क्यों जिनपिंग सरकार के लिए चीन का मिडल क्लास है बड़ा खतरा, इसलिए बढ़ रहा असंतोष
चीन के अपने ही सोशल मीडिया प्लैटफॉर्म हैं, जिनका लोग इस्तेमाल करते हैं। इस तरह चीन में सूचना की अपनी एक अलग दुनिया है, जो शेष विश्व से कटी रहती है। इसी वजह से चीन में कभी आंदोलन नहीं हो पाते।
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दुनिया में चीन दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था के तौर पर जाना जाता है और बीते कुछ दशकों में उसने तेजी से ग्रोथ हासिल की है। लेकिन उसकी एक पहचान संचार माध्यमों पर रोक लगाने वाले एक ऐसे तानाशाही शासन की भी है, जहां के बारे में ज्यादा जानकारी दुनिया को नहीं मिलती। इसके अलावा दुनिया में हो रहे बदलावों से भी चीनी परिचित नहीं होते। फेसबुक, ट्विटर, गूगल जैसी सोशल मीडिया और टेक कंपनियां चीन में बैन हैं। चीन के अपने ही सोशल मीडिया प्लैटफॉर्म हैं, जिनका लोग इस्तेमाल करते हैं। इस तरह चीन में सूचना की अपनी एक अलग दुनिया है, जो शेष विश्व से कटी रहती है। माना जाता है कि इसी वजह से चीन में कभी आंदोलन नहीं हो पाते।
हालांकि बीते कुछ दिनों में चीन में जिस तरह से पाबंदियों के खिलाफ लोग सड़कों पर उतरे और शी जिनपिंग के खिलाफ नारेबाजी की, उससे जरूर कुछ सवाल खड़े हुए हैं। चीन ने कोरोना काल से ही अपने यहां जीरो कोविड पॉलिसी लागू की थी, जिसके तहत हर शहर में लाखों लोगों के मूवमेंट पर पाबंदी लगा दी गई। यह अब तक जारी है, लेकिन बीते दिनों लोग सड़कों पर उतर आए और प्रदर्शन शुरू हो गए। बीजिंग से लेकर शंघाई तक शहर दर शहर आंदोलन हुए, जिससे चीन की सरकार पर सवाल खड़े हुए हैं।
चीन के मामलों के जानकार मानते हैं कि शी जिनपिंग सरकार की संख्तियों पर अब वहां का मिडिल क्लास ऐतराज जाहिर करने लगा है। चीन के मध्य वर्ग का एक बड़ा तबका अमेरिका और ब्रिटेन जैसे देशों में रहने लगा है। इसके चलते वहां के उदार नियमों के बारे में उन्हें जानकारी मिली है और वे अब चीन की नीतियों को घुटन भरा मानते हैं। यही वजह है कि इस वर्ग में अब गुस्सा है। मार्च के बाद से अब तक चीन में ऐसे कई आंदोलन हो चुके हैं, जिन्होंने शी जिनपिंग सरकार की टेंशन बढ़ाई है। हाल ही में हुए आंदोलनों का असर तो ऐसा था कि एक तरफ चीन के अंदर प्रदर्शन हो रहे थे तो वहीं अमेरिका और तुर्की देशों में भी चीनियों के समर्थन में प्रदर्शन किए गए।
बीते करीब दो दशकों में चीन में मिडिल क्लास की आबादी तेजी से बढ़ी है। फिलहाल मध्य वर्ग की आबादी में चीन 22 करोड़ से ज्यादा है, जो वर्ष 2000 में महज 50 लाख ही थी। यह आकांक्षी वर्ग ही अब चीन की कम्युनिस्ट पार्टी के तानाशाही शासन के लिए सबसे बड़ा खतरा बन सकता है। चीन में तेजी से गैरबराबरी बढ़ी है और मिडिल क्लास की आबादी में भी इजाफा हुआ है। दरअसल चीन ने बाजार खोला है और इसके चलते अमेरिका, ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों से निवेश आया है, लेकिन वहां की संस्कृति भी पहुंची है। ऐसे में उदारवाद के प्रभाव में आए चीनी अब सरकार की सख्त पाबंदियों को घुटन भरा मान रहे हैं।