इस्लामिक कट्टरता वाला तालिबान भी उइगर मुस्लिमों के उत्पीड़न पर चुप, चीन से कर रहा दोस्ती
अमेरिकी सेना की वापसी के बाद से ही अफगानिस्तान के अधिकांश इलाकों में तालिबान ने अपना कब्जा करना शुरू कर दिया है। तालिबान के बढ़ते प्रभाव से उन सभी देशों में चिंता बढ़ी है जिनकी सीमाएं अफगानिस्तान से...
अमेरिकी सेना की वापसी के बाद से ही अफगानिस्तान के अधिकांश इलाकों में तालिबान ने अपना कब्जा करना शुरू कर दिया है। तालिबान के बढ़ते प्रभाव से उन सभी देशों में चिंता बढ़ी है जिनकी सीमाएं अफगानिस्तान से लगती हों। चीन भी इन्हीं में से एक और अब आशंका है कि उत्तरपश्चिमी चीन के शिनजियांग प्रांत में फिर से आतंकी गतिविधियां बढ़ सकती हैं।
तालिबान ने अफगानिस्तान की उत्तरपूर्वी बदकशन प्रांत पर कब्जा कर लिया है और वह अब चीन के शिनजियांग से सटी सीमा के करीब आगया है। शिनजियांग चीन का वह प्रांत हैं जहां उइगुर मुस्लिमों की आबादी ज्यादा है, जिन्हें चीन चरमपंथी मानता है। अटकलें यह भी लगाई जा रही है कि अब वखन कॉरिडोर के रास्ते तालिबानी लड़ाके उइगुरों का साथ देने चीन के शिनजियांग में प्रवेश कर सकते हैं।
फ्रांस 24 ने अपनी रिपोर्ट में दावा किया कि चीन को इस बात की चिंता है कि अब उसके शिनजियांग प्रांत के पास तालिबानी हमले बढ़ जाएंगे, जिससे उसके द्वारा उठाए गए आतंकरोधी कदम व्यर्थ हो सकते हैं।
ग्लोबल टाइम्स ने हालांकि अपनी रिपोर्ट में इस दावे को कई एक्सपर्ट्स के हवाले से खारिज किया है। लानझोऊ यूनिवर्सिटी में सिक्योरिटी स्टडीज एक्सपर्ट काओ वी ने ग्लोबल टाइम्स को बताया है कि इसकी आशंका बेहद कम है कि चरमपंथी और आतंकी समूह वखन कॉरिडोर के रास्ते चीन में घुसेंगे।
सिंगुआ यूनिवर्सिटी के नेशनल स्ट्रैटजी इंस्टीट्यूट के रिसर्च डिपार्टमेंट डायरेक्टर कियान फेंग ने कहा कि चीन की 90 किलोमीटर लंबी सीमा इस कॉरिडोर से लगती है। ऐस में चीन के लिए इस रास्ते को ब्लॉक करना कोई मुश्किल काम नहीं है।
तालिबान ने भी बताया चीन को दोस्त
इसी हफ्ते तालिबान प्रवक्ता सुहेल शाहीन ने एक इंटरव्यू के दौरान चीन को अफगानिस्तान का दोस्त बताया था। इतना ही नहीं उन्होंने यह भी साफ कर दिया था कि तालिबान अब उइगुर अलगाववादियों को अफगानिस्तान में शरण नहीं लेने देगा।
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