क्या है UN की 'लिस्ट ऑफ शेम'? अलकायदा और ISIS के साथ जुड़ा इजरायल का भी नाम
'लिस्ट ऑफ शेम' में सशस्त्र संघर्ष में बच्चों के खिलाफ कथित अधिकार उल्लंघन का दस्तावेजीकरण किया गया है। इजरायल पर बच्चों के खिलाफ गंभीर अधिकारों के उल्लंघन का आरोप लगाया गया है।

इजरायल, हमास और फलस्तीनी इस्लामिक जिहाद को संयुक्त राष्ट्र की तथाकथित 'लिस्ट ऑफ शेम' में शामिल किया गया है। हालांकि आधिकारिक रूप से इस सूची को अभी जारी नहीं किया गया है। यह संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरस के कार्यालय द्वारा जारी वार्षिक रिपोर्ट से जुड़ी है। 'लिस्ट ऑफ शेम' रिपोर्ट को अगले शुक्रवार तक जारी नहीं किया जाएगा, लेकिन गुटेरस के कार्यालय ने संयुक्त राष्ट्र में इजरायल के राजदूत गिलाद एर्डन को फोन कर औपचारिक रूप से इस फैसले के बारे में जानकारी दे दी है।
बताया जा रहा है कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने 26 जून को इस पर चर्चा की। गुटेरस के विशेष प्रतिनिधि वर्जीनिया गाम्बा के कार्यालय 'निगरानी और रिपोर्टिंग तंत्र' ने रिपोर्ट तैयार की है। वह अर्जेंटीना के राजनयिक हैं। उन्होंने रिपोर्ट गुटेरस को सौंप दी है। माना जा रहा है कि इजरायल इस सूची में शामिल होने वाला पहला लोकतांत्रिक देश है। सूची का मसौदा जारी होने से पहले लीक हो गया है।
कौन-कौन देश है सूची में
पहली बार इस सूची में इजरायल और हमास को शामिल किया गया है। इससे पहले रूस, इस्लामिक स्टेट, अल-कायदा, बोको हराम, अफगानिस्तान, इराक, म्यांमार, सोमालिया, सीरिया और यमन को इस सूची में शामिल किया जा चुका है। पिछले साल यूक्रेन के खिलाफ युद्ध में बच्चों के साथ किए गए व्यवहार के कारण रूस को पहली बार इस सूची में शामिल किया गया था।
क्या असर पड़ेगा?
इस फैसले ने येरुशलम की नींद उड़ा दी है, क्योंकि इस रिपोर्ट का संयुक्त राष्ट्र के अधिकारियों द्वारा नियमित रूप से हवाला दिया जाता है। इतना ही नहीं संभवतः इसका उपयोग अंतरराष्ट्रीय समुदाय में इजरायल की छवि को धूमिल करने के लिए किया जाएगा। इस निर्णय से पूरे इजरायल में आक्रोश है।
क्या है लिस्ट ऑफ शेम?
'लिस्ट ऑफ शेम' में सशस्त्र संघर्ष में बच्चों के खिलाफ कथित अधिकार उल्लंघन का दस्तावेजीकरण किया गया है। इजरायल पर बच्चों के खिलाफ गंभीर अधिकारों के उल्लंघन का आरोप लगाया गया है।
इजरायल पर आरोप
- इजरायल-हमास युद्ध में करीब 8,000 बच्चे मारे गए हैं। इस आंकड़े की पुष्टि नहीं की गई है।
- इजरायल ने भीड़भाड़ वाले क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर बमबारी की, इसके कारण हजारों बच्चे की मौत हो गई।
- कई दिनों तक गाजा की घेराबंदी की गई, जिससे बच्चों तक सहायता नहीं पहुंच पाई।
- महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचे को निशाना बनाया गया, जिसका बच्चों के स्वास्थ्य पर हानिकारक प्रभाव पड़ा।
- वेस्ट बैंक में बच्चों सहित फलस्तीनियों पर बार-बार हमले किए गए।
- इजरायली सुरक्षा बलों ने बच्चों को मुखबिर के रूप में भर्ती किया।
- फलस्तीनी बच्चों को मानव ढाल के रूप में इस्तेमाल किया।
- इन आरोपों को इजरायल ने खंडन किया है।
यूएन ने खुद को ब्लैकलिस्ट कर लिया : नेतन्याहू
संयुक्त राष्ट्र के अधिकारियों ने जून की शुरुआत में ही गिलाद एर्डन से कहा था कि इजरायली सेना को सूची में डाला जा रहा है। राजदूत ने इसे अनैतिक फैसला बताया। वहीं, इजरायल के पीएम बेंजामिन नेतन्याहू ने विरोध करते हुए कहा कि यूएन ने हमास के हत्यारों का सपोर्ट करने वाले खेमे में शामिल होकर खुद को ब्लैकलिस्ट कर लिया है। अपनी सेना का पक्ष लेते हुए नेतन्याहू ने कहा कि वो दुनिया की सबसे नैतिक सेना है।
पहले भी हुआ था जिक्र
इजरायल को इस सूची में डालने की बात पहले भी उठी थी। वर्ष 2015 में इजरायली नेताओं ने यूएन के वरिष्ठ अधिकारियों को धमकाया था कि उनके देश का नाम लिस्ट में नहीं आना चाहिए। ये वो समय था, जब फलस्तीन और इजरायल के बीच युद्ध हुआ था, जिसमें पांच सौ से ज्यादा बच्चे मारे गए थे, जबकि तीन हजार से ज्यादा गंभीर रूप से घायल हुए थे।
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