Sri lanka Attack: विदेशी हाथ होने के संकेत, मदर ऑफ सैटन बम का हुआ था इस्तेमाल
श्रीलंका में हुए आत्मघाती हमलों में 250 से अधिक लोगों के मारे जाने की घटना के एक महीने बाद जांच अधिकारियों ने न्यूज एजेंसी एएफपी से कहा है कि हमलावरों ने मदर ऑफ सैटन (शैतान की मां) नाम के विस्फोटकों...
श्रीलंका में हुए आत्मघाती हमलों में 250 से अधिक लोगों के मारे जाने की घटना के एक महीने बाद जांच अधिकारियों ने न्यूज एजेंसी एएफपी से कहा है कि हमलावरों ने मदर ऑफ सैटन (शैतान की मां) नाम के विस्फोटकों का इस्तेमाल किया था। कुख्यात आतंकवादी संगठन इस्लामिक स्टेट ग्रुप इन विस्फोटकों का इस्तेमाल करता है। नए खुलासे से आत्मघाती हमले में विदेशी संलिप्तता के नए संकेत मिलते हैं।
जांच अधिकारियों ने कहा कि बीते 21 अप्रैल को तीन गिरजाघरों और तीन होटलों पर हुए हमले में इस्तेमाल किए गए बमों को इस्लामी स्टेट की विशेषज्ञता के साथ स्थानीय जिहादियों ने बनाया था। उन्होंने इसे ट्रायासिटोन ट्रायपेरोक्साइड (टीएटीपी) का नाम दिया था। इस्लामिक स्टेट के आतंकवादी इसे 'मदर ऑफ सैटन कहते हैं।
पेरिस में 2015 में हुए हमलों में इसका इस्तेमाल किया गया था। साल 2017 में इंग्लैंड के मैनचेस्टर अरीना में हुए आत्मघाती हमले और एक साल पहले इंडोनेशिया में चर्चों पर हुए हमले में भी इसका इस्तेमाल किया गया था।
इस्लामिक स्टेट ने दावा किया है कि श्रीलंकाई बम हमलावरों ने उसकी इकाई के तौर पर हमले को अंजाम दिया। लेकिन श्रीलंकाई और अंतरराष्ट्रीय जांच अधिकारियों को यह जानने की उत्सुकता है कि 258 लोगों की जान ले चुके हमलावरों को कितनी बाहरी मदद मिली। इस हमले में 500 लोग जख्मी हुए थे।
जांच में शामिल एक अधिकारी ने एएफपी को बताया, ''टीएटीपी बनाने के लिए समूह को रसायनों और उर्वरकों तक आसान पहुंच मिली जिससे वे कच्ची सामग्री हासिल कर सके।
श्रीलंकाई जांच अधिकारियों ने कहा कि हमलों के लिए जिम्मेदार माने जा रहे स्थानीय आतंकी संगठन नेशनल तौहीद जमात (एनटीजे) को बम बनाने में निश्चित तौर पर विदेशी मदद मिली होगी।
एक अधिकारी ने अपने नाम का खुलासा नहीं करने की शर्त पर बताया, ''इस तकनीकी के हस्तांतरण के लिए उनकी आमने-सामने की बैठक हुई होगी। यह ऐसी चीज नहीं है कि आप यूट्यूब पर वीडियो देखकर इसे कर सकें।
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