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तालिबान राज में किसके हाथ होगी अफगान की कमान, कैबिनेट में किन्हें मिलेगी जगह, जानें इन सबकी कुंडली

काबुल पर तालिबान के कब्जे के बाद से अफगानिस्तान में नई सरकार गठन की तैयारी जारी है। तालिबान जल्द ही सरकार की घोषणा करने को है। तालिबान सरकार का मॉडल काफी हद तक ईरान की तरह रहने वाला है। माना जा रहा...

Aditya Kumar हिन्दुस्तान, नई दिल्लीSat, 4 Sep 2021 12:14 PM
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काबुल पर तालिबान के कब्जे के बाद से अफगानिस्तान में नई सरकार गठन की तैयारी जारी है। तालिबान जल्द ही सरकार की घोषणा करने को है। तालिबान सरकार का मॉडल काफी हद तक ईरान की तरह रहने वाला है। माना जा रहा है कि मुल्ला अब्दुल गनी बरादर के हाथ में अफगान सरकारर की कमान होगी।रिपोर्ट्स बताती हैं कि अफगानिस्तान में ईरान मॉडल पर ही तालिबान की सरकार बनेगी। तालिबान नेता हिबतुल्लाह अखुंदजादा इस सरकार के सुप्रीम लीडर होंगे और प्रधानमंत्री या राष्ट्रपति उनके आदेशों के तहत ही काम करेंगे। तो कौन-कौन लोग तालिबान सरकार में शामिल हो सकते हैं, आइए जानते हैं। 

हिबतुल्लाह अखुंदजादा

अखुंदजादा 2016 से तालिबान के प्रमुख हैं। 2016 में अमेरिकी ड्रोन हमले में अख्तर मोहम्मद मंसूर के मारे जाने के बाद अखुंदजादा उनके उत्तराधिकारी बनाए गए थे। वह सोवियत आक्रमण काल में इस्लामी प्रतिरोध में शामिल रहे हैं। वह सैन्य कमांडर की तुलना में एक धार्मिक नेता के तौर पर अधिक लोकप्रिय हैं। रिपोर्ट्स बताती हैं कि पिछले तालिबान शासन के दौरान अखुंदजादा सर्वोच्च न्यायालय के उप प्रमुख थे। 2001 के बाद तालिबान के पतन के बाद, वह धार्मिक विद्वानों के समूह की परिषद के प्रमुख बनाए गए थे।

मुल्ला अब्दुल गनी बरादर

सुप्रीम लीडर के बाद बरादर सबसे बड़े और शक्तिशाली नेता होंगे। माने मुल्ला अब्दुल गनी बरादर तालिबान की सरकार के मुखिया होंगे। बरादर को अमेरिकी खुफिया एजेंसी सीआईए और पाकिस्तान ने साल 2010 में एक ऑपरेशन में गिरफ्तार किया था। इसके बाद बरादर 8 साल तक पाकिस्तान की जेल में रहे। 2018 में अमेरिकी दबाव के बाद पाकिस्तान ने उसे रिहा कर दिया। फिर बरादर को कतर स्थानांतरित कर दिया गया जहां बरादर दोहा में तालिबान के राजनीतिक कार्यालय के प्रमुख नियुक्त किए गए। यहां उन्होंने उस समझौते पर हस्ताक्षर किए जिसके कारण अमेरिकी सेना को अपने 20 साल के अभियान को वापस लेने का समझौता करना पड़ा।

सिराजुद्दीन हक्कानी

सिराजुद्दीन, हक्कानी नेटवर्क के प्रमुख हैं। पाकिस्तान में पैदा हुए हक्कानी का नेटवर्क अफगानिस्तान और पाकिस्तान में बराबर रूप से असरदार है। हक्कानी तालिबान के मिलिट्री स्ट्रेटजी के भी प्रमुख हैं। रिपोर्ट्स बताती हैं कि काबुल पर कब्जे के बाद से तालिबान ने हक्कानी को काबुल का सुरक्षा प्रभारी बना दिया है। अमेरिकी खुफिया एजेंसियों ने हक्कानी को अपनी मोस्ट वांटेड लिस्ट में रखा हुआ है जिस पर करीब 36 करोड़ रुपये का इनाम है।

अनस हक्कानी

अनस तालिबान नेता हैं जो कतर स्थित समझौता वार्ता टीम के सदस्य रहे हैं। अनस को कविताएं लिखनी पसंद है। अनस हक्कानी, सिराजुद्दीन हक्कानी के भाई हैं। 2014 में अनस को गिरफ्तार कर लिया गया था लेकिन बाद में कैदियों की अदला-बदली में अनस को रिहा कर दिया गया था। हाल में अनस ने अफगानिस्तान क्रिकेट बोर्ड का दौरा किया था और कहा था कि वह क्रिकेट को बढ़ावा देने के लिए हर संभव कोशिश करेंगे।

जबीउल्लाह मुजाहिद

जबीउल्लाह मौजूदा वक्त में तालिबान के प्रवक्ता हैं। जबीउल्लाह पहली बार 17 अगस्त 2021 को सावर्जनिक रूप से पेश हुए। इससे पहले वह लगातार तालिबान के पक्ष को दुनिया के सामने रखते रहे हैं। जबीउल्लाह 2007 में तालिबान के प्रवक्ता नियुक्त किए गए थे। इससे पहले वह अमेरिकी और अफगान सेना से लड़ चुके हैं।

सुहैल शाहीन

सुहैल भी मौजूदा वक्त में तालिबान के प्रवक्ता हैं। वह कतर स्थित तालिबान के राजनीतिक ऑफिस के प्रवक्ता का कामकाज देखते हैं। वह पाकिस्तान में अफगानिस्तान के उप राजदूत रह चुके हैं। 1996-2001 तालिबान सरकार के दौरान वह सरकारी अखबार काबुल टाइम्स के एडिटर रह चुके हैं। सुहैल पश्तो, उर्दू, इंग्लिश, हिंदी सहित कई भाषाओं के जानकार हैं। 

मोहम्मद याकूब

याकूब तालिबान के संस्थापक मोहम्मद उमर के बेटे हैं। वह मौजूदा वक्त में सुप्रीम लीडर हिबतुल्लाह अखुंदज़ादा के दो डिप्टी में से एक हैं। याकूब ने पाकिस्तान के कराची शहर में इस्लामिक शिक्षा ली है। 2016 में याकूब को अफगानिस्तान के 15 प्रदेशों का मिलिट्री प्रमुख बनाया गया था। इसके बाद ही याकूब को तालिबान की टॉप निर्णय लेनी वाली परिषद रहबरी शूरा में शामिल किया गया था। रिपोर्ट्स बताती हैं कि मोहम्मद याकूब के सऊदी अरब राजशाही परिवार से बेहतर संबंध हैं।

शेर मोहम्मद अब्बास स्तनेकजई

58 साल के शेर मोहम्मद अब्बास स्तनेकजई अपने दोस्तों के बीच शेरू के नाम से जाने जाते हैं। अफगानिस्तान के लोगर प्रांत में इनका जन्म 1963 में हुआ था। इन्होंने भारत के देहरादून स्थित इंडियन मिलिट्री अकादमी में पढ़ाई की हुई है। देहरादून से ट्रेनिंग करने के बाद में इन्होंने अफगान सैनिकों को ट्रेनिंग दी है। मौजूदा वक्त में शेरू तालिबान के दोहा राजनीतिक कार्यालय के प्रमुख हैं। शेरू सोवियत-अफगान युद्ध में तालिबान की ओर से लड़ चुके हैं। 1996-2001 के दौरान अफगानिस्तान में तालिबान के शासन के दौरान शेरू उपविदेश मंत्री रहे हैं। मीडिया रिपोर्ट्स बताती हैं कि अबकी वह तालिबान सरकार में विदेश मंत्री बनाए जा सकते हैं।

ईरान मॉडल पर तालिबान सरकार

ईरान में सर्वोच्च नेता देश का सर्वोच्च राजनीतिक और धार्मिक प्राधिकारी है। उसका दर्जा राष्ट्रपति से ऊंचा होता है और वह सेना, सरकार और न्यायपालिका के प्रमुखों की नियुक्ति करता है। सर्वोच्च नेता का देश के राजनीतिक, धार्मिक और सैन्य मामलों में निर्णय अंतिम होता है। 

 

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