कुलभूषण जाधव पर ICJ के फैसले की पाक PM इमरान ने की सराहना, कही ये बात
पाकिस्तान की जेल में कैद भारतीय नागरिक कुलभूषण जाधव के मामले में नीदरलैंड के हेग स्थित अंतरार्ष्ट्रीय न्याय न्यायालय (आईसीजे) ने न केवल जाधव की फांसी की सजा पर रोक को बरकरार रखा बल्कि इस पर पाकिस्तान...
पाकिस्तान की जेल में कैद भारतीय नागरिक कुलभूषण जाधव के मामले में नीदरलैंड के हेग स्थित अंतरार्ष्ट्रीय न्याय न्यायालय (आईसीजे) ने न केवल जाधव की फांसी की सजा पर रोक को बरकरार रखा बल्कि इस पर पाकिस्तान को पुनर्विचार करने के लिए भी कहा। आईसीजे के इस फैसले के बाद भारत में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय मंत्रियों से लेकर विपक्ष के नेताओं ने फैसले का स्वागत किया। वहीं अब इस मामले में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान का बयान भी आ गया है। इमरान खान ने ट्विट करके फैसले का स्वागत किया है। वहीं पाकिस्तानी विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने भारतीय नागरिक कुलभूषण जाधव पर अंतरराष्ट्रीय न्यायालय के फैसले को 'पाकिस्तान की जीत' बताया है।
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पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने कहा है कि आईसीजे का फैसला बरी करने, रिहा करने और कुलभूषण को वापस भारत भेजने का नहीं है। वह पाकिस्तान के लोगों के खिलाफ अपराधों के लिए दोषी है। पाकिस्तान कानून के अनुसार आगे बढ़ेगा।
Appreciate ICJ’s decision not to acquit, release & return Commander Kulbhushan Jadhav to India. He is guilty of crimes against the people of Pakistan. Pakistan shall proceed further as per law.
— Imran Khan (@ImranKhanPTI) July 18, 2019
जाधव मामले में पाकिस्तान की जीत हुयी : कुरैशी
कुरैशी ने जाधव पर आये फैसले पर बुधवार को प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि अंतरराष्ट्रीय न्यायालय ने कुलभूषण जाधव की रिहाई से संबंधित भारत की याचिका खारिज कर दिया है और न्यायालय ने जाधव की सजा को वियना समझौते के अनुच्छेद 36 का उल्लंघन नहीं माना।
कुरैशी ने ट्वीट कर दावा किया कि अंतरराष्ट्रीय न्यायालय ने भारत की इस संबंध में अपील को खारिज कर दिया है। उन्होंने कहा कि जाधव पाकिस्तान में रहेंगे और उन्होंने पाकिस्तानी कानूनों का सामना करना पड़ेगा। विदेशी कायार्लय ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय न्यायालय ने पाकिस्तानी हिरासत से रिहा करने के भारत के अग्रह को नामंजूर कर दिया है और कहा कि पाकिस्तान के कानून के अनुसार मामले को आगे बढ़ाएगा।
उन्होंने उस बयान को दोहराया कि श्री जाधव एक सेवारत भारतीय नौसेना अधिकारी हैं। उसने फर्जी पहचान और दस्तावेजों के साथ हुसैन मुबारक पटेल के नाम से पाकिस्तान में प्रवेश किया था। उन्होंने कहा कि जाधव को भारत सरकार द्वारा पासपोर्ट जारी किया गया था और वह जासूसी में शामिल था। न्यायिक मजिस्ट्रेट के सामने उन्होंने इसे स्वीकार किया था। जिसमें कहा गया था कि वह भारत सरकार के निर्देशों पर पाकिस्तान में की गई आतंकवादी गतिविधियों में शामिल थे जिसमें कई पाकिस्तानियों को अपनी जान गंवानी पड़ी है।
उल्लेखनीय है कि भारत सरकार ने इस मामले में अंतरराष्ट्रीय न्यायालय का रुख किया था। जिसके बाद 18 मई 2017 को अंतरराष्ट्रीय न्यायालय ने पाकिस्तान को आदेश दिया कि कार्यवाही में अंतिम फैसला होने तक श्री जाधव की फांसी को रोक दिया जाए। अंतरराष्ट्रीय न्यायालय ने पाकिस्तान की जेल में कैद जाधव की फांसी की सजा पर बुधवार को रोक लगाते हुए पाकिस्तान को इस फैसले पर पुनर्विचार करने और इसकी प्रभावी समीक्षा करने का निर्देश दिया। कोर्ट ने जाधव के मामले में योग्यता के आधार पर भारत के पक्ष में फैसला सुनाते हुए कहा कि पाकिस्तान ने जाधव को वकील की सुविधा उपलब्ध न कराकर अनुच्छेद 36 (1) का उल्लंघन किया है और फांसी की सजा पर तब तक रोक लगी रहनी चाहिए जब तक कि पाकिस्तान अपने फैसले पर पुनर्विचार और उसकी प्रभावी समीक्षा नहीं कर लेता।
न्यायालय के बुधवार के फैसले को भारत अपनी बड़ी जीत मानता है हालांकि अदालत ने पाकिस्तान की सैन्य अदालत के फैसले को रद्द करने और जाधव की सुरक्षित भारत वापसी की मांग को खारिज कर दिया है।