पाकिस्तान इसलिए हुआ रोटी को मोहताज, अफगानिस्तान की भी है भूमिका; एक्सपर्ट्स ने बताई वजह
पाकिस्तान में महंगाई चरम पर पहुंच चुकी है। रसोई गैस से लेकर आटे तक के लिए मारकाट मची हुई है। सिंध के मीरपुर खास में सरकार आटा बंटवा रही थी। इस दौरान भगदड़ में 35 साल के व्यक्ति की मौके पर मौत हो गई।

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पाकिस्तान में महंगाई चरम पर पहुंच चुकी है। रसोई गैस से लेकर आटे तक के लिए मारकाट मची हुई है। सिंध के मीरपुर खास में सरकार आटा बंटवा रही थी। इस दौरान मची भगदड़ में 35 साल के एक व्यक्ति की मौके पर ही मौत हो गई। वहीं, खैबर पख्तूनवा में भी महंगाई को लेकर विरोध प्रदर्शन चल रहा है। इस बीच पाकिस्तान के राज्य और वहां की केंद्रीय सरकार इसके लिए एक-दूसरे को दोषी ठहरा रहे हैं। इस बीच विशेषज्ञों ने पाकिस्तान में गेहूं की कमी की तीन वजहें बताई हैं। इन वजहों में यूक्रेन रशिया युद्ध, 2022 की बाढ़ और अफगानिस्तान को गेहूं की तस्करी शामिल है।
इसलिए पैदा हुए हालात
पाकिस्तान में गेहूं का आयात किया जाता है। इसका बड़ा हिस्सा रूस और यूक्रेन से आता है। उदाहरण के लिए 2020 में पाकिस्तान ने कुल 1.01 बिलियन डॉलर का गेहूं आयात किया था। इसमें से ज्यादातर यूक्रेन से आया था, जिसकी कीमत करीब 496 मिलियन डॉलर थी। इसके अलावा रूस से आए गेहूं की कीमत 394 मिलियन डॉलर थी। ओईसी ने यह आंकड़ा शेयर किया है। इस साल रूस-यूक्रेन के युद्ध के चलते यह सप्लाई बुरी तरह से प्रभावित हुई। वहीं, पिछले साल आई बाढ़ के चलते पाकिस्तान में गेहूं की पैदावार बुरी तरह से प्रभावित हुई थी और स्टॉक कम हो गया था। इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक पाकिस्तान में आर्थिक विशेषज्ञ अम्मार खान ने बताया कि गेहूं की कीमतों में इजाफा सिंध और ब्लूचिस्तान में तेजी से हुआ। असल में बाढ़ के चलते यहां पर गेहूं का स्टॉक बहुत कम रह गया था। इसके अलावा पाकिस्तान से अफगानिस्तान में गेहूं की तस्करी भी हुई। अम्मार खान के मुताबिक सरकारी वेयरहाउसेज में गेहूं पर्याप्त मात्रा में है। समस्या वितरण में हुई देरी में है, जिसे अब ठीक किया जा रहा है।
क्या है गेहूं के वितरण में समस्या?
पाकिस्तान में प्रांतीय सरकारें मिलों को गेहूं उपलब्ध कराती हैं। इसके बाद मिलों आटा रिटेल मार्केट में भेजा जाता है। अगर किसी प्रांत में गेहूं की कमी महसूस होती है तो वह पाकिस्तान एग्रीकल्चर स्टोरेज एंड सर्विसेज कॉरपोरेशन वेयरहाउस को अधिक स्टॉक के लिए रिक्वेस्ट कर सकता है। इसके अलावा, ग्रामीण इलाकों में आटा चक्कियां सीधे किसानों से गेहूं खरीदती हैं। पाकिस्तान में पंजाब और सिंध गेहूं के बड़े उत्पादक राज्य हैं। यूएस डिपार्टमेंट ऑफ एग्रीकल्चर के मुताबिक पाकिस्तान के गेहूं उत्पादन का 77 फीसदी पंजाब, 15 फीसदी सिंध, 5 फीसदी खैबर पख्तूनवा और 3.5 फीसदी ब्लूचिस्तान पैदा करता है।
यह भी है एक कारण
बता दें कि खैबर पख्तूनवा अफगानिस्तान से सटा हुआ है और यहां बड़ी मात्रा में गेहूं की तस्करी होती है। इस गेहूं को अफगानिस्तान में मनमानी कीमतों पर बेचा जाता है। बाढ़ में सिंध बुरी तरह से प्रभावित हुआ, जिसने खरीफ की फसल पर असर डाला। वहीं, दूसरी ओर पाकिस्तान की केंद्रीय सरकार समेत कई अन्य दावों में आटे की कमी के पीछे कुछ और ही वजह बताई गई है। इसके मुताबिक पंजाब और सिंध ने वक्त रहते मिलों को गेहूं की सप्लाई नहीं की। वहीं, कुछ अन्य कहते हैं कि मिल मालिकों ने आटे को स्टॉक में रखा और कीमतें बढ़ने का इंतजार किया। इन दावों में यह भी कहा गया कि सरकार ने भी इन मिल मालिकों के खिलाफ जानबूझकर समय रहते कार्रवाई नहीं की।
