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ब्रिटेन की सरकार ने आखिर कोरोना टीकाकरण के अभियान से बच्चों को क्यों रखा है दूर? यह है वजह

दुनियाभर के बच्चों को कोरोना टीकाकरण के लिए अभी लंबा इंतजार करना पड़ेगा। वयस्कों के लिए टीकाकरण शुरू करा चुके ब्रिटेन ने कहा है कि वह अभी बच्चों को कोरोना वैक्सीन से दूर रखेगा। वहीं, अमेरिका व...

 ब्रिटेन की सरकार ने आखिर कोरोना टीकाकरण के अभियान से बच्चों को क्यों रखा है दूर? यह है वजह
हिन्दुस्तान ब्यूरो,नई दिल्लीFri, 11 Dec 2020 07:18 AM
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दुनियाभर के बच्चों को कोरोना टीकाकरण के लिए अभी लंबा इंतजार करना पड़ेगा। वयस्कों के लिए टीकाकरण शुरू करा चुके ब्रिटेन ने कहा है कि वह अभी बच्चों को कोरोना वैक्सीन से दूर रखेगा। वहीं, अमेरिका व यूरोपीय संघ का जोर भी वयस्कों के टीकाकरण को लेकर ही है। सरकारों की प्राथमिकता को देखते हुए वैक्सीन निर्माण के क्षेत्र में लगी मात्र चार कंपनियां ही बच्चों के लिए टीका बना रही हैं, जिसके परीक्षण में अभी लंबा वक्त लगना है। वहीं, सरकारों का कहना है कि पर्याप्त वैज्ञानिक डाटा उपलब्ध न होने के कारण वे अभी बच्चों को टीका लगाने का जोखिम नहीं लेना चाहते।  

बच्चों को नहीं मिलेगी कोरोना का सुरक्षा कवच
ब्रिटेन के स्वास्थ्य विभाग का कहना है कि ज्यादातर बच्चों को बिना लक्षण वाला संक्रमण हो रहा है। साथ ही, किशोरों के टीकाकरण से जुड़ा बहुत सीमित डाटा ही उपलब्ध है जबकि छोटे बच्चों के टीकाकरण से जुड़ा कोई डाटा उपलब्ध नहीं है। इसलिए स्वास्थ्य व सामाजिक सुरक्षा विभाग की कमेटी ने सिर्फ ऐसे उच्च जोखिम वाले बच्चों के टीकाकरण की सिफारिश की है, जो न्यूरो संबंधी रोगों से पीड़ित हैं।  

गर्भवतियों को टीका नहीं मिलेगा
यहां के स्वास्थ्य और सामाजिक सुरक्षा विभाग ने जो दिशानिर्देश जारी किए हैं, उसमें कहा गया है कि गर्भवतियों के लिए वैक्सीन के सुरक्षित होने से जुड़ा कोई डाटा उपलब्ध नहीं है। ऐसे में इस समुदाय को टीकाकरण में शामिल न करने की सलाह दी जाती है। इस स्थिति में वैज्ञानिक बहुत चिंतित हैं क्योंकि गर्भवती महिलाएं भी संक्रमण के उच्च जोखिम वाले समूह में आती हैं और उनसे भ्रूण में भी संक्रमण फैलने की आशंका रहती है। 

मॉडर्ना ने तीन हजार बच्चों पर परीक्षण शुरू किया     
अमेरिका की टीका निर्माता कंपनी मॉडर्ना ने बच्चों के लिए कोविड-19 का टीका बनाने का परीक्षण शुरू कर दिया है। यह कंपनी 12 साल की उम्र के तीन हजार बच्चों पर वैक्सीन के लिए परीक्षण कर रही है। कंपनी ने बताया कि अभिभावकों की सहमति से ही उनके बच्चों को परीक्षण में शामिल किया गया है। शुरूआत में दर्जन भर बच्चों पर टीके का असर देखा जाएगा, फिर बड़े समूह पर परीक्षण होगा। 

बच्चों के लिए टीका बनाना जोखिम भरा
पेनिसेल्विया विश्वविद्यालय के बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. पॉल ऑफिट ने कहा कि बच्चों की शारीरिक संरचना अलग होती है। उन्हें ट्रायल वैक्सीन की खुराक देना जानलेवा हो सकता है। यही कारण है कि कंपनियां प्रयोगात्मक टीके की खुराक पहले वयस्कों को देकर इसका असर जांचती हैं। फिर इसे किशोरों और उसके बाद छोटे बच्चों को दिया जाता है। वहीं, इंग्लैंड जर्नल ऑफ मेडिसिन में प्रकाशित शोध में बताया गया कि जब तक वयस्कों के साथ बच्चों को भी समय पर कोरोना का टीका नहीं मिल जाता, इस महामारी से पूरी तरह सुरक्षा नहीं मिल पाएगी। 

2021 के सितंबर के बाद ही आएगा टीका  
क्लीनिकल इंफेक्शियस डिसीज जर्नल के मुताबिक, बच्चों के लिए कोविड टीका अगले साल सितंबर के बाद ही आ सकेगा क्योंकि अभी तो वयस्कों के लिए ही परीक्षण पूरे नहीं हुए हैं। हालांकि, उम्मीद है कि इस साल के अंत तक वयस्कों के लिए वैक्सीन आ जाएगी।

बच्चों के लिए सिर्फ चार कंपनियां ही टीका बना रहीं  
मॉडर्ना को मिलाकर अब तक दुनिया की मात्र चार टीका निर्माता कंपनियों ने बच्चों के लिए कोविड-19 का टीका बनाने की पहल की है। इसमें अमेरिका की फाइजर, ब्रिटेन की ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका और चीन की सिनोवैक बायोटेक शामिल हैं।  

कोरोना के असर से मासूमों में खतरनाक रोग हो रहे     
भले कोरोना से बच्चों के मरने की दर बेहद कम हो पर इस महामारी के कारण बच्चे मल्टी सिस्टम इंफ्लेमेटरी सिन्ड्रोम की जद में आ रहे हैं जो जानलेवा बीमारी है। इंग्लैंड जर्नल ऑफ मेडिसिन जर्नल के मुताबिक, इस सिन्ड्रोम से पीड़ित 80% बच्चों को अस्पताल में भर्ती कराना पड़ रहा है, ऐसे में समय पर टीका नहीं आया तो नई पीढ़ी असमय मौत का खतरा झेलेगी।

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