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कौन हैं अहमदिया मुसलमान, जिन पर कहर ढा रहा पाकिस्तान; फिर मस्जिद में हमला

शुक्रवार को पाकिस्तान में अहमदिया मुसलमानों के खिलाफ नफरत की एक और घटना सामने आई। हमलावरों ने कराची में कादियानी मस्जिद पर हमला किया और जमकर तोड़-फोड़ की। एक महीने में दो बार मस्जिद पर हमला हो चुका है

Gaurav Kala लाइव हिन्दुस्तान, नई दिल्लीFri, 3 Feb 2023 02:14 PM
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मुश्किल आर्थिक दौर से गुजर रहे पाकिस्तान में अब आवाम की धार्मिक आस्था भी सुरक्षित नहीं हैं। यहां रहने वाले अहमदिया मुसलमान (Ahmadi community) कट्टरपंथी संगठनों के निशाने पर हैं। शुक्रवार को पाकिस्तान में अहमदिया मुसलमानों के खिलाफ नफरत की एक और घटना सामने आई। हमलावरों ने कराची में कादियानी मस्जिद पर हमला किया और जमकर तोड़-फोड़ की। एक महीने में दो बार मस्जिद पर हमला हो चुका है। इस घटना की कट्टर धार्मिक पार्टी तहरीक-ए-लब्बैक ने जिम्मेदारी ली है। यह वह पार्टी है जिसे पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान का समर्थन है। अहमदिया मुसलमान कौन हैं और पिछले कुछ सालों में इस समुदाय के खिलाफ हिंसा क्यों बढ़ती जा रही है, समझते हैं।

शुक्रवार को पाकिस्तान के कराची शहर में एक बार फिर अहमदिया मुसलमान कट्टरपंथियों के निशाने पर आए। पाकिस्तानी मीडिया द राइज न्यूज ने ट्वीट कर बताया कि कराची में कादियानी मस्जिद पर हमलावरो ने तोड़-फोड़ की और मस्जिद को अपवित्र कर दिया। इस हमले की जिम्मेदारी तहरीक-ए-लब्बैक ने ली है। यह संगठन पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान का सपोर्ट करती है। यह एक महीने में दूसरी घटना है। इससे पहले कराची में जमशेद रोड स्थित अहमदी जमात खाने की मीनारें तोड़ी गई थी। 

यह पाकिस्तान में नई बात नहीं कि अहमदिया मुसलमानों को निशाना बनाया जा रहा है। दरअसल, इसके पीछे लंबा इतिहास है। 1974 में पाकिस्तान की तत्कालीन सरकार ने इस समुदाय को गैर मुस्लिम घोषित किया था। भीड़ में हमले और हत्याओं के साथ अहमदिया समुदाय के खिलाफ हिंसा लगातार सामने आती रही है। 

मुसलमान कहने पर भी लगाई पाबंदी
जिया उल हक जब पाकिस्तान की सत्ता पर बैठा तो उसने भी अहमदिया मुसलमानों पर अत्याचार किया। जिया उल हक ने अहमदियाओं के खुद को मुसलमान कहने पर प्रतिबंध लगा दिया गया। उन पर उपदेश देने और तीर्थ यात्रा के लिए सऊदी अरब जाने पर प्रतिबंध लगा दिया गया। यह वह दौर था जब अहमदियाओं पर बेतहाशा जुल्म हुए। यही नहीं इमरान खान ने भी अहमदिया मुसलमानों को मुस्लिम नहीं माना। उन्होंने कई बार सार्वजनिक रूप से कहा कि वो सच्चे मुसलमान नहीं हैं।

अहमदियाओं पर अत्याचार क्यों
पाकिस्तान में अहमदियाओं पर अत्याचार की सबसे बड़ी वजह उनकी धार्मिक आस्था है। अहमदिया एक धार्मिक आंदोलन है, जो 19वीं सदी के अंत में भारत में आरम्भ हुआ था। इसकी शुरुआत मिर्जा गुलाम अहमद (1835-1908) ने शुरू किया था। अहमदिया आंदोलन के अनुयायी गुलाम अहमद (1835-1908) को पैगंबर मोहम्मद के बाद एक और पैगम्बर (दूत) मानते हैं, जबकि इस्लाम में मोहम्मद ही खुदा के भेजे हुए अन्तिम पैगम्बर माने जाते हैं। अहमदिया इस्लाम से अलग हुआ एक संप्रदाय माना जाता है। मुसलमान इस समुदाय को काफिर कहता है।

अहमदिया पर शहबाज सरकार की चुप्पी
अहमदिया मुसलमानों पर भले ही इमरान खान कट्टरपंथी रुख अख्तियार किये हों लेकिन, शहबाज की पार्टी पीपीपी- नवाज अहमदियाओं पर कई बार नरम रुख अख्तियार किये है। नवाज शरीफ अपनी सरकार के वक्त अहमदियाओं को अपना भाई कह चुके हैं। मौजूदा वक्त में शहबाज सरकार आर्थिक मोर्चे पर बैकफुट में है। ऐसे में वह अहमदिया मुसलमानों पर चुप्पी साधे हुए है। इसके पीछे बड़ी वजह आबादी भी है। इस वक्त देश में अहमदिया मुसलमानों की आबादी 0.09 प्रतिशत रह गई है। 2018 में चुनाव आयोग ने बयान में कहा था कि पाकिस्तान में अहमदिया वोटर्स की संख्या 1.67 लाख है। वहीं, भारत में अहमदिया मुसलमानों की संख्या 10 लाख से ज्यादा है।

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