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अमेरिका ने किया हाइपरसोनिक मिसाइल तकनीक का सफल परीक्षण, अब चीन होगा लाल!

सुपरपावर अमेरिका ने फिर से एक ऐसा कारनामा किया है, जिससे चीन को मिर्ची लग जाएगी। अमेरिकी नौसेना ने गुरुवार को कहा कि संयुक्त राज्य अमेरिका ने हाइपरसोनिक मिसाइल तकनीक का सफलतापूर्वक परीक्षण किया है।...

 अमेरिका ने किया हाइपरसोनिक मिसाइल तकनीक का सफल परीक्षण, अब चीन होगा लाल!
हिन्दु्स्तान टीम,वाशिंगटनFri, 22 Oct 2021 07:42 AM

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सुपरपावर अमेरिका ने फिर से एक ऐसा कारनामा किया है, जिससे चीन को मिर्ची लग जाएगी। अमेरिकी नौसेना ने गुरुवार को कहा कि संयुक्त राज्य अमेरिका ने हाइपरसोनिक मिसाइल तकनीक का सफलतापूर्वक परीक्षण किया है। यह एक ऐसी नई हथियार प्रणाली है, जिसे पहले से ही चीन और रूस द्वारा तैनात किया जा रहा है। नौसेना ने एक बयान में कहा कि वर्जीनिया के वॉलॉप्स में नासा परिसर में बुधवार को किया गया यह परीक्षण नौसेना द्वारा डिजाइन की गई सामान्य हाइपरसोनिक मिसाइल के विकास में एक महत्वपूर्ण कदम है। 

बयान में कहा गया कि इस हाइपरसोनिक मिसाइल तकनीक परीक्षण ने रियलिस्टिक ऑपरेटिंग वातावरण में एडवांस्ड हाइपरसोनिक तकनीकों, क्षमताओं और प्रोटोटाइप सिस्टम का प्रदर्शन किया। हाइपरसोनिक मिसाइलें, पारंपरिक बैलिस्टिक मिसाइलों की तरह, ध्वनि की गति से पांच गुना अधिक (मच 5) उड़ सकती हैं और परमाणु हथियार पहुंचा सकती हैं।

हालांकि, हाइपरसोनिक मिसाइलें बैलिस्टिक मिसाइलों की तुलना में अधिक कुशल हैं और वातावरण में कम प्रक्षेपवक्र का पता लगा सकते हैं। बता दें कि निरस्त्रीकरण सम्मेलन में अमेरिका के स्थायी प्रतिनिधि राजदूत रॉबर्ट वुड ने इस सप्ताह की शुरुआत में उन रिपोर्टों को लेकर चिंता व्यक्त की थी कि चीन ने अगस्त में परमाणु क्षमता वाली हाइपरसोनिक मिसाइल का परीक्षण किया था।

फाइनेंशियल टाइम्स के मुताबिक, चीन ने अंतरिक्ष में बीते अगस्त में नई हाइपरसोनिक मिसाइल का परीक्षण किया है। चीन ने एक परमाणु हथियार ले जाने में सक्षम मिसाइल को अंतरिक्ष की निचली कक्षा में भेजा। फिर इस मिसाइल ने धरती का चक्‍कर लगाया और फिर अपने लक्ष्‍य की ओर हाइपरसोनिक गति से चल पड़ी। रिपोर्ट के मुताबिक, हालांकि चीनी मिसाइल का परीक्षण पूरी तरह से सफल नहीं रहा। बताते हैं कि यह मिसाइल अपने लक्ष्‍य से 32 किमी दूर जा गिरी। सूत्रों के मुताबिक चीन ने अपने हाइपरसोनिक ग्‍लाइड व्हीकल को लांग मार्च रॉकेट से भेजा था। बड़ी बात यह है कि चीन ने अगस्‍त में हुए इस परीक्षण के बारे में दुनिया को आगाह नहीं किया था।
 

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