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पाकिस्तान में कोरोना मरीजों की कुल तादाद 2.86 लाख के पार, अब तक 6139 लोगों की मौत

पाकिस्तान में कोविड-19 के 753 नए मामले सामने आने के बाद बृहस्पतिवार (13 अगस्त) को देश में संक्रमण के मामले बढ़कर 2,86,673 हो गए। राष्ट्रीय स्वास्थ्य सेवा मंत्रालय की कोविड-19 वेबसाइट के अनुसार पिछले...

पाकिस्तान में कोरोना मरीजों की कुल तादाद 2.86 लाख के पार, अब तक 6139 लोगों की मौत
पीटीआई,इस्लामाबादThu, 13 Aug 2020 07:01 PM
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पाकिस्तान में कोविड-19 के 753 नए मामले सामने आने के बाद बृहस्पतिवार (13 अगस्त) को देश में संक्रमण के मामले बढ़कर 2,86,673 हो गए। राष्ट्रीय स्वास्थ्य सेवा मंत्रालय की कोविड-19 वेबसाइट के अनुसार पिछले 24 घंटे में वायरस से 10 लोगों की मौत से मरने वालों की संख्या बढ़कर 6,139 हो गई। उसने बताया कि देश में अभी तक 2,64,060 लोग संक्रमण से स्वस्थ हो चुके हैं। वहीं 783 लोगों की हालत अभी नाजुक है।

आंकड़ों के अनुसार सिंध में सबसे अधिक 1,24,929 मामले सामने आए हैं, जबकि पंजाब में 94,865, खैबर पख्तूनख्वा में 34,947, इस्लामाबाद में 15,323, बलूचिस्तान में 12,044, गिलगित बाल्तिस्तान में 2,402 और पीओके में 2,164 लोगों के कोरोना वायरस से संक्रमित होने की पुष्टि हुई है। अभी तक देश में 22,05,664 नमूनों की जांच हो चुकी है, जिनमें से 19,221 नमूनों की जांच पिछले 24 घंटे में की गई।

कोरोना वायरस महामारी से नए संघर्षों का खतरा पैदा होता है: संयुक्त राष्ट्र प्रमुख
दूसरी ओर, संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुतारेस ने बुधवार (12 अगस्त) को कहा कि कोविड-19 वैश्विक महामारी न केवल गरीबी को दूर करने एवं शांति स्थापित करने के लिए अभी तक किए प्रयासों के लिए खतरा है, बल्कि इससे मौजूदा संघर्षों के बढ़ने और नए संघर्ष पैदा होने का भी खतरा है।

गुतारेस ने महामारी के दौरान शांति कायम रखने की चुनौती पर चर्चा के लिए सुरक्षा परिषद की बैठक में कहा कि उन्होंने कोरोना वायरस से निपटने के लिए विश्वभर में संघर्षों में तत्काल विराम की 23 मार्च को अपील की थी, जिसके बाद कई युद्धरत पक्षों ने तनाव कम करने और संघर्ष रोकने के लिए कदम उठाए।  उन्होंने कहा, ''लेकिन यह दुख की बात है कि वैश्विक महामारी के बावजूद कई पक्षों ने शत्रुतापूर्ण गतिविधियां रोकी नहीं और न ही स्थायी संघर्ष विराम पर सहमत हुए।"

गुतारेस ने कहा कि इस वैश्विक महामारी ने स्वास्थ्य प्रणालियों एवं सामाजिक सेवाओं के प्रभावी होने और संस्थानों एवं शासन प्रणाली में भरोसे को लेकर कई सवाल पैदा कर दिए है। संयुक्त राष्ट्र प्रमुख ने सचेत किया कि यदि कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया, तो असमानता, वैश्विक स्तर पर गरीबी, अस्थिरता एवं हिंसा बढ़ गई है।

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