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विक्रमसिंघे के PM बनने के बाद पहली बार होगी श्रीलंका में संसद की कार्यवाही 

श्रीलंका में 51 दिन के राजनीतिक संकट के बाद रानिल विक्रमसिंघे को फिर से प्रधानमंत्री बनाए जाने के बाद पहली बार मंगलवार को देश की संसद की कार्यवाही होने वाली है। हालांकि राष्ट्रपति मैत्रीपाला सिरिसेना...

विक्रमसिंघे के PM बनने के बाद पहली बार होगी श्रीलंका में संसद की कार्यवाही 
नई दिल्ली।एजेंसीTue, 18 Dec 2018 03:15 PM
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श्रीलंका में 51 दिन के राजनीतिक संकट के बाद रानिल विक्रमसिंघे को फिर से प्रधानमंत्री बनाए जाने के बाद पहली बार मंगलवार को देश की संसद की कार्यवाही होने वाली है। हालांकि राष्ट्रपति मैत्रीपाला सिरिसेना और विक्रमसिंघे के बीच मंत्रिमंडल में पदों को लेकर अब तक सहमति नहीं बन पायी है। सिरिसेना की विवादित कार्रवाई से द्वीपीय देश में करीब दो महीने तक राजनीतिक उथल-पुथल रही। 26 अक्टूबर को राष्ट्रपति ने विक्रमसिंघे को प्रधानमंत्री पद से हटाकर पूर्व राष्ट्रपति महिंदा राजपक्षे को उनकी जगह प्रधानमंत्री नियुक्त किया था और चुनाव होने से 20 महीना पहले संसद भंग कर दिया था। रविवार को विक्रमसिंघे को फिर से प्रधानमंत्री नियुक्त किया गया।

राष्ट्रपति के फैसलों को अमान्य घोषित कर उनके कदमों को अवैध करार देते हुए श्रीलंका के उच्चतम न्यायालय ने दो अलग-अलग फैसले सुनाये, जिसके बाद सिरिसेना के पास कोई विकल्प शेष नहीं रहा। संसद के अध्यक्ष कारू जयसूर्या मंगलवार को एक बैठक की अध्यक्षता करने वाले हैं जिसमें इस हफ्ते संसद की कार्यवाही को लेकर फैसला होगा। संसद के उपमहासचिव नील इड्डावेला ने कहा कि चूंकि कैबिनेट मंत्रियों का शपथ ग्रहण बाकी है, इसलिए सिर्फ प्रधानमंत्री को कक्ष में एक सीट दी जायेगी।

विक्रमसिंघे की यूनाइटेड नेशनल पार्टी (यूएनपी) से सांसद नलिन बंडारा ने कहा, हमें उम्मीद है कि सूची को जल्द अंतिम रूप दिया जा सकता है। हमें उम्मीद है कि श्रीलंका फ्रीडम पार्टी (सिरिसेना की पार्टी) से भी कुछ सदस्य इसमें शामिल होंगे। यूएनपी सूत्रों ने बताया कि सिरिसेना कानून व्यवस्था और जन संचार मंत्रालय की मांग कर रहे हैं। ऐसी सूचना है कि यूएनपी को सरकार की ओर जगह दी गई है और श्रीलंका फ्रीडम पार्टी (एसएलएफपी) और यूनाइटेड पीपुल्स फ्रीडम अलायंस (यूपीएफए) के सांसदों को विपक्ष की ओर जगह दी गयी है। विपक्ष के नेता के दर्जे पर भी अंतिम फैसला नहीं लिया गया है।

सरकारी समाचार पत्र डेली न्यूज की खबर के अनुसार यूपीएफए के करीब 10 सांसदों के यूएनपी की ओर से शामिल होने की संभावना है। सिरिसेना के विश्वासपात्र निशांत मुथुहेट्टीगामा ने कहा, ''बीती रात एसएलएफपी ने फैसला किया कि उनकी ओर से कोई भी सरकार में शामिल नहीं होगा। सिरिसेना खेमा अब एसएलएफपी और राजपक्षे की एसएलपीपी में बंट गया है। अगले चुनाव में दोनों मिलकर एकीकृत गठबंधन करने वाले हैं।

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