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रूस और सऊदी अरब का फैसला: भारत की मदद के लिए बढ़ाएंगे तेल उत्पादन

बड़े तेल उत्पादक देशों सऊदी अरब और रूस ने भारत और चीन जैसे बड़े ग्राहकों के हितों का ध्यान रखते हुए कच्चे तेल की आपूर्ति बढ़ाने का ऐलान किया है। इससे पेट्रोल और डीजल के लगातार बढ़ते दामों के बीच...

रूस और सऊदी अरब का फैसला: भारत की मदद के लिए बढ़ाएंगे तेल उत्पादन
लंदन। एजेंसीFri, 25 May 2018 09:42 PM
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बड़े तेल उत्पादक देशों सऊदी अरब और रूस ने भारत और चीन जैसे बड़े ग्राहकों के हितों का ध्यान रखते हुए कच्चे तेल की आपूर्ति बढ़ाने का ऐलान किया है। इससे पेट्रोल और डीजल के लगातार बढ़ते दामों के बीच कच्चे तेल में नरमी आई है। हालांकि कच्चा तेल नीचे आने के बावजूद शुक्रवार को लगातार 12वें दिन देश में पेट्रोल-डीजल के दाम बढ़े। 

सऊदी अरब की अगुवाई वाले तेल उत्पादक देशों के संगठन ओपेक और रूस के नेतृत्व में गैर ओपेक देशों ने करीब डेढ़ साल से अघोषित तरीके से तेल उत्पादन में कटौती की रणनीति अपनाई है। इससे कच्चे तेल के दाम वर्ष 2014 के बाद उच्चतम स्तर पर पहुंच गए हैं। रूस के ऊर्जा मंत्री एलेक्जेंडर नोवाक और सऊदी अरब के तेल-गैस मंत्री खालिद अल फालिह ने शुक्रवार को सेंट पीटर्सबर्ग में मुलाकात की। दोनों ने वैश्विक स्तर पर तेल उत्पादन में कटौती के 17 माह पुराने समझौते की समीक्षा की। 

बैठक में संयुक्त अरब अमीरात और कई अन्य तेल उत्पादक देशों के प्रतिनिधि भी शामिल थे। सूत्रों के मुताबिक, बैठक के बाद रोजाना दस लाख प्रति बैरल उत्पादन बढ़ाने  का फैसला हुआ। यह निर्णय ऐसे समय आया है, जब कुछ दिनों पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रूस के राष्ट्रपति व्लादीमीर पुतिन से सोची शहर में मुलाकात की थी। इस निर्णय का नतीजा हुआ कि कच्चा तेल शुक्रवार को कुछ घंटों में ही 1.51 बैरल प्रति डालर गिर कर 77.28 डॉलर पर आ गया। अमेरिकी क्रूड भी 1.37 डॉलर गिरकर 69.34 डॉलर पर पहुंच गया। 

लगातार 12वें दिन बढ़ी पेट्रोल-डीजल की कीमतें, दिल्ली में पेट्रोल 77.83

फालिह ने बैठक के बाद कहा कि बाजार में अप्रत्याशित बदलाव को रोकने के लिए तेल आपूर्ति को धीरे-धीरे बढ़ाया जाएगा। ओपेक और रूस की अगली बैठक 22 जून को होगी, जिसमें आपूर्ति को लेकर फिर से विचार किया जाएगा। कामर्स बैंक के विश्लेषकों का कहना है कि कीमतों को देखते हुए आगे भी उत्पादन कटौती को कम किया जा सकता है। उनका कहना है कि तेल उत्पादक देशों को भी खतरा है कि दाम ज्यादा ऊंचाई पर पहुंचने के बाद मांग में कमी आ सकती है। इससे उत्पादन में कटौती का दांव उल्टा पड़ सकता है। भारत जैसे बड़े उपभोक्ता पहले ही अमेरिकी शेल ऑयल की आपूर्ति बढ़ाकर खाड़ी देशों पर निर्भरता कम कर रहे हैं। 

सऊदी अरब के तेल-गैस मंत्री खालिद अल फालिह बोलेस, 'कच्चे तेल का दाम 80 डॉलर प्रति बैरल पहुंच जाने से सबसे बड़ी चिंता है कि भारत और चीन जैसे बड़े उपभोक्ता देशों के हितों को नुकसान पहुंच रहा था। लिहाजा यह फैसला लिया गया।'

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अमेरिकी क्रूड ऑयल का उत्पादन बढ़ा
अमेरिकी क्रूड ऑयल का उत्पादन पिछले दो साल में 25 फीसदी बढ़ा है और यह एक करोड़ सात लाख बैरल प्रति दिन से ज्यादा हो चुका है। उससे ज्यादा उत्पादन सिर्फ रूस (1.1 करोड़ बैरल प्रतिदिन) कर रहा है। भारतीय तेल कंपनियों ने छह से ज्यादा बड़े सौदे अमेरिका से किए हैं।

वेनेजुएला और ईरान पर प्रतिबंध से गहराया था संकट
ओपेक देशों की कटौती के साथ वेनेजुएला में निकोलस मादुरो के दोबारा राष्ट्रपति चुने जाने और ईरान पर अमेरिकी प्रतिबंधों की घोषणा से भी तेल बाजार पर दबाव है। वेनेजुएला में राजनीतिक संकट से वहां तेल उत्पादन 50 फीसदी कम हो गया है। 

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ओएनजीसी बंगाल की खाड़ी से उत्पादन चार गुना करेगी
सरकारी तेल उपक्रम ओएनजीसी ने साल के अंत तक बंगाल की खाड़ी से तेल-गैस उत्पादन चार गुना करने का फैसला किया है। इसके लिए कंपनी करीब एक अरब डॉलर खर्च करेगी।  

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