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तालिबानी कहर से कैसे बचेंगे अफगानी हिंदू और सिख? भारत सरकार ने दिया यह जवाब

अफगानिस्तान में तालिबान का कहर जारी है। तालिबान के मौजूदा हालात पर भारत ने करीब से नजर बना कर रखा है। इस बीच भारतीय विदेश मंत्रालय की तरफ से बताया गया है कि तालिबानी कहर से अफगानी हिंदू और सिख कैसे...

Nishant Nandan लाइव हिन्दुस्तान, नई दिल्लीThu, 12 Aug 2021 07:05 PM
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तालिबानी कहर से कैसे बचेंगे अफगानी हिंदू और सिख? भारत सरकार ने दिया यह जवाब

अफगानिस्तान में तालिबान का कहर जारी है। तालिबान के मौजूदा हालात पर भारत ने करीब से नजर बना कर रखा है। इस बीच भारतीय विदेश मंत्रालय की तरफ से बताया गया है कि तालिबानी कहर से अफगानी हिंदू और सिख कैसे बच पाएंगे। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि पिछले साल काबुल में स्थित दूतावास ने हिंदू और सिख समुदाय के 383 सदस्यों को अफगानिस्तान से भारत आने में मदद की थी। उन्होंने कहा, ''काबुल में हमारा मिशन अफगान हिंदू और सिखों के साथ संपर्क में है और हम उन्हें हर जरूरी सहायता सुनिश्चित करेंगे।''

अभी हाल ही में यह खबर भी आई थी कि तालिबानी आतंकियों ने यहां गुरुद्वारे पर कब्जा कर लिया था। इसके बाद कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता जयवीर शेरगिल ने विदेश मंत्री एस जयशंकर से आग्रह किया था कि युद्धग्रस्त अफगानिस्तान से हिंदू और सिख समुदाय के लोगों को सुरक्षित बाहर निकालने की व्यवस्था की जाए। जयशंकर को लिखे पत्र में शेरगिल ने कहा था कि भारतीय मूल के लोगो के प्रति अपने प्रेम के कारण वह यह निवेदन करने को विवश हुए हैं। शेरगिल ने कहा था कि सावजनिक रूप से उपलब्ध जानकारी के हिसाब से करीब 650 सिख और 50 हिंदू अफगानिस्तान में फंसे हुए हैं और ये लोग तालिबान का निशाना बन सकते हैं। उन्होंने कहा था कि इन लोगों को सुरक्षित बाहर निकालने की व्यवस्था की जाए।

बहरहाल अगर अफगानिस्तान के मौजूदा हालात की बात करें तो अफगानिस्तान की सत्ता में अब तालिबान को हिस्सेदारी मिल सकती है। जी हां, तालिबान से शांति वार्ता के दौरान अफगान सरकार के मध्यस्थों ने उसे यह प्रस्ताव दिया है। अफगान सरकार की ओर से हिंसा रोकने की एवज में सत्ता में भागीदारी का प्रस्ताव दिया गया है। कतर में तालिबान के साथ हुई मीटिंग के दौरान अफगानिस्तान की ओर से यह प्रस्ताव दिया गया। न्यूज एजेंसी एएफपी ने गुरुवार को यह जानकारी दी। सूत्र ने कहा, 'हां, सरकार ने कतर को यह प्रस्ताव दिया है, जो तालिबान से वार्ता में मध्यस्थ के रोल में है। प्रस्ताव के तहत तालिबान को ऑफर दिया गया है कि यदि वह हिंसा रोकता है तो उसे सरकार में हिस्सेदारी दी जा सकती है।'

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