बदलाव की बयार:सऊदी अरब में 35 साल बाद एक बार फिर खुलेंगे सिनेमाघर
सऊदी अरब में 35 साल बाद फिर से सिनेमाघर खोले जाएंगे। सऊदी अरब ने सोमवार को अगले साल से सिनेमाघरों को लाइसेंस प्रदान की योजना की घोषणा की। संस्कृति और सूचना मंत्री अवाद बिन सालेह अलवाद ने एक बयान में...
सऊदी अरब में 35 साल बाद फिर से सिनेमाघर खोले जाएंगे। सऊदी अरब ने सोमवार को अगले साल से सिनेमाघरों को लाइसेंस प्रदान की योजना की घोषणा की। संस्कृति और सूचना मंत्री अवाद बिन सालेह अलवाद ने एक बयान में कहा कि उद्योग नियामक, जनरल कमीशन फॉर ऑडियो-विजुअल मीडिया ने इस प्रक्रिया को शुरू कर दिया है। उन्होंने कहा कि पहला सिनेमाघर मार्च, 2018 में खुलने की उम्मीद है। यह कदम 2030 आर्थिक दृष्टि के भाग के रूप में सुधारों की एक सीरीज का हिस्सा है, जिसमें भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई भी शामिल है।
इस बदलाव का उद्देश्य सऊदी द्वारा विदेशों में खर्च किए गए 20 अरब डॉलर का एक चौथाई हिस्सा हासिल करना है, जो शो और मनोरंजन पार्कों को देखने के लिए विदेशों की यात्रा करने के आदी हैं। हाल के महीनों में सऊदी अरब ने कॉन्सर्ट, कॉमिक-कॉन पॉप कल्चर फेस्टिवल का आयोजन किया था, जिसमें लोगों को पहली बार इलेक्ट्रॉनिक संगीत पर सड़कों पर नृत्य करते देखा गया। मंत्रालय को उम्मीद है कि सऊदी अरब में 2030 तक लगभग 300 सिनेमा घर होंगे, जिनमें 2000 से ज्यादा स्क्रीनों पर फिल्में देखी जा सकेंगी।
सऊदी क्राउन प्रिंस का कहना है कि वह देश में कट्टरपंथी इस्लामी प्रभाव को कम करने की कोशिश कर रहे हैं। 1980 के दशक में सऊदी अरब में फिल्मों के प्रदर्शन पर बैन लगा दिया गया था। कट्टरपंथी सिनेमा को सांस्कृतिक और धार्मिक पहचान के लिए खतरा मानते हैं, इसलिए सऊदी अरब में सिनेमाओं पर पाबंदी लगाई गई। जनवरी 2017 में ही सऊदी अरब के सबसे बड़े धार्मिक नेता ने सिनेमा को ‘अनैतिक’ बताया था। जबकि सऊदी फिल्मकारों का कहना है कि यूट्यूब के जमाने में सिनेमाघरों पर पाबंदी लगाने का कोई मतलब नहीं है।
सऊदी के फिल्में सराहीं जा रहीं
सऊदी अरब में सिनेमाघर न होने के बावजूद भी वहां के युवा फिल्मकारों को सरकार का समर्थन मिल रहा है और हालिया वर्षों में उनके काम को अंतरराष्ट्रीय मंच पर भी सराहा गया गया है। इस साल अब तक करीब 60 सऊदी फिल्मों का प्रदर्शन किया जा चुका है।
एकेडमी अवॉर्ड के लिए भी नामित
वर्ष 2013 में फिल्म ‘वाजिदा’ ने इतिहास रचते हुए एकेडमी अवॉर्ड में सर्वश्रेष्ठ विदेशी फिल्म के अवॉर्ड के लिए नामित हुई थी। हालांकि यह फिल्म ऑस्कर में जगह नहीं बना पाई थी। यह फिल्म एक 10 साल की बच्ची की थी, जो लड़कों की तरह ही साइकिल चलाने का सपना देखती है। सऊदी की महिला निर्देशक हैफा अल-मनसॉर इस फिल्म की लेखक व निर्देशक हैं।