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तालिबान 2.0 में कितना बदला अफगानिस्तान, महिलाओं की छिनी आजादी; PAK के लिए बना मुसीबत

अफगानिस्तान में तालिबान के शासन को 15 अगस्त को दो साल पूरे हो गए। साल 2021 में जब तालिबान यहां सत्ता में आया था तो कई सारे वादे थे। तालिबान 2.0 के तहत अंतर्राष्ट्रीय समुदाय से वादा किया गया था।

तालिबान 2.0 में कितना बदला अफगानिस्तान, महिलाओं की छिनी आजादी; PAK के लिए बना मुसीबत
Deepakलाइव हिंदुस्तान,नई दिल्लीTue, 15 Aug 2023 09:34 PM
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अफगानिस्तान में तालिबान के शासन को 15 अगस्त को दो साल पूरे हो गए। साल 2021 में जब तालिबान यहां सत्ता में आया था तो कई सारे वादे थे। तालिबान 2.0 के तहत अंतर्राष्ट्रीय समुदाय से वादा किया गया था कि महिलाओं की हालत और शिक्षा को लेकर उसकी सोच बदली है। लेकिन दो साल तक तालिबानी शासन के बाद समझ में यही आया कि उसकी कट्टरपंथी सोच में बिल्कुल बदलाव नहीं आया है। अब तालिबान का कहना है कि वह इस्लामिक कानून, शरिया के तहत शासन करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। आइए जानते हैं दो साल के अफगानिस्तान शासन में आखिर वहां पर क्या-क्या बदल गया?

महिलाओं-लड़कियों की मुसीबत
अफगानिस्तान में तालिबान का दोबारा शासन लागू हुआ तो सबसे पहले आशंका लड़कियों और महिलाओ के अधिकार को लेकर उठी। तालिबान के शीर्ष नेता हिबतुल्ला अखुंदज्दा ने यहां पर महिलाओं की जिंदगी में बदलाव का दावा किया था। हालांकि हकीकत में ऐसा कुछ हुआ नहीं। जैसे ही विदेशी सेना ने अफगानिस्तान की धरती छोड़ी, एक फिर से हिजाब अनिवार्य हो गया। इन प्रतिबंधों की अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर जमकर आलोचना हुई। यूनाइटेड नेशंस ने भी इसके लिए तालिबानी सरकार को आड़े हाथों लिया।

अफगानिस्तान के आम लोग भी परेशान
गौरतलब है कि पूर्व में पश्चिम समर्थित अफगानी सरकारों के बजट का 80 फीसदी अंतर्राष्ट्रीय समुदाय से आता था। तालिबान के बदले हुए रवैये के चलते उसको अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर मिलने वाली मदद पर रोक लग गई। ऐसी हालत में यहां के अस्पताल, स्कूल, फैक्ट्रीज और सरकारी मंत्रालयों में जबर्दस्त कटौती हो गई है। वहीं आम लोगों के लिए भी जिंदगी मुश्किलों से भर गई है। अफगानिस्तान में हालात बेहद खराब हैं। यह लगातार तीसरा साल है जब वहां पर सूखे जैसे हालात हैं। वहीं, विभिन्न तरह की मदद पर रोक से परेशानी और ज्यादा बढ़ गई है। उधर तालिबान ने निवेश के लिए चीन और कजाकिस्तान जैसे देशों से संपर्क किया है।

पाकिस्तान में बढ़ी मुसीबत
अफगानिस्तान में तालिबान का शासन लागू होने के बाद पाकिस्तान की मुश्किल सबसे ज्यादा बढ़ी है। पाकिस्तान को तालिबान का गुरु माना जाता है। लेकिन उसने पाकिस्तान पर ही हमले शुरू कर दिए। इसी जुलाई में पाकिस्तान ने आरोप लगाया था कि तालिबान शासित अफगानिस्तान उसके देश में हमले के लिए आतंकियों को शह दे रहा है। इसके चलते पाकिस्तान में खून खराबा काफी ज्यादा बढ़ गया है। पाकिस्तान ने इस पर कहा था कि वह इसे बिल्कुल भी बर्दाश्त नहीं करेगा।

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