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यहां पक्षियों की तरह सीटी बजाकर बात करते हैं लोग, मोबाइल से इसके लुप्त होने का खतरा

अपनी बात कहने के लिए दुनियाभर में लोग तरह तरह की भाषाओं और बोलियों का इस्तेमाल करते हैं। पशु, पक्षी और परिंदे भी अलग अलग तरह की आवाजें निकालकर आपस में संवाद करते हैं, लेकिन दुनिया का एक हिस्सा ऐसा...

यहां पक्षियों की तरह सीटी बजाकर बात करते हैं लोग, मोबाइल से इसके लुप्त होने का खतरा
भाषा,नयी दिल्लीSun, 21 Oct 2018 12:29 PM
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अपनी बात कहने के लिए दुनियाभर में लोग तरह तरह की भाषाओं और बोलियों का इस्तेमाल करते हैं। पशु, पक्षी और परिंदे भी अलग अलग तरह की आवाजें निकालकर आपस में संवाद करते हैं, लेकिन दुनिया का एक हिस्सा ऐसा है, जहां लोग सीटी बजाकर अपनी बात कहते हैं। संयुक्त राष्ट्र की सांस्कृतिक एजेंसी ने पिछले बरस तुर्की के एक हिस्से में बोली जाने वाली 'बर्ल्ड लैंग्वेज को अपनी धरोहर सूची में शामिल किया और इसके संरक्षण की जरूरत बताई, जिसके बाद पूरी दुनिया का ध्यान इस अनोखी भाषा की ओर आकर्षित हुआ। 

उत्तरी तुर्की में बोली जाती है ये भाषा
उत्तरी तुर्की के गिरेसुन प्रांत के गांवों में रहने वाले करीब दस हजार लोग आज भी इस बेहद खूबसूरत भाषा को जीवित रखे हुए हैं। यूनेस्को ने इस बेहद सुरीली भाषा को अपनी हेरिटेज सूची में शामिल करने के मौके पर जारी एक विज्ञप्ति में बताया कि ऊंची ऊंची दुर्गम पहाड़ियों वाले इन इलाकों में रहने वाले लोग अपनी बात को दूर तक पहुंचाने के लिए सीटी के जरिए संवाद करते हैं।
    
मोबाइल फोन के बढ़ते इस्तेमाल से इस बोली को खतरा
एक जमाने में ढोल बजाकर अपनी आवाज पहुंचाने का चलन हुआ करता था। लेकिन आज संचार के आधुनिकतम माध्यमों के बीच काला सागर के तट पर बसे पर्वतीय इलाके में सीटी बजाकर छोटे छोटे संदेश दूर तक पहुंचाने की इस खूबसूरत बोली को बचाने की कोशिश हो रही है। यूनेस्को का कहना है कि मोबाइल फोन का बढ़ता इस्तेमाल पहाड़ी इलाकों में तीन से पांच किलोमीटर से अधिक दूर से भी सुनाई देने वाली हवा में गूंजती इस बोली का सबसे बड़ा दुश्मन है, लेकिन तरह तरह के उपाय करके इस धरोहर के संरक्षण का प्रयास किया जा रहा है।
     
चरवाहों ने इस बोली को जिंदा रखा
तुर्की के हुर्रियत डेली न्यूज का कहना है कि 50 बरस पहले तक आसपास के कई इलाकों में परिंदों की तरह बोली जाने वाली इस बोली का खासा प्रचलन था, लेकिन मोबाइल के बढ़ते प्रसार के कारण अब यह बहुत छोटे इलाके में सिमटकर रह गई है। यहां भी मुख्यत: चरवाहों ने इस बोली को जिंदा रखा। हालांकि अब आधुनिक संचार माध्यमों के बीच भी लोग इस बोली के जरिए बात करते दिखाई देते हैं।

बोली को जिंदा रखने के लिए किए जा रहे हैं कई प्रयास
एक अन्य अखबार मिलियत का कहना है कि स्थानीय लोग इस बोली को विश्व धरोहर सूची में शामिल किए जाने से बहुत उत्साहित हैं और बर्ड लैंग्वेज सांस्कृतिक एसोसिएशन के जरिए तरह तरह के उपायों से इसे संरक्षित रखने की कोशिश की जा रही है। हालांकि बोली को संरक्षित रखने के प्रयास पिछले काफी समय से किए जा रहे हैं। जिला प्रशासन ने 2014 से स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों को यह बोली सिखाने की व्यवस्था की है। समय समय पर बर्ल्ड लैंग्वेज उत्सवों का आयोजन करके ज्यादा से ज्यादा लोगों को यह भाषा सीखने के लिए प्रेरित किया जाता है। 
     
इसलिए पैदा हुई थी इस भाषा की जरूरत
एक समय में पर्वतीय इलाकों में रहने वालों के लिए संवाद करना मुश्किल होता होगा। किसी काम से घर से निकले व्यक्ति को अगर किसी कारणवश देर हो जाए तो वह कैसे बताए कि वह सुरक्षित है, पहाड़ी के दूसरी तरफ रहने वालों को कोई संदेश देना हो तो क्या करें, कहीं कोई भटक गया हो तो अपनी मंजिल तक कैसे पहुंचे, कोई आपदा हो तो बचाव के लिए कैसे पुकारें? इन तमाम सवालों का एक आसान सा जवाब था सीटी बजाकर बोली जाने वाली यह अनोखी भाषा।

400 से ज्यादा शब्द और वाक्यांश
विशेषज्ञों का कहना है कि दुनिया के कई हिस्सों में सदियों से सीटी की भाषा बोलने का चलन रहा है। तुर्की के अलावा स्पेन, मैक्सिको और यूनान में भी यह बोली प्रचलित रही, लेकिन तुर्की की बर्ल्ड लैग्वेज सबसे समृद्ध है। इसमें 400 से ज्यादा शब्द और वाक्यांश हैं। 

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