घटना 2014 में स्वीडन में हुई थी। इसके बाद से 10 और बच्चों का इस तरह से जन्म कराया गया है। हालांकि संभावित डॉनर की तुलना में ट्रांसप्लांट की चाह रखने वाली महिलाओं की संख्या अधिक है। इसलिए डॉक्टर यह पता लगाना चाहते थे कि क्या किसी मृत महिला के गर्भाशय का इस्तेमाल करके इस प्रक्रिया को अंजाम दिया जा सकता है।
      
इस सफलता की जानकारी दिए जाने से पहले अमेरिका, चेक गणराज्य और तुर्की में 10 प्रयास किए गए। बांझपन से 10 से 15 फीसदी दंपती प्रभावित होते हैं। इसमें से 500 महिलाओं में एक महिला गर्भाशय की समस्या से पीड़ित रहती है। साओ पाउलो विश्वविद्यालय के अस्पताल में पढ़ाने वाले चिकित्सक डानी एजेनबर्ग ने कहा कि हमारे नतीजे गर्भाशय की समस्या की वजह से संतान पैदा कर पाने में अक्षम महिलाओं के लिये नये विकल्प का सबूत प्रदान करते हैं।
      
ऐसे हुआ सफल ये करिश्मा

32 वर्षीय महिला दुर्लभ सिंड्रोम की वजह से बिना गर्भाशय के पैदा हुई थी। ट्रांसप्लांट के चार महीने पहले उसमें इन विट्रो फर्टिलाइजेशन किया गया जिससे आठ फर्टिलाइज एग्स प्राप्त हुए। इन्हें फ्रीज करके संरक्षित रखा गया। गर्भाशय दान करने वाली महिला 45 साल की थी। उसकी मस्तिष्काघात की वजह से मृत्यु हुई थी। उसका गर्भाशय ऑपरेशन के जरिए निकाला गया और दूसरी महिला में ट्रांसप्लांट किया गया। यह ऑपरेशन 10 घंटे से अधिक समय तक चला। ऑपरेशन करने वाले दल ने डॉनर के गर्भाशय को जिस महिला में उसका ट्रांसप्लांट किया गया उसकी धमनी, शिराओं, अस्थिरज्जु और वेजाइनल कैनाल से जोड़ा गया।
      
महिला का शरीर नए अंग को अस्वीकार नहीं कर दे इसके लिए उसे पांच अलग-अलग तरह की दवाएं दी गईं। पांच महीने बाद गर्भाशय ने अस्वीकार किये जाने का संकेत नहीं दिया। इस दौरान महिला का अल्ट्रासाउन्ड सामान्य रहा और महिला को नियमित रूप से पीरियड आते रहे। सात महीने के बाद फर्टिलाइज्ड एग्स का ट्रांसप्लांट किया गया। दस दिन बाद चिकित्सकों ने खुशखबरी दी कि महिला गर्भवती है।
      
किडनी में मामूली संक्रमण के अलावा 32 सप्ताह की गर्भावस्था के दौरान सबकुछ सामान्य रहा। करीब 36 सप्ताह के बाद ऑपरेशन के जरिए महिला ने एक बच्ची को जन्म दिया। जन्म के समय बच्ची का वजन 2.5 किलोग्राम था। किडनी में संक्रमण का एंटीबायोटिक के जरिए इलाज किया गया। तीन दिन बाद मां और बच्ची को अस्पताल से छुट्टी दे दी गई। 

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