ट्रेंडिंग न्यूज़

Hindi News विदेश8 से 4 की ड्यूटी में उलझकर परेशान हुए तालिबानी लड़ाके, देरी होने पर कट जाती है सैलरी; जिहाद को कर रहे याद

8 से 4 की ड्यूटी में उलझकर परेशान हुए तालिबानी लड़ाके, देरी होने पर कट जाती है सैलरी; जिहाद को कर रहे याद

एक तालिबानी लड़ाका बताता है कि वह किराया बहुत होने की वजह से अपने परिवार को काबुल नहीं ला सका है। उसे सैलरी के रूप में लगभग 15 हजार अफगानी (180 अमेरिकी डॉलर) दिए जाते हैं।

8 से 4 की ड्यूटी में उलझकर परेशान हुए तालिबानी लड़ाके, देरी होने पर कट जाती है सैलरी; जिहाद को कर रहे याद
Madan Tiwariलाइव हिन्दुस्तान,काबुलSat, 04 Feb 2023 10:11 PM
ऐप पर पढ़ें

Taliban News: अफगानिस्तान में तालिबान डेढ़ साल से शासन कर रहा है। नाटो और अमेरिकी सेना की वतन वापसी के बाद तालिबानी लड़ाकों ने अफगानिस्तान पर कब्जा कर लिया था। शासनकाल के दौरान महिलाओं पर तरह-तरह के प्रतिबंध लगाने के लिए सुर्खियों में बने रहने वाला तालिबान अब एक नई परेशानी से जूझ रहा है। दरअसल, तालिबान के कई लड़ाके अब अपने पुराने दिनों को याद कर रहे हैं। ज्यादातर लड़ाके गांवों के रहने वाले थे, जोकि अब सत्ता मिलने के बाद शहर में बस गए हैं। इसमें से कई ऑफिस जाते हैं और सुबह आठ बजे से शाम चार बजे तक की ड्यूटी करते हैं। कुछ तालिबानी लड़ाकों ने अपने अनुभवों को स्थानीय वेबसाइट से साझा किया है।

32 साल का तालिबानी लड़ाका उमर मंसूर पक्तिका प्रांत के याहयाखेल जिले का रहने वाला है और उसके पांच बच्चे हैं। उसने बचपन के दिनों को याद करते हुए कहा कि मेरा जन्म उत्तरी वज़ीरिस्तान में हुआ था, लेकिन मेरा बचपन याहयाखेल में बीता। मैंने अपनी शिक्षा गांव की मस्जिद में शुरू की और फिर एक छोटे से मदरसे में चला गया जो पड़ोसी जिले में पहले अमीरात के दौरान बनाया गया था। जिस समय अमेरिकियों ने अफगानिस्तान में दस्तक दी उस समय मैं केवल 11 वर्ष का था। उसने आगे कहा, ''उस समय हमारे जिले में जिहाद जोरों पर था। मैंने अपनी पहली तीन ताशकील याह्याखेल में कीं और फिर कुनार प्रांत में चला गया। मैं पहले मौलवी साहब की दिलगाय में हमारे ग्रुप का डिप्टी और फिर उसका कमांडर बना।'' इसके बाद मौलवी साहब ने मुझे एक मंत्री से मिलवाया और कहा कि मुझे कहीं नियुक्त कर दें। मुझे ऑफिस के प्रमुख के रूप में ग्रेड 3 पद पर नियुक्त किया गया।

अफगानिस्तान एनालिस्ट नेटवर्क की रिपोर्ट के अनुसार, तालिबानी लड़ाका आगे बताता है कि वह किराया बहुत होने की वजह से अपने परिवार को काबुल नहीं ला सका है। उसे सैलरी के रूप में लगभग 15 हजार अफगानी (180 अमेरिकी डॉलर) दिए जाते हैं। बातचीत में उसने कहा, ''जैसे ही मुझे ज्यादा सैलरी मिलेगी, मैं अपने परिवार को भी यहां ले आऊंगा।'' वह आगे कहता है, ''मुझे काबुल के बारे में जो पसंद नहीं है, वह है इसका लगातार बढ़ता ट्रैफिक। पिछले साल तक इसे सहन किया जा सकता था, लेकिन लेकिन पिछले कुछ महीनों में यह अधिक से अधिक भीड़भाड़ वाला हो गया है। लोग शिकायत करते हैं कि तालिबान की वजह से गरीबी आ गई, लेकिन इस ट्रैफिक, बाजारों और रेस्त्रां में बड़ी संख्या में लोगों को देखकर मुझे आश्चर्य होता है कि वह गरीबी कहां है।''

दफ्तर की वजह से हुआ परेशान, बोला- अब पहले की तरह फ्रीडम नहीं
उमर मंसूर आगे बताता है कि वह दफ्तर की वजह से परेशान हो गया। पहले की तरह उसे फ्रीडम नहीं है। वह कहता है, ''एक और चीज जो मुझे पसंद नहीं है, वह मेरी जिंदगी में आया नया प्रतिबंध है। पहले हमें इस बारे में बहुत अधिक स्वतंत्रता थी कि कहां जाना है, कहां रहना है और युद्ध में भाग लेना है या नहीं। लेकिन अब सुबह 8 बजे से पहले ऑफिस जाना पड़ता है और शाम 4 बजे तक वहीं रहना पड़ता है। यदि आप नहीं जाते हैं, तो आपको अनुपस्थित माना जाता है, और फिर आपकी सैलरी काट ली जाती है। हालांकि, अब हम इसके अभ्यस्त हो गए हैं, लेकिन पहले दो या तीन महीनों में यह काफी मुश्किल था।''

याद कर रहा जिहाद वाले दिन, ट्विटर का हो गया आदी
वहीं, 25 साल का एक और तालिबानी लड़ाका अब्दुल नफी जोकि दो बच्चों का पिता है, वह भी अपने पुराने दिनों को याद कर रहा है। बातचीत में वह कहता है, '' मैं कभी-कभी जिहाद वाली जिंदगी को याद करता हूं। शुरुआत में मैं गांव जाने के लिए तरसता था, लेकिन अब मैं अपनी नई परिस्थितियों का आदी हो गया हूं। हमारी मिनिस्ट्री में मेरे करने के लिए बहुत कम काम है। इसलिए मैं अपना ज्यादातर समय ट्विटर पर बिताता हूं। हम तेज वाई-फाई और इंटरनेट से जुड़े हैं। मेरे सहित कई लड़ाके इंटरनेट के आदी हैं, खासकर ट्विटर के। उसने आगे बताया कि जब हम लोग शुरुआत में यहां आए तो कभी-कभी मिनिस्ट्री से निकलकर मैक्रों बाजार जाते थे, वहां बहुत सी औरतें भद्दे कपड़े पहनती थीं। हमने अनुमान लगाया था कि वे हिजाब पहनेंगी, लेकिन शुरुआती दिनों में महिलाएं लड़ाकों से बहुत डरती थीं, लेकिन अब उनकी पोशाक कम उचित हो गई है।

हिन्दुस्तान का वॉट्सऐप चैनल फॉलो करें