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Corruption Index: भ्रष्टाचार से लड़ने में 95% देश फेल, जानें इंडेक्स में कौन से स्थान पर है भारत

रिपोर्ट देशों को ‘अत्यधिक भ्रष्ट’ से ‘भ्रष्टाचार मुक्त’ के बीच शून्य से 100 के पैमाने पर रैंकिंग करती है। सोमालिया भ्रष्टाचार के मामले में अंतिम स्थान पर रहा। सूचकांक में 180 देशों की रैंकिंग की गई।

Corruption Index: भ्रष्टाचार से लड़ने में 95% देश फेल, जानें इंडेक्स में कौन से स्थान पर है भारत
Nisarg Dixitएजेंसी,बर्लिनWed, 01 Feb 2023 05:33 AM

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दुनिया के अधिकतर देश भ्रष्टाचार से लड़ने में विफल साबित हो रहे हैं। भ्रष्टाचार के खिलाफ 95 फीसदी देशों ने 2017 के बाद से बहुत कम या कोई प्रगति नहीं की है। ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल ने मंगलवार को ‘भ्रष्टाचार सूचकांक 2022’ जारी कर यह जानकारी दी। इस सूचकांक में भारत 40 अंकों के साथ 85वें स्थान पर बरकरार है। 

डेनमार्क को इस वर्ष 90 अंकों के साथ सबसे कम भ्रष्ट देश के रूप में देखा गया। इसके बाद फिनलैंड तथा न्यूजीलैंड दोनों को समान 87 अंक मिले हैं। ब्रिटेन ने पांच अंक के नुकसान के साथ अब तक का सबसे कम 73 अंक हासिल किया। रिपोर्ट देशों को ‘अत्यधिक भ्रष्ट’ से ‘भ्रष्टाचार मुक्त’ के बीच शून्य से 100 के पैमाने पर रैंकिंग करती है। सोमालिया भ्रष्टाचार के मामले में अंतिम स्थान पर रहा। सूचकांक में 180 देशों की रैंकिंग की गई है।

लोगों को खतरे में डालती सरकारें: अध्यक्ष
ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल की अध्यक्ष डेलिया फरेरा रुबियो ने कहा, भ्रष्टाचार ने दुनिया को एक खतरनाक जगह बना दिया है। जैसा कि सरकारें सामूहिक रूप से इसके खिलाफ प्रगति करने में विफल रही हैं। सरकारें हिंसा और संघर्ष में मौजूदा वृद्धि को बढ़ावा देती हैं और हर जगह लोगों को खतरे में डालती हैं। उन्होंने कहा, देशों के लिए एकमात्र रास्ता भ्रष्टाचार को जड़ से खत्म करना है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि सरकारें केवल कुछ कुलीन वर्ग के लिए नहीं बल्कि सभी लोगों के लिए काम करती हैं।

रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि भ्रष्टाचार से प्रभावित सरकारों में लोगों की रक्षा करने की क्षमता का अभाव है। इसके अलावा सार्वजनिक असंतोष के हिंसा में बदलने की अधिक आशंका है

सबसे नीचे ये देश
सोमालिया 12 अंकों के साथ सबसे नीचे रहा जबकि दक्षिण सूडान 13 अंक के साथ अंतिम स्थान से एक पहले सीरिया के साथ बराबरी पर रहा।

ये आधार : सूचकांक की गणना 13 विभिन्न डाटा स्रोतों का इस्तेमाल करके की जाती है। स्रोतों में विश्व बैंक, विश्व आर्थिक मंच और निजी जोखिम और परामर्श कंपनियां शामिल हैं।

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