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दुनिया के 5 ऐसे देश, जहां नहीं दर्ज हुआ कोरोना का एक भी केस; जानें दावे की सच्चाई

कोरोना महामारी से जहां पूरी दुनिया परेशान है। वहीं कुछ देश ऐसे भी जो अब भी कोरोना वायरस होने के दावे को नकार रहे हैं। जॉन्स हॉपकिन्स विश्वविद्यालय और डब्ल्यूएचओ के अनुसार तुर्कमेनिस्तान समेत पांच ऐसे...

दुनिया के 5 ऐसे देश, जहां नहीं दर्ज हुआ कोरोना का एक भी केस; जानें दावे की सच्चाई
लाइव हिन्दुस्तान टीम,नई दिल्लीTue, 28 Sep 2021 05:57 AM
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कोरोना महामारी से जहां पूरी दुनिया परेशान है। वहीं कुछ देश ऐसे भी जो अब भी कोरोना वायरस होने के दावे को नकार रहे हैं। जॉन्स हॉपकिन्स विश्वविद्यालय और डब्ल्यूएचओ के अनुसार तुर्कमेनिस्तान समेत पांच ऐसे देश हैं जहां से कोरोना के मामलों की रिपोर्ट नहीं की गई है। इनमें से तीन आइसोलेटेड द्वीप हैं और चौथा उत्तर कोरिया है। उत्तर कोरिया के तानाशाह किम जोंग उन भी अपने देश में कोरोना की मौजूदगी का नकार चुके हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि यहां की सरकारें शायद सच्चाई छुपा रही है जिससे इस महामारी से निपटने के प्रयासों को झटका लग सकता है।

1. तुर्कमेनिस्तान के राष्ट्रपति का दावा- एक भी मामला नहीं
60 लाख की आबादी वाले तुर्कमेनिस्तान के दमनकारी राष्ट्रपति गुरबांगुली बर्डीमुखमेदोव ने देश में कोरोना होने की रिपोर्टों को फर्जी करार दिया है। उनका दावा है कि देश में कोरोना का एक भी मामला नहीं है। गुरबांगुली ने मंगलवार को संयुक्त राष्ट्र महासभा में अपने संबोधन में कहा कि कोरोना को लेकर उठाए जाने वाले कदमों का राजनीतिकरण नहीं किया जाना चाहिए। गौरतलब है कि गुरबांगुली 2006 से तुर्कमेनिस्तान के राष्ट्रपति हैं।

विशेषज्ञ बोले- देश तीसरी लहर से जूझ रहा
वहीं तुर्कमेनिस्तान के बाहर स्वतंत्र संगठनों, पत्रकारों और कार्यकर्ताओं का कहना है कि इस बात के पक्के सबूत हैं कि देश तीसरी लहर से जूझ रहा है। जो अस्पतालों पर भारी पड़ रहा है और दर्जनों लोगों की जान ले रहा है। इन लोगों ने राष्ट्रपति पर जनता में अपनी अच्छी छवि को बनाए रखने के लिए वायरस के खतरे को कम करके आंक रहे हैं। तुर्कमेनिस्तान से निर्वासित और नीदरलैंड स्थित स्वतंत्र समाचार संगठन तुर्कमैन न्यूज के संपादक रूसलान मैतेव ने कहा कि उन्होंने व्यक्तिगत रूप से 60 से अधिक लोगों के नाम जुटाए हैं जिनकी मौत कोरोना से हुई है। इनमें शिक्षक, कलाकार और डॉक्टर शामिल हैं। मैतेव ने कहा कि उन्होंने सभी दर्ज मौतों के स्वास्थ्य रिकॉर्ड और एक्स-रे को सत्यापित किया तो पाया कि इन लोगों के फेफड़ों को काफी अधिक नुकसान पहुंचा था। साथ ही इन पीड़ितों को कोरोना वायरस के अनुरूप इलाज किया गया था।

पड़ोसी देश ईरान कोरोना से जुझ रहा
वर्ष 2020 की शुरुआत में जब कोरोना महामारी की शुरुआत हुई तभी तुर्कमेनिस्तान दावा कर रहा कि उसके यहां संक्रमण का कोई मामला नहीं है। जबकि पड़ोसी देश ईरान जो तुर्कमेनिस्तान के साथ काफी लंबी सीमा को साझा करता है महामारी से भयंकर रूप से पीड़ित है। डब्ल्यूएचओ के मुताबिक ईरान में अब तक 55 लाख लोग कोरोना से संक्रमित हो चुके हैं। ह्यूमन राइट्स वॉच में यूरोप के उप प्रमुख और मध्य एशिया निदेशक रासेल डेनबर ने कहा कि आप देखें कि इस क्षेत्र के अन्य देशों में क्या हो रहा है और तुर्कमेनिस्तान संभवतः इनसे कैसे इतना भिन्न हो सकता है। डेनबर ने कहा कि डब्ल्यूएचओ सहित तुर्कमेनिस्तान के साथ बातचीत करने वाले अंतरराष्ट्रीय संगठनों का कर्तव्य है कि वे देश के अंदर की स्थिति के बारे में दुनिया सही जानकारी दें।

2. उत्तर कोरिया के कोरोना मुक्त दावे को विशेषज्ञों ने नकारा
उत्तर कोरिया ने भी डब्ल्यूएचओ से कहा है कि उसने देश में हजारों लोगों की कोरोना जांच की है लेकिन इस दौरान संक्रमण का एक भी मामला सामने नहीं आया है। जबकि पड़ोसी देश दक्षिण कोरिया और चीन में अब तक संक्रमण के लाखों मामले आ चुके हैं। ऐसे में विशेषज्ञों ने उत्तर कोरिया के दावे पर भी सवाल उठाए हैं। 2020 में उत्तर कोरिया के तानाशाह किम जोंग उन ने 23 जनवरी को सभी विदेशी पर्यटकों पर प्रतिबंध लगाने और इसके एक सप्ताह बाद आपातकाल घोषित कर दिया था।

फरवरी में सख्त उपायों को लागू किया
फरवरी की शुरुआत में कोरोना संक्रमण होने के दक्षिण कोरिया के दावे को नकार दिया। लेकिन सख्त उपायों को लागू किया जैसे की 20 फरवरी से स्कूलों को बंद कर दिया। इसी माह में उत्तर कोरिया ने अतंरराष्ट्रीय उड़ानों के साथ सड़क और समुद्री मार्ग से यात्रा पर रोक लगा दी और मास्क को अनिवार्य कर दिया था। इसके बाद 18 मार्च को किम जोंग ने नए अस्पतालों के निर्माण का आदेश दिया। लेकिन कहा कि यह देश की स्वास्थ्य प्रणाली में सुधार से संबंधित था। हालांकि इस दौरान उन्होंने कोरोना को कोई उल्लेख नहीं किया। वहीं महीने के अंत तक सरकार ने दस हजार लोगों को क्वारंटाइन किया गया था।

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