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जिनके दम पर उछलता था पाकिस्तान, सबने कंगाली में छोड़ा साथ; चीन-सऊदी ने दिया झटका

पाकिस्तान को कम विदेशी कर्ज मिलने की मुख्य वजह अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष की नौवीं समीक्षा का समय पर नहीं हो पाना है। हालांकि, IMF ने गुरुवार को घोषणा की है कि वह एक दल बातचीत के लिए पाकिस्तान भेजेगा.

जिनके दम पर उछलता था पाकिस्तान, सबने कंगाली में छोड़ा साथ; चीन-सऊदी ने दिया झटका
Pramod Kumarलाइव हिन्दुस्तान,नई दिल्लीSun, 29 Jan 2023 10:19 AM

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Pakistan Economic Conditions: नकदी संकट से जूझ रहा पाकिस्तान कंगाली की कगार पर पहुंच चुका है। अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) से कर्ज पाने में अब तक विफल रहने के कारण मौजूदा वित्त वर्ष की पहली छमाही के दौरान पाकिस्तान को विदेशी ऋण में केवल 5.6 अरब अमेरिकी डॉलर ही प्राप्त हो सका है,जो वार्षिक बजट अनुमान का सिर्फ एक-चौथाई के बराबर ही है।

पाकिस्तानी अखबार द एक्सप्रेस ट्रिब्यून की एक रिपोर्ट के मुताबिक, पाकिस्तान के आर्थिक मामलों के मंत्रालय द्वारा संकलित आंकड़ों से पता चला है कि जुलाई 2022 से दिसंबर 2022 तक सिर्फ 5.6 बिलियन डॉलर ही बतौर विदेशी ऋण प्राप्त हो सका है, जबकि बजट अनुमान 22.8 बिलियन डॉलर का था। इसी वजह से केंद्रीय बैंक द्वारा रखे गए विदेशी मुद्रा भंडार में गंभीर सेंध लगी है।


पाकिस्तान को कम विदेशी कर्ज मिलने की मुख्य वजह अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष की नौवीं समीक्षा का समय पर नहीं हो पाना है। हालांकि, आईएमएफ ने गुरुवार को घोषणा की है कि वह एक दल बातचीत के लिए पाकिस्तान भेजेगा।

रिपोर्ट के मुताबिक, दिसंबर में पाकिस्तान को सिर्फ 53.2 करोड़ डॉलर का ही कर्ज मिल सका है, जबकि पिछले सात दिनों में पाकिस्तान ने सिर्फ चीन के वित्तीय संस्थानों को 82.8 करोड़ डॉलर का भुगतान किया है। यानी जितनी रकम आई, उससे ज्यादा रकम चुकाने में चली गई। नतीजतन, विदेशी मुद्रा भंडार 3.1 अरब डॉलर तक गिर गया है।

दिसंबर में प्राप्त कुल ऋण 53.2 करोड़ डॉलर में से लगभग 44% हिस्सा एशियाई विकास बैंक (एडीबी) से आया है। एडीबी ने 23.1 करोड़  डॉलर दिए हैं। अब तक, एडीबी ने पाकिस्तान को 1.9 अरब डॉलर का कर्ज दिया है। इसके साथ ही यह सबसे बड़ा ऋणदाता बना हुआ है, जो वार्षिक अनुमान का एक-तिहाई है।

पाकिस्तानी अखबार ने सूत्रों के अनुसार बताया है कि चालू वित्त वर्ष में पाकिस्तान को 7.5 अरब डॉलर के वार्षिक अनुमान के मुकाबले केवल 20 करोड़ डॉलर का विदेशी वाणिज्यिक ऋण प्राप्त हुआ है। सरकार को अब उम्मीद है कि उसे वाणिज्यिक ऋणों में 6.3 अरब डॉलर प्राप्त होंगे, जो उच्चतर स्तर पर प्रतीत होता है।

विश्व बैंक के एक प्रवक्ता ने इस महीने द एक्सप्रेस ट्रिब्यून को बताया कि बैंक बोर्ड अगले वित्त वर्ष में RISE-II के 450 मिलियन डॉलर के ऋण पर विचार कर सकता है। बैंक की वेबसाइट ने दिखाया कि 600 मिलियन डॉलर का एक और ऋण अगले वित्तीय वर्ष के लिए विलंबित हो गया था।

इसके अलावा, इस्लामिक डेवलपमेंट बैंक (IDB) ने 1.2 बिलियन डॉलर से अधिक के वार्षिक अनुमान के मुकाबले सिर्फ 176 मिलियन डॉलर का कर्ज ही पाकिस्तान को दिए हैं। जिनेवा सम्मेलन में, आईडीबी ने 4.2 बिलियन डॉलर के ऋण की घोषणा की थी,लेकिन सूत्रों के अनुसार, 3.6 बिलियन डॉलर नियमित तेल वित्तपोषण का ही हिस्सा था, जिसकी गणना भी तीन बार की गई थी।

पाकिस्तान के मित्र देशों में शुमार सऊदी अरब ने भी 800 मिलियन डॉलर के वार्षिक अनुमान के मुकाबले सिर्फ 600 मिलियन डॉलर ही पाकिस्तान को दिए हैं। वह रकम भी तेल ऋण सुविधा में दिए गए हैं। इसी तरह द्विपक्षीय लेनदारों में चीन का भी नाम शामिल है, जिसने सिर्फ 55 मिलियन डॉलर ही पाकिस्तान को दिए हैं। इनके अलावा फ्रांस ने 8.6 मिलियन डॉलर, जर्मनी ने 4.5 मिलियन डॉलर और दक्षिण कोरिया ने 19 मिलियन डॉलर का कर्ज दिए हैं।

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