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पाकिस्तान चुनावः फौज की कठपुतली वाली सरकार भारत के हित में नहीं, जानें क्या है कूटनीतिक जानकारों की राय

इमरान खान की जीत या सबसे बड़ी ताकत के रूप में उभरना भारत की कूटनीति के लिए चुनौतीपूर्ण होगा। पूर्व राजदूत और विदेश मामलों के जानकार एन. एन. झा का कहना है कि पाकिस्तान में किसी की हुकूमत हो, फौज के दखल...

पाकिस्तान चुनावः फौज की कठपुतली वाली सरकार भारत के हित में नहीं, जानें क्या है कूटनीतिक जानकारों की राय
नई दिल्ली। विशेष संवाददाताThu, 26 Jul 2018 05:10 AM
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इमरान खान की जीत या सबसे बड़ी ताकत के रूप में उभरना भारत की कूटनीति के लिए चुनौतीपूर्ण होगा। पूर्व राजदूत और विदेश मामलों के जानकार एन. एन. झा का कहना है कि पाकिस्तान में किसी की हुकूमत हो, फौज के दखल के मामले में उन्नीस-बीस का फर्क होता है। लेकिन इस बार मामला थोड़ा अलग है। इमरान फौज की मदद से चुनाव लड़ रहे थे ये सबको मालूम है। इमरान की अगुवाई वाली पीटीआई सबसे बड़ा दल बनी तो फौज उन्हें संसद में समर्थन दिलाने की भी कोशिश करेगी। पाकिस्तान में राजनीतिक अस्थिरता या सेना की कठपुतली सरकार दोनों भारत के लिहाज से सकारात्मक नहीं है। इससे क्षेत्र में शांति और सुरक्षा को नए खतरे पैदा होंगे। पाकिस्तान में आतंकपरस्त कट्टर ताकतें पनप सकती हैं।

भारत को सतर्क रहने की जरूरत
एन. एन. झा के मुताबिक इमरान या बिना बहुमत वाली सरकार पाकिस्तानी सेना के दबाव में काम करने को मजबूर होगी। पाकिस्तान की फौज का रुख हमेशा भारत के खिलाफ रहा है। इसलिए भारत को सतर्क कूटनीति से काम करना होगा। कश्मीर के मसले पर पाकिस्तान की ओर से परेशानी बढ़ने का अंदेशा बना रहेगा।

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दुनिया का दबाव 
कट्टरता और आतंकवाद के मुद्दे पर पाकिस्तान की नई हुकूमत पर दुनिया के बड़े देशों का दबाव होगा। अमेरिका की नकेल बनी रहेगी। इसके साथ ही पाकिस्तान की मुखर मदद करने वाला चीन भी बदली वैश्विक परिस्थितियों में कट्टरता के मसले पर पाकिस्तानी सरकार का समर्थन नहीं करेगा। भारत को दुनिया के देशों के साथ मिलकर पाकिस्तान पर दबाव बनाए रखना होगा।

दोहरा चरित्र परेशान करेगा
जानकारों के मुताबिक सेना और आईएसआई के दबाव वाली पाक सरकार का दोहरा चरित्र ज्यादा मुखरता से सामने आने का खतरा बना रहेगा। दुनिया को दिखाने के लिए पाकिस्तान खुद को शांति का पैरोकार और आतंक के खिलाफ कार्रवाई की पैरवी करता देश दिखाना चाहेगा। लेकिन भारत के खिलाफ कट्टरवादी ताकतों को समर्थन और आतंक का समर्थन जारी रख सकता है।

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सेना से विरोध का जोखिम नहीं लेगी नई सरकार
नवाज शरीफ का कई मुद्दों पर पाकिस्तानी सेना से असहमति का सुर भी रहा था जिसकी कीमत उन्हें चुकानी पड़ी। इमरान शायद सेना से विरोध का जोखिम नहीं उठा पाएंगे। उनकी सरकार सेना और आईएसआई की कठपुतली के तौर पर काम करे तो अचंभा नही होना चाहिए।

अस्थिरता से नुकसान
कुटनीतिक जानकारों का मानना है कि पाकिस्तान में अस्थिरता का माहौल भी भारत के हित में नहीं गई। इससे वहां फौज और कट्टरपंथी ताकतों का बर्चस्व बढ़ने का अंदेशा बना रहेगा। भारत के लिए कूटनीतिक स्तर पर हर कदम फूंक-फूंक कर रखना होगा।

342 कुल सदस्य होते हैं पाक की नेशनल असेंबली में 
272 सदस्यों को सीधे तौर पर चुना जाता है
60 सीट महिला और 10 सीट अल्पसंख्यकों के लिए आरक्षित 
172 सीटें पाने वाली पार्टी सरकार बना सकती है। 
 
इमरान खान : क्रिकेट के मैदान से संसद तक का सफर
1992 में पाकिस्तान को क्रिकेट विश्व चैंपियन बनाया
1996 में इमरान ने पाकिस्तानी राजनीति में प्रवेश किया
 इमरान ने पाकिस्तान तहरीक ए इंसाफ नाम की पार्टी बनाई 
अपनी पार्टी से संसद बनने वाले इमरान पहले सदस्य थे
34 सीटें जीती थीं 2013 में के आम चुनाव में इमरान की पार्टी ने 
पहली पार्टी को खैबर पख्तूनख्वाह में सरकार बनाने का मौका मिला 

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