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अमेरिका में एक रिपोर्ट पर क्यों मचा है घमासान, इसमें भारत का भी है नाम

यूएससीआईआरएफ की तरफ से इस रिपोर्ट में बताया गया है कि धार्मिक स्वतंत्रता के मामले में भारत, चीन, पाकिस्तान, अफगानिस्तान और 11 अन्य देशों को 'विशेष चिंता वाले देश' के रूप में नामित करने के लिए मांग की

अमेरिका में एक रिपोर्ट पर क्यों मचा है घमासान, इसमें भारत का भी है नाम
लाइव हिन्दुस्तान,नई दिल्लीThu, 28 Apr 2022 01:02 PM

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अमेरिका में इन दिनों एक रिपोर्ट पर काफी बहस हो रही है। यह रिपोर्ट 'अमेरिकी अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता आयोग' की तरफ से जारी की गई है। इस रिपोर्ट में मांग की गई है कि अमेरिका भारत को 'विशेष चिंता का देश' घोषित करे। इस रिपोर्ट के बाद वहां घमासान मचा हुआ है। इस रिपोर्ट के बाद अमेरिका के हिंदू संगठनों ने इस पर कड़ी आपत्ति जताई है।

भारत के लिए 'विशेष चिंता वाला देश' की मांग
दरअसल, अमेरिकी अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता आयोग यानी यूएससीआईआरएफ की तरफ से इस रिपोर्ट में बताया गया है कि धार्मिक स्वतंत्रता के मामले में भारत, चीन, पाकिस्तान, अफगानिस्तान और 11 अन्य देशों को 'विशेष चिंता वाले देश' के रूप में नामित करने के लिए मांग की गई है। इसके लिए बकायदा बाइडेन प्रशासन को सिफारिश भी भेजी गई है।

अमेरिका के अंदर ही रिपोर्ट पर असहमति
हालांकि इस रिपोर्ट पर अमेरिका के अंदर ही घमासान मचा हुआ है। वहां के एक हिंदू संगठन ने धार्मिक स्वतंत्रता पर यूएससीआईआरएफ की रिपोर्ट को 'हिंदूफोबिक' आयोग के सदस्यों का काम बताया। वर्ल्ड हिंदू काउंसिल ऑफ अमेरिका की एक पहल हिंदूपैक्ट ने एक बयान में आरोप लगाया कि यूएससीआईआरएफ को 'इंडोफोबिक और हिंदूफोबिक सदस्यों' ने अपने कब्जे में ले लिया है।

वहीं दूसरी तरफ मुस्लिम और ईसाई समूहों ने इसमें की गई टिप्पणियों की सराहना की है। अमेरिकन मुस्लिम इंस्टीट्यूशन (एएमआई) और उसके सहयोगी संगठनों ने यूएससीआईआरएफ की सिफारिश की सराहना करते हुए कहा कि भारत में धार्मिक स्वतंत्रता की स्थिति 'काफी खराब' हो गई है।

अमेरिकी सरकार इसको मानने के लिए बाध्य नहीं
कई रिपोर्ट्स में यह भी बताया गया है कि अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता पर अमेरिकी आयोग ने भले ही इसकी सिफारिश की है लेकिन अमेरिकी सरकार इस सिफारिश को मानने के लिए बाध्य नहीं है। अमेरिकी सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों ने सांसदों को बताया कि भारत का एक जीवंत नागरिक समाज, स्वतंत्र न्यायपालिका और एक परिपक्व लोकतंत्र है, जिसमें आंतरिक मानवाधिकार की कोई चिंता पैदा होने पर उससे निपटने के लिए पर्याप्त तंत्र हैं।

हिंदू संगठनों ने लगाई आयोग को फटकार
हिंदूपैक्ट के कार्यकारी निदेशक उत्सव चक्रवर्ती ने आरोप लगाया कि इस साल की रिपोर्ट में पिछले वर्षों में आई रिपोर्टों की प्रवृत्ति ही दिखाई देती है। नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) और कश्मीर जैसे विषयों पर सार्वजनिक रूप से उपलब्ध जानकारी के आधार पर यूएससीआईआरएफ की रिपोर्ट कट्टरपंथी इस्लामी समूह जस्टिस फॉर ऑल के साथ काम कर रहे इस्लामी समूहों की चर्चा की नकल है।

वहीं वर्ल्ड हिंदू काउंसिल ऑफ अमेरिका के अध्यक्ष अजय शाह ने कहा कि यह जाहिर है कि यूएससीआईआरएफ में भारत और हिंदुओं के प्रति नफरत या घृणा की भावना रखने वाले सदस्यों का कब्जा हो गया है।

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