74 साल पुराने संयुक्त राष्ट्र में बड़े सुधार की दरकार, 193 सदस्यों के परिवार में सिर्फ 5 का दबदबा
संयुक्त राष्ट्र संघ एक वैश्विक संस्था है। 51 देशों के साथ अपने सफर की शुरुआत करने वाला संयुक्त राष्ट्र अब एक विशाल परिवार बन चुका है। इसमें आज 193 सदस्य हैं। लेकिन दबदबा हमेशा पांच सदस्यों का रहा है।...
संयुक्त राष्ट्र संघ एक वैश्विक संस्था है। 51 देशों के साथ अपने सफर की शुरुआत करने वाला संयुक्त राष्ट्र अब एक विशाल परिवार बन चुका है। इसमें आज 193 सदस्य हैं। लेकिन दबदबा हमेशा पांच सदस्यों का रहा है। इसके कारण अब विश्व निकाय में बड़े सुधार की जरूरत बताई जा रही है।
इसलिए बदलाव जरूरी
संयुक्त राष्ट्र की अवधारणा विश्व में शांति और स्थिरता के मुद्दे पर की गई थी और इसी एक बड़े मुद्दे पर संयुक्त राष्ट्र अपनी चुनौती पर खरा नहीं उतर पाया है। आतंकवाद से लड़ाई में संयुक्त राष्ट्र का बड़ा सहयोग नहीं है। जलवायु परिवर्तन और ऊर्जा जरूरतों के बड़े मुद्दे संयुक्त राष्ट्र से बाहर हल करने की कोशिश हो रही है।
पांच देशों का दबदबा
चीन, फ्रांस, रूस, ब्रिटेन और अमरीका ये पांच देश मिलकर सुरक्षा परिषद कहलाते हैं। संयुक्त राष्ट्र में इन्हीं देशों की तूती बोलती है। संयुक्त राष्ट्र की ताकत सुरक्षा परिषद में हैं, सुरक्षा परिषद के सदस्यों की असल ताकत वीटो शक्ति में है। किसी भी मुद्दे पर किसी एक सदस्य के वीटो का मतलब है बात आगे नहीं बढ़ेगी।
24 अक्तूबर 1945 में संयुक्त राष्ट्र संघ की स्थापना
1942 को संयुक्त राष्ट्र घोषणा पर भारत के हस्ताक्षर
1945 में अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में भी भारत शामिल
महासभा में दुनिया की बेहतरी पर चर्चा
संयुक्त राष्ट्र के इस सालाना आयोजन में हर सदस्य देश को अपनी बात कहने के लिए 15 मिनट मिलते हैं। इसमें चर्चा होती है कि दुनिया को बेहतर कैसे बनाया जाए, आने वाली चुनौतियों से कैसे निपटा जाए। संयुक्त राष्ट्र संघ का प्रमुख महासचिव होता है। इसका मुख्यालय अमेरिका के न्यूयॉर्क के प्लसिंग मोडेज में स्थित है। इसके अलावा इसके मुख्य दफ्तर जिनेवा, नैरोबी और वियना में भी है। संयुक्त राष्ट्र संघ को वित्तीय मदद इसके सदस्यो देशों से मिलती है। इसके गठन के समय अमेरिका और रूस के बीच शीत युद्ध का माहौल था उस समय दुनिया में शांति बनाए रखना काफी मुश्किल था।