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माइक पोम्पिओ ने कहा, चीन की कम्युनिस्ट पार्टी से खतरे को नकारा नहीं जा सकता

अमेरिका के विदेश मंत्री माइक पोम्पिओ ने चीन की कम्युनिस्ट पार्टी से खतरे को बिल्कुल वास्तविक बताते हुए बुधवार (29 जुलाई) को कहा कि ट्रंप प्रशासन ने बीजिंग के साथ संबंधों में फिर से संतुलित करने के...

माइक पोम्पिओ ने कहा, चीन की कम्युनिस्ट पार्टी से खतरे को नकारा नहीं जा सकता
पीटीआई,वॉशिंगटनThu, 30 Jul 2020 08:46 PM
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अमेरिका के विदेश मंत्री माइक पोम्पिओ ने चीन की कम्युनिस्ट पार्टी से खतरे को बिल्कुल वास्तविक बताते हुए बुधवार (29 जुलाई) को कहा कि ट्रंप प्रशासन ने बीजिंग के साथ संबंधों में फिर से संतुलित करने के लिए ''सही कदम" उठाने शुरू कर दिए हैं जिससे अमेरिकियों की आजादी की रक्षा हो सके। पोम्पिओ ने उम्मीद जताई कि चीन यह फैसला लेगा कि व्यापार सौदे के पहले चरण के तहत उनकी प्रतिबद्धताओं का पालन किया जाए। उन्होंने कहा, ''हम इंतजार करेंगे और देखेंगे कि क्या वे अपने दायित्वों को पूरा करते हैं।"

पोम्पिओ ने एक साक्षात्कार में कहा, ''अमेरिका के राष्ट्रीय सुरक्षा परिदृश्य से देखे तो राष्ट्रपति (डोनाल्ड ट्रंप) ने 2015 में चुनाव प्रचार अभियान के समय चीन की कम्युनिस्ट पार्टी से जिस खतरे की पहचान की थी वह वास्तविक है। इसलिए हमने इस संबंध को फिर से संतुलित करने के लिए सभी सही कदम उठाने शुरू कर दिए हैं ताकि अमेरिकी लोगों की आजादी की रक्षा हो सके।"

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उन्होंने कहा, ''हमने व्यापार संबंधों में गैर पारस्परिक रवैया देखा जहां चीन की कम्युनिस्ट पार्टी ने बौद्धिक संपदा की चोरी की और फिर वापस हमें बेच दी, राज्य प्रायोजित उद्योगों को ठगा, उस स्तर तक जाकर साइबर चोरी की जहां तक आज कोई देश पहुंच भी नहीं सकता।" एक सवाल के जवाब में पोम्पिओ ने कहा कि कम्युनिस्ट सरकार की अहम मौकों पर सच न बताने की प्रवृत्ति रही है। उन्होंने कहा, ''आज भी वे उन स्थानों तक जाने से रोक रहे है जहां पहुंचा जाना चाहिए ताकि यह पता लगाया जा सकें कि कोरोना वायरस दुनिया भर में कैसे फैला।" विदेश मंत्री ने आरोप लगाया कि कोरोना वायरस पहला वायरस नहीं है जो चीन से आया है।

दूसरी ओर, अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने आरोप लगाया कि भारत, चीन और रूस अपनी वायु गुणवत्ता का ध्यान नहीं रखते, जबकि अमेरिका रखता है। उन्होंने पेरिस समझौते को ''एकतरफा, ऊर्जा बर्बाद करने वाला" बताते हुए कहा कि वह इस समझौते से अलग हो गए जो अमेरिका को एक ''गैर प्रतिस्पर्धी" राष्ट्र बना देता। ट्रंप ने ऊर्जा पर अपने संबोधन में बुधवार (29 जुलाई) को कहा कि इन दंडात्मक पाबंदियों को लागू करके और पाबंदियों से इतर वॉशिंगटन के कट्टर-वामपंथी, सनकी डेमोक्रेट्स असंख्य अमेरिकी नौकरियों, कारखानों, उद्योगों को चीन तथा प्रदूषण फैला रहे अन्य देशों को भेज देते।

उन्होंने कहा, ''वे चाहते हैं कि हम अपने वायु प्रदूषण पर ध्यान रखें लेकिन चीन इसका ध्यान नहीं रखता। सच कहूं तो भारत अपने वायु प्रदूषण पर ध्यान नहीं रखता। रूस अपने वायु प्रदूषण पर ध्यान नहीं रखता, लेकिन हम रखते हैं। जब तक मैं राष्ट्रपति रहूंगा तब तक हम हमेशा अमेरिका को पहले रखेंगे। यह बहुत ही सीधी-सी बात है।"

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