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क्या है कोलंबो सिक्यूरिटी कॉन्क्लेव जिसमें भाग लेने NSA अजित डोभाल पहुंचे हैं?

भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल 9 मार्च को श्रीलंका पहुंचे हैं। वह कोलंबो सिक्यूरिटी कॉन्क्लेव (CSC) में भाग लेने पहुंचे हैं। श्रीलंका पहुंच कर उन्होंने कहा कि समुद्री पड़ोसी होने के...

क्या है कोलंबो सिक्यूरिटी कॉन्क्लेव जिसमें भाग लेने NSA अजित डोभाल पहुंचे हैं?
Aditya Kumar हिन्दुस्तान, नई दिल्लीWed, 9 March 2022 08:06 AM
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भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल 9 मार्च को श्रीलंका पहुंचे हैं। वह कोलंबो सिक्यूरिटी कॉन्क्लेव (CSC) में भाग लेने पहुंचे हैं। श्रीलंका पहुंच कर उन्होंने कहा कि समुद्री पड़ोसी होने के नाते श्रीलंका, मालदीव और भारत की सुरक्षा चिंताएं करीब-करीब समान हैं। हमारा तट संवेदनशील है और कई खतरे मौजूद हैं। हम सभी उस पर मिलकर काम करेंगे। 

कोलंबो में पांचवीं कोलंबो सिक्यूरिटी कॉन्क्लेव हो रही है। मालदीव, श्रीलंका और भारत इस ग्रुप से जुड़े हुए हैं। कोलंबो सिक्यूरिटी कॉन्क्लेव की बैठकों में बांग्लादेश, सेशेल्स और मॉरीशस जैसे देश कई बार पर्यवेक्षकों की भूमिका में नजर आए हैं। 

पर कोलंबो सिक्यूरिटी कॉन्क्लेव है क्या?

रिपोर्ट्स के मुताबिक भारत, श्रीलंका और मालदीव ने मिलकर 2011 में इसकी शुरुआत की थी। इस कॉन्क्लेव का मकसद हिंद महासागर के तीनों देशों के बीच समुद्री और सुरक्षा मामलों पर घनिष्ठ सहयोग बनाना था। रिपोर्ट्स की मानें तो श्रीलंका के मौजूदा राष्ट्रपति गोताबाया राजपक्षे 2011 में जब देश के रक्षा मंत्री थे तो उन्होंने इस कॉन्क्लेव को शुरू करने में बहुत दिलचस्पी दिखाई थी।

भारत के लिए इस कॉन्क्लेव का महत्व?

भारत के लिए मालदीव और श्रीलंका जैसे देश जियो स्ट्रेटजी के हिसाब से बेहद अहम हैं। पिछले कुछ सालों में हिंद महासागर और इस क्षेत्र के देशों में बढ़ते चीनी असर को देखते हुए भारत के लिए हिंद महासागर की अहमियत बढ़ गई है।

इस साल की शुरुआत इस तरह की रिपोर्ट्स आई थी कि चीन ने श्रीलंका के उत्तरी प्रांत में विकास परियोजनओं पर काम कर रहा है। यह प्रोजेक्ट भारत की दक्षिणी सीमा के बेहद पास थी। ऐसे में भारत ने श्रीलंका से अपनी चिंता साझा की थी और फिलहाल के लिए इस प्रोजेक्ट को टाल दिया गया है।

एक्सपर्ट्स मानते हैं कि इस ग्रुप में बांग्लादेश, मॉरीशस और सेशेल्स जैसे देश जल्द ही नए सदस्य बन सकते हैं। यह इस बात का संकेत है कि भारत हिंद महासागर के देशों के बेहतर संबंध बनाना चाहता है और संबंधों को और गहरा करना चाहता है।

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