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आपके दिमाग में क्या चल रहा है, सब पता चल जाएगा, तकनीक विकसित

वैज्ञानिक जल्द ही हमारे दिमाग में चल रहे विचारों को आवाज दे सकते हैं। तकनीक की मदद से वैज्ञानिक तेजी से इस क्षेत्र में आगे बढ़ रहे हैं। माना जा रहा है कि इससे उन मरीजों को फायदा होगा, जो बोलने की...

आपके दिमाग में क्या चल रहा है, सब पता चल जाएगा, तकनीक विकसित
एजेंसियां,न्यूयॉर्क |Fri, 16 Nov 2018 08:51 PM
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वैज्ञानिक जल्द ही हमारे दिमाग में चल रहे विचारों को आवाज दे सकते हैं। तकनीक की मदद से वैज्ञानिक तेजी से इस क्षेत्र में आगे बढ़ रहे हैं। माना जा रहा है कि इससे उन मरीजों को फायदा होगा, जो बोलने की क्षमता को खो चुके हैं। अगर किसी बीमारी की वजह से मस्तिष्क और शरीर का कोई हिस्सा या दोनों हिस्सों को नुकसान पहुंचा है, तो इस तकनीक से उनकी मदद की जा सकेगी।

हालांकि कई मोर्चों पर वैज्ञानिक सफल हुए हैं, लेकिन अभी भी विचारों को फिर से आवाज देने की चुनौती उनके सामने खड़ी है। दुनियाभर में कई वैज्ञानिक प्रत्यारोपण के जरिए बड़ा बदलाव लाने की तैयारी में है। यह प्रत्यारोपण ‘मस्तिष्क कंप्यूटर इंटरफेस’ के रूप में काम करेगा। यह जल्द ही आवाज खो चुके मरीजों के विचारों को दुनिया के सामने रख पाएगा।  

दिमाग के सिग्नलों को ‘सुन’ रहे वैज्ञानिक

कोलंबिया यूनिवर्सिटी और न्यूयॉर्क के नॉर्थवेल हेल्थ के मस्तिष्क वैज्ञानिक और इंजीनियर दिमाग की निजी भाषा को समझने में लगे हुए हैं ताकि विचारों को जल्द ही आवाज दी जा सके। दिमाग के अलग-अलग हिस्से आपस में इलेक्ट्रिकल इम्पल्सस और कैमिकल संदेशों के माध्यम से बातचीत करते हैं। सुनना व भाषण ब्रोका क्षेत्र के केंद्र में होते हैं। यही क्षेत्र दिमाग की आवाज और कान है। वर्निक क्षेत्र हमारे शब्दों के चयन को नियंत्रित करता है। शोधकर्ताओं को उम्मीद है कि मस्तिष्क की निजी बातें सुनकर वे इलेक्ट्रिकल सिग्नलों को शब्दों में ढाल पाएंगे। एएलएस नाम की बीमारी में व्यक्ति बोलने की क्षमता खो देता है। हालांकि ऐसा नहीं है कि उसके दिमाग में विचार नहीं चल रहे होते। बस उन शब्दों को आवाज नहीं मिल पाती। 

इस तरह किया जा रहा प्रयोग

इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग प्रोफेसर डॉक्टर नीमा मेसगारानी इलेक्ट्रॉड पट्टियों को दिमाग में प्रत्यारोपित कर उसकी बातचीत सुन रहे हैं। ये इलेक्ट्रॉड दिमाग के भीतर की गतिविधियों को रिकॉर्ड कर कंप्यूटर को भेजता है। अन्य भाषाओं की तरह डॉक्टर मेसगारानी के कंप्यूटर को भी दिमाग की इलेक्ट्रिकल शब्दावली को समझना पड़ रहा है। इसलिए उन्होंने डॉक्टर अशेष मेहता और उनके वॉलियंटर्स की मदद ली। इसके बार मरीजों के दिमाग में इलेक्ट्रॉड को प्रत्यारोपित कर दिया गया। 

अभी लंबा सफर तय करना होगा

शोधकर्ताओं के मुताबिक जितने ज्यादा मरीजों के दिमाग में प्रत्यारोपण किया जाएगा, उतने ही ज्यादा बेहतर परिणाम की उम्मीद बढ़ेगी। सबसे पहले यह जानने का प्रयास किया जाएगा कि ‘हां’ या ‘ना’ पर हमारे दिमाग में क्या गतिविधि होती है। हालांकि वैज्ञानिकों का कहना है कि जटिल सोच को आवाज देने में अभी समय लगेगा। 

हॉकिंग के दिमाग को नहीं सुन पाती थी मशीन

महान वैज्ञानिक स्टीफन हॉकिंग की जिंदगी के आखिरी 30 साल में उनकी आवाज साथ छोड़ गई थी। हालांकि कंप्यूटर के जरिए वे अपने विचारों को सबसे सामने रखते थे। ‘परफेक्ट पॉल’ नाम का कंप्यूटर स्पीच टूल के रूप में काम करता था। मगर यह कंप्यूटर महान वैज्ञानिक के दिमाग में चल रहे विचारों को नहीं पढ़ पाता था। 

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