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श्रीलंका सियासी संकटः सिरिसेना ने कहा- विक्रमसिंघे के अहंकार ने उन्हें बर्खास्त कराया

श्रीलंका की संसद के स्पीकर ने मुश्किलों में घिरे नेता रानिल विक्रमसिंघे को प्रधानमंत्री पद से बर्खास्त किये जाने के फैसले को मानने से इनकार कर उन्हें बड़ी राहत दी तो वहीं राष्ट्रपति मैत्रीपाला...

श्रीलंका सियासी संकटः सिरिसेना ने कहा- विक्रमसिंघे के अहंकार ने उन्हें बर्खास्त कराया
एजेंसी,कोलंबोSun, 28 Oct 2018 10:59 PM
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श्रीलंका की संसद के स्पीकर ने मुश्किलों में घिरे नेता रानिल विक्रमसिंघे को प्रधानमंत्री पद से बर्खास्त किये जाने के फैसले को मानने से इनकार कर उन्हें बड़ी राहत दी तो वहीं राष्ट्रपति मैत्रीपाला सिरिसेना ने रविवार को जोर देकर कहा कि विक्रमसिंघे की जगह महिंदा राजपक्षे की नियुक्ति संविधान के मुताबिक ही की गयी है। स्पीकर कारू जयसूर्या ने सिरिसेना को लिखे एक खत में उन्होंने राष्ट्रपति से विक्रमसिंघे को सरकार के नेता के तौर पर मिले विशेषाधिकार और सुरक्षा फिर से बहाल करने को कहा जब तक कि कोई दूसरा उम्मीदवार बहुमत साबित न कर दे क्योंकि यही ''लोकतांत्रिक और निष्पक्ष होगा।

विक्रमसिंघे ने बर्खास्तगी को अवैध बताया

उन्होंने 16 नवंबर तक सदन को निलंबित करने के उनके फैसले पर सवाल खड़ा किया। उन्होंने कहा कि इससे देश के लिए “गंभीर एवं अवांछनीय” परिणाम होंगे। सिरीसेना ने शुक्रवार की रात को विक्रमसिंघे को बर्खास्त कर दिया और महिंदा राजपक्षे को देश का नया प्रधानमंत्री नियुक्त कर दिया था। विक्रमसिंघे ने बर्खास्तगी को अवैध और असंवैधानिक बताते हुए अपना बहुमत साबित करने के लिए संसद का आपात सत्र बुलाने की मांग की तो सिरीसेना ने संसद 16 नवंबर तक के लिए निलंबित कर दी। उन्होंने विक्रमसिंघे की निजी सुरक्षा और गाड़ियों को भी वापस मंगा लिया जिससे उनके उत्तराधिकारी को इन्हें दिया जा सके जिन्होंने नाटकीय अंदाज में सियासी वापसी की थी। 

'अहंकार में मनमाने फैसले ले रहे थे विक्रमसिंघे'

शुक्रवार की रात को विक्रमसिंघे की नाटकीय बर्खास्तगी के बाद राष्ट्र के नाम अपने पहले पैगाम में सिरीसेना ने कहा कि 2015 में अपनी जीत के बाद से विक्रमसिंघे का राजनीतिक आचार-व्यवहार अनुचित था। श्रीलंकाई राष्ट्रपति ने कहा, ''वे श्रीलंका के भविष्य को अपने इर्दगिर्द के ऐसे लोगों की मंडली के लिए मौज-मस्ती की चीज समझते दिखे जिन्हें आमजन की सोच की जरा भी समझ नहीं है। सिरीसेना ने आरोप लगाया, ''उन्होंने सुशासन की अवधारणा को पूरी तरह तहस-नहस कर दिया जबकि भ्रष्टाचार और बरबादी हर तरफ आम हो गई। वह अहंकार में मनमाने फैसले लेकर सामूहिक जिम्मेदारी का मखौल उड़ा रहे थे।  

प्रधानमंत्री व राष्ट्रपति में बन गई थी दूरी

उन्होंने कहा, ''नीतिगत मामलों हम दोनों के बीच विशाल अंतराल था। मैं मानता हूं कि हमारे बीच के सांस्कृतिक और नीतिगत मतभेद ने इस राजनीतिक एवं आर्थिक संकट में योगदान किया। सिरीसेना ने विक्रमसिंघे पर यह भी आरोप लगाया कि यूनाइटेड नेशनल पार्टी (यूएनपी) नेता ने उनकी हत्या की कथित साजिश को बहुत हल्के ढंग से लिया। राष्ट्रपति ने बीते हफ्ते आरोप लगाया कि यूएनपी उनकी और पूर्व रक्षा मंत्री गोटाभाया राजपक्षे की हत्या की कथित साजिश के खुलासे को लेकर जांच बेहद धीमी गति से कर रही थी। 

सिरिसेना ने कहा-मुझे मारने की हुई साजिश

सिरिसेना ने कहा, ''राजनीतिक, आर्थिक संकट के साथ ही मुझे मारने की साजिश समेत सभी चुनौतियों पर विचार करने के बाद मेरे पास सिर्फ एक विकल्प बचा था जो पूर्व राष्ट्रपति महिंदा राजपक्षे को प्रधानमंत्री नियुक्त करना था। विक्रमसिंघे के उनको बर्खास्त करने को अवैध और असंवैधानिक बताने के आरोपों पर उन्होंने कहा,''मैं यह बिल्कुल साफ करना चाहता हूं कि (राजपक्षे) की नयी नियुक्ति संविधान का कठोरता से पालन करते हुए विशेषज्ञ कानूनी सलाह पर की गयी है। सिरिसेना की यह टिप्पणी स्पीकर के उस अनुरोध के बाद आई है जिसमें उन्होंने राष्ट्रपति से विक्रमसिंघे को सरकार के नेता के तौर पर मिले विशेषाधिकार फिर से बहाल करने को कहा क्योंकि उन्हें “लोकतंत्र एवं सुशासन कायम करने के लिए जनादेश हासिल है।” स्पीकर ने कहा कि संसद को निलंबित करने का फैसला स्पीकर के साथ विचार-विमर्श के बाद लिया जाना चाहिए। 

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