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युवाओं को अकेलेपन का शिकार बना रहा सोशल मीडिया, डराने वाले हैं हालात

सोशल मीडिया और इंटरनेट की आभासी दुनिया युवाओं को अकेलेपन का शिकार बना रही है। अमेरिका में स्वतंत्र संगठन ‘कॉमन सेंस मीडिया’ के एक सर्वेक्षण ने दिखाया कि 13 से 17 वर्ष के किशोर नजदीकी...

युवाओं को अकेलेपन का शिकार बना रहा सोशल मीडिया, डराने वाले हैं हालात
नई दिल्ली, हिन्दुस्तान टीम Wed, 12 Sep 2018 03:53 AM
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सोशल मीडिया और इंटरनेट की आभासी दुनिया युवाओं को अकेलेपन का शिकार बना रही है। अमेरिका में स्वतंत्र संगठन ‘कॉमन सेंस मीडिया’ के एक सर्वेक्षण ने दिखाया कि 13 से 17 वर्ष के किशोर नजदीकी दोस्तों से भी प्रत्यक्ष मिलने की बजाय सोशल मीडिया और वीडियो चैट के जरिये संपर्क करना पसंद करते हैं। 

डराने वाले हालात

- 35% किशोरों को सिर्फ वीडियो संदेश के जरिये मित्रों से मिलना पसंद है

- 40% किशोरों ने माना, सोशल मीडिया के कारण मित्रों से नहीं मिल पाते  

- 66% किशोर संवाद के लिए वीडियो चैट, टेक्सट मैसेज को तरजीह देते हैं 

- 89% किशोरों ने बताया कि उनके पास अपना स्मार्ट फोन है 

वेबसाइट बनीं साथी 

- 63% किशोर स्नैपचैट का इस्तेमाल करते हैं

- 61% में इंस्टाग्राम को लेकर जुनून की हद तक चाहत

- 43% किशोर फेसबुक का इस्तेमाल करते हैं 

ऑनलाइन रहने की लत

- 81% किशोरों ने कहा कि ऑनलाइन आदान-प्रदान जिंदगी का जरूरी हिस्सा

- 32% किशोरों ने बताया कि वे फोन व वीडियो कॉल के बिना नहीं रह सकते 

- 54% सिर्फ दूसरों का ध्यान खींचने को सोशल मीडिया का उपयोग करते हैं 

सोचने समझने की क्षमता पर भी असर 

- इंटरनेट की लत किशोरों के दिमागी विकास अर्थात सोचने-समझने की क्षमता पर नकारात्मक असर डाल सकती है

- लगातार आभासी दुनिया में रहने वाले किशोर असल दुनिया से दूर हो जाते हैं। इससे वे निराशा, हताशा और अवसाद के शिकार बन सकते हैं 

- घंटों स्मार्टफोन आदि का इस्तेमाल करने से अनिद्रा की समस्या हो सकती है, जिससे कई शारीरिक और मानसिक बीमारियां पनप सकती हैं 

-ज्यादातर किशोर व बच्चे अभिभावकों से छिपकर इंटरनेट पर ज्यादा समय बिताते हैं, इसलिए उनमें झूठ बोलने की प्रवृत्ति पैदा हो सकती है 

नतीजों का आधार 

1,141 किशोरों को अध्ययन में शामिल किया गया, इनकी उम्र 13 से 17 साल थी 

22 मार्च से 22 अप्रैल के बीच अध्ययन में शामिल बच्चों से प्रश्नावलियां भरवाई गई 

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