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हिंदी न्यूज़ विदेशहाल-ए-पाकिस्तान: जितनी आमदनी उससे ढाई गुना ज्यादा हर नागरिक पर कर्ज, सालभर में 21% बढ़ा मर्ज

हाल-ए-पाकिस्तान: जितनी आमदनी उससे ढाई गुना ज्यादा हर नागरिक पर कर्ज, सालभर में 21% बढ़ा मर्ज

इमरान खान की पार्टी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) पिछले वित्त वर्ष यानी 2021-22 के पहले नौ महीने सत्ता में रही थी, जबकि आखिरी तिमाही (अप्रैल-जून) में शहबाज शरीफ की सरकार के हाथों कमान रही।

हाल-ए-पाकिस्तान: जितनी आमदनी उससे ढाई गुना ज्यादा हर नागरिक पर कर्ज, सालभर में 21% बढ़ा मर्ज
Pramod Kumarलाइव हिन्दुस्तान,नई दिल्लीSun, 29 Jan 2023 02:41 PM

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Pakistan Economic Condition: पाई-पाई को मोहताज और बदहाल अर्थव्यवस्था की मार झेल रहे पाकिस्तान में कर्ज का जंजाल बढ़ता ही जा रहा है। हालात ऐसे हैं कि गलत आर्थिक नीतियों के कारण पिछले एक साल में हरेक पाकिस्तानी नागरिक पर कर्ज का बोझ 21% बढ़कर सालाना 216,708 रुपये हो गया है। पाकिस्तानी अखबार द एक्सप्रेस ट्रिब्यून की एक रिपोर्ट में वित्त मंत्रालय की एक वार्षिक रिपोर्ट के हवाले से कहा गया है कि पिछले वर्ष की राजकोषीय नीतियों ने आर्थिक अस्थिरता के बीज बोए । इसलिए यह कर्ज बढ़ता जा रहा है।

अखबार के मुताबिक, शहबाज शरीफ सरकार ने राजकोषीय नीति वक्तव्य 2022-23 जारी किया है। यह वैधानिक आवश्यकता को पूरा करने के लिए तैयार किया गया ऐसा दस्तावेज है, जिसकी कल्पना 18 साल पहले नेशनल असेंबली को अर्थव्यवस्था की वास्तविक स्थिति के बारे में सूचित करने के लिए की गई थी।

रिपोर्ट से पता चलता है कि पाकिस्तान में प्रति व्यक्ति कर्ज का बोझ जून 2021 के 179,100 रुपये से बढ़कर जून 2022 में 216,708 रुपये हो गया है। यानी केवल एक वर्ष में प्रत्येक पाकिस्तानी नागरिक पर 37,608 रुपये कर्ज का सालाना बोझ बढ़ा है। यह हरेक नागरिक पर 21% की अतिरिक्त देनदारी है। 

इमरान खान की पार्टी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) पिछले वित्त वर्ष यानी 2021-22 के पहले नौ महीने सत्ता में रही थी, जबकि आखिरी तिमाही (अप्रैल-जून) में शहबाज शरीफ की अगुवाई वाली पाकिस्तान डेमोक्रेटिक मूवमेंट (पीडीएम) सत्ता में रही। फिलहाल इस पॉलिसी रिपोर्ट को सार्वजनिक नहीं किया गया है। अगले सप्ताह इसे संसद में पेश किए जाने की उम्मीद है।

रिपोर्ट के मुताबिक, जून 2022 तक सकल सार्वजनिक ऋण बढ़कर 49.2 ट्रिलियन रुपये हो गया, जो 2023 में नए वित्तीय संकट के कारण और बढ़ सकता है। एक वर्ष में प्रति व्यक्ति ऋण में 1/5 से अधिक की वृद्धि उस गति को दर्शाती है जिस गति से देश कर्ज के बोझ तले दब रहा है। वित्त मंत्रालय ने 22.7 करोड़ की आबादी की धारणा पर प्रति व्यक्ति ऋण की गणना की है। 

रिपोर्ट में कहा गया है कि वित्तीय वर्ष 2021-22 ने पाकिस्तानी अर्थव्यवस्था को 6% की वृद्धि के लिए प्रेरित किया। वित्त मंत्रालय ने कहा, "यह आर्थिक वृद्धि अधिक टिकाऊ हो सकती थी, अगर सरकार ने खर्च की बजाय निवेश पर ध्यान दिया होता।"

बता दें कि वित्त वर्ष 2021-22 के आंकड़ों के मुताबिक पाकिस्तान में प्रति व्यक्ति आय सालाना 1193.73 अमेरिकी डॉलर यानी 89.99 हजार रुपये थी। इस लिहाज से हरेक पाकिस्तानी पर आमदनी के मुकाबले कर्ज करीब ढाई गुना पड़ता है जो बढ़कर 216,708 रुपये सालाना हो गया है।