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पाकिस्तान की आर्थिक हालत खस्ता, विश्व बैंक ने बताया 2020 में 5 प्रतिशत बढ़ी गरीबी, 20 लाख लोग गरीबी रेखा के नीचे

आतंकवाद को पालने वाले पाकिस्तान में गरीबी बढ़ती जा रही है। देश में खाने और रोजगार का संकट गहराता नजर आ रहा है। विश्व बैंक का मानना है कि पाकिस्तान में 40 प्रतिशत ऐसे घर हैं जो गंभीर खाने की...

पाकिस्तान की आर्थिक हालत खस्ता, विश्व बैंक ने बताया 2020 में 5 प्रतिशत बढ़ी गरीबी, 20 लाख लोग गरीबी रेखा के नीचे
एएनआई,नई दिल्लीTue, 22 Jun 2021 07:08 AM
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आतंकवाद को पालने वाले पाकिस्तान में गरीबी बढ़ती जा रही है। देश में खाने और रोजगार का संकट गहराता नजर आ रहा है। विश्व बैंक का मानना है कि पाकिस्तान में 40 प्रतिशत ऐसे घर हैं जो गंभीर खाने की कमी से जूझ रहे हैं। देश की आधी आबादी ने या तो आय या नौकरी में कमी देखी है। मजदूरी करने वालों पर इसकी सबसे ज्यादा मार पड़ी है। वर्ल्ड बैंक का मानना है कि पाकिस्तान में साल 2020 के भीतर 4.4 प्रतिशत से लेकर 5.4 प्रतिशत तक गरीबी बढ़ी है। साथ ही यह भी कहा है कि लगभग 20 लाख से ज्यादा लोग गरीबी रेखा के नीचे चले गए हैं। द न्यूज इंटरनेशनल की रिपोर्ट बताती है कि निम्न-मध्यम-आय गरीबी दर का उपयोग करते हुए वर्ल्ड बैंक ने अनुमान लगाया है कि साल 2020-21 में पाकिस्तान में गरीबी का अनुपात 39.3 प्रतिशत था और अनुमान है कि 2021-22 में यह 39.2 रहेगा। 2022-23 में यही अनुपात 37.9 हो सकता है।

वर्ल्ड बैंक के अनुमान के मुताबिक 2020-21 में गरीबी 78.4 प्रतिशत थी और 2021-22 में यह 78.3 प्रतिशत पर पहुंच जाएगी। साल 2022-23 में यह नीचे आकर 77.5 प्रतिशत तक हो सकती है। 

बैंक के अनुमान के अनुसार, पाकिस्तान में 40 प्रतिशत परिवार मध्यम से गंभीर खाने की कमी से जूझ रहे हैं। इनके पास खाद्द सुरक्षा नहीं है। द न्यूज इंटरनेशनल के अनुसार ऐसे समय में जब वर्ल्ड बैंक देश में बढ़ती गरीबी की प्रवृत्ति दिखा रहा है, सरकारी आंकड़े कुछ और ही कह रहे हैं। सरकार ने 2018-2019 के आंकड़े जारी करते हुए संकेत दिए हैं कि 2015-16 में से गरीबी की दर घटकर 24.3 प्रतिशत से 2018-19 में 21.9 प्रतिशत तक हो गई है।

कोरोना काल में गहराया संकट 

कोरोना काल में देश की हालत ज्यादा खराब होती दिखाई दी है। इस दौरान काम करने वाली आधी आबादी ने नौकरी या आय में कमी देखी है। अनौपचारिक और ज्यादा काम न जानने वाले मजदूरों को रोजगार में सबसे बड़े संकुचन का सामना करना पड़ा। पिछले दो दशकों में पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था धीरे-धीरे बढ़ रही है।

पाकिस्तानी दैनिक की रिपोर्ट के अनुसार, देश में हर साल प्रति व्यक्ति होने वाली वृद्धि औसतन केवल दो प्रतिशत है। यह आंकड़ा दक्षिण एशिया के औसत के आधे से भी कम है। इसके पीछे का कारण असंगत आर्थिक नीतियां और आर्थिक विकास को चलाने के लिए निवेश और निर्यात पर कम निर्भरता है। विश्व बैंक ने कहा कि पाकिस्तान में जो क्षेत्र सबसे गरीब लोगों को रोजगार देते हैं, जैसे कि कृषि, उसके कमजोर रहने की उम्मीद है और इसलिए गरीबी अधिक रहने की संभावना है। 

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