नमाजियों से खचाखच भरी थी मस्जिद, तभी हमलावर ने खुद को उड़ाया; पेशावर को फिर मिला कभी न भूलने वाला दर्द
Pakistan Peshawar Mosque Attack: नमाज पढ़ने आए लोगों की वजह से पेशावर की मस्जिद खचाखच भरी हुई थी। हाई सिक्योरिटी जोन में स्थित इस मस्जिद में दोपहर 1.40 बजे भयंकर धमाका हुआ।
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पाकिस्तान का पेशावर शहर एक बार फिर से आतंकी हमले से दहल गया। मस्जिद में सोमवार दोपहर को हुए आत्मघाती हमले में कम-से-कम 46 लोगों की जान चली गई, जबकि 100 से ज्यादा लोग घायल हैं, जिनका नजदीकी अस्पताल में इलाज चल रहा है। मस्जिद में धमाका करके आतंकी ने पेशावर और पाकिस्तान को एक बार फिर से कभी नहीं भूलने वाला दर्द दे दिया है। उल्लेखनीय है कि इससे पहले भी पाकिस्तान में आतंकी धमाकों में बड़ी संख्या में लोगों की जानें जाती रही हैं। पेशावर में साल 2014 में हुए आर्मी स्कूल पर आतंकी हमले ने दुनिया को स्तब्ध कर दिया था। उस हमले में छोटे-छोटे बच्चों समेत 150 लोगों की जान चली गई थी। उधर, मस्जिद में सोमवार को हुए हमले के बाद टीटीपी के मारे गए कमांडर उमर खालिद खुरासानी के एक भाई ने दावा किया कि आत्मघाती हमला उसके भाई का बदला लेने के लिए किया गया हमला था, जो पिछले अगस्त में अफगानिस्तान में मारा गया था।
नमाज कर रहे थे लोग, तभी हुआ हमला
नमाज पढ़ने आए लोगों की वजह से पेशावर की मस्जिद खचाखच भरी हुई थी। हाई सिक्योरिटी जोन में स्थित इस मस्जिद में दोपहर 1.40 बजे भयंकर धमाका हुआ। आत्मघाती हमलावर भी आगे की लाइन में ही मौजूद था। लोग नमाज पढ़ रहे थे, तभी हमलावर ने आत्मघाती जैकेट के जरिए से विस्फोट कर दिया। धमाका होते ही मस्जिद में चारों ओर धुआं-धुआं फैल गया। हमला इतना भीषण था कि मस्जिद की दीवार तक ढह गई। इसके नीचे भी कई लोग दब गए।
मस्जिद में बड़ी संख्या में मौजूद थे पुलिसकर्मी
पेशावर के पुलिस अधिकारी मस्जिद और उसके आसपास किसी भी सुरक्षा में चूक से इनकार कर रहे हैं। हाई सिक्योरिटी जोन होने की वजह से आसपास बड़ी संख्या में पुलिस की मौजूदगी थी। पुलिस ने बताया कि मस्जिद में चार लेयर की सिक्योरिटी रखी गई थी। सिटी पुलिस ऑफिसर मोहम्मद इजाज खान ने कहा कि हमले की चपेट में कई पुलिसकर्मी भी आ गए। वे दीवार के नीचे फंसे हुए थे, जिन्हें बचाने और बाहर निकालने की कोशिश की जा रही है। उन्होंने जानकारी दी कि धमाके के समय मस्जिद वाले इलाके में 300-400 पुलिस के जवान तैनात थे। ऐसे में सिक्योरिटी में चूक का मसला ही नहीं है।
पहले भी हो चुके हैं आतंकी हमले
पिछले साल, पेशावर के कोचा रिसालदार इलाके में एक शिया मस्जिद के अंदर इसी तरह के हमले में 63 लोग मारे गए थे। टीटीपी जिसे जिसे अल-कायदा का करीबी माना जाता है, को 2009 में सेना मुख्यालय पर हमले, सैन्य ठिकानों पर हमले और 2008 में इस्लामाबाद में मैरियट होटल पर बमबारी सहित पूरे पाकिस्तान में कई घातक हमलों के लिए दोषी ठहराया गया है। वहीं, सबसे दर्दनाक आतंकी हमला साल 2014 में हुआ था। पाकिस्तानी तालिबान ने पेशावर के उत्तर-पश्चिमी शहर में आर्मी पब्लिक स्कूल पर धावा बोल दिया, जिसमें 131 छात्रों सहित कम से कम 150 लोग मारे गए। इस हमले ने दुनियाभर में स्तब्ध कर दिया और व्यापक रूप से निंदा की गई थी।